इमाम हो या पुजारी, देश तोड़ने की बात करे तो हुक्का-पानी बंद कर दें: बाबा सिद्धजी महाराज

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 26-09-2022
इमाम हो या पुजारी, देश तोड़ने की बात करे तो हुक्का-पानी बंद कर दें: बाबा सिद्धजी महाराज
इमाम हो या पुजारी, देश तोड़ने की बात करे तो हुक्का-पानी बंद कर दें: बाबा सिद्धजी महाराज

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली

धर्मगुरु बाबा सिद्ध जी महाराज ने कहा कि भारत हिंदू-मुसलमान की व्यवस्था की मेलजोल से बना है. जो इमाम या पुजारी हमारी एकता तोड़ने की बात करे, उसका हुक्का-पानी बंद कर देना चाहिए.धर्मगुरु बाबा सिद्ध जी महाराज जमीयत उलेमा-ए-हिंद की सद्भावना संसद में बोल रहे थे.

धार्मिक घृणा, इस्लामोफोबिया को भारत की धरती से उखाड़ फेकने एवं मानवता की वास्तविक भावना को उजागर करने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय के मदनी हॉल में ’सद्भावना संसद’ आयोजित किया था.

दिल्ली में आयोजित संसद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के संरक्षण में देश भर में आयोजित होने वाली हजार सद्भावना संसदों की एक कड़ी थी.बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के विभिन्न स्थानों पर भी सद्भावना संसद आयोजित की गई जिसमें सभी धर्मों के गुरुओं ने भाग लिया और संयुक्त रूप से राष्ट्रीय एकता और शांति का संदेश दिया.

नई दिल्ली में आयोजित सद्भावना संसद में  जाने-माने धर्मगुरु बाबा सिद्ध जी महाराज, सर्व संचालक गौशाला नोएडा ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का समाज हिंदू और मुसलमान, दोनों की व्यवस्था की मेलजोल से बना है. जो व्यक्ति चाहे वह किसी मंदिर का पुजारी हो या किसी मस्जिद का इमाम.

अगर वह समाज को तोड़ने की शिक्षा देता है, तो वह असामाजिक तत्व है. ऐसे लोगों का हुक्का-पानी बंद कर देना चाहिए. उन्होंने संदेश दिया कि सभी भारतीयों के पूर्वज एक थे. सभी का संबंध इस देश की मिट्टी से है. इसलिए एक दूसरे को अपनी ताकत मानें. अपने पूर्वजों की आत्माओं को खुश करने के लिए एकता और सद्भाव स्थापित करें.

अपने उद्घाटन भाषण में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि सद्भावना संसद का यह दूसरा चरण है. पिछले महीने 100से अधिक स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए.

इस बार भी देश के कई भागों में कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद को यह गौरव प्राप्त है कि उसने राष्ट्रीय एवं सामाजिक आंदोलन में हमेशा सहयोग दिया. एकजुटता दिखाई. इस उद्देश्य के लिए धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया.

उन्होंने कहा कि भारत एक खूबसूरत देश है. इसकी प्रतिष्ठा और महानता इस तथ्य में निहित है कि यहां सभी धर्मों के लोग सदियों से साथ रहते आए हैं. उनके घर और आंगन एक-दूसरे से मिले हैं. इस देश में नफरत फैलाने वाले कभी कामयाब नहीं होंगे.

उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की एक ऐतिहासिक घटना का भी उल्लेख किया. बताया कि कैसे एक गैर-मुस्लिम नवीन चंद्र बल्लभ भाई भाटिया ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में जमीयत के कल्याणकारी कार्यों के लिए अपनी जमीन दान कर दी थी.

मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी जोधपुर के अध्यक्ष पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि मुझे एक भारतीय मुसलमान होने के नाते यह कहना है कि किसी से सर्टिफिकेट की कोई जरूरत नहीं. मुझे गर्व है कि भारत मेरी मातृभूमि है.

अबुल-बशर (प्रथम मानव) आदम के माध्यम से सत्य का संदेश सबसे पहले इसी भूमि पर आया था. उन्होंने इस अफवाह का जवाब दिया कि मुसलमान इस देश में एक हजार साल से होते हुए भी अल्पसंख्यक हैं,

फिर वह आने वाले वर्षों में बहुसंख्यक कैसे हो सकते हैं. जो भ्रम फैलाना चाहते हैं, वह वास्तव में इस देश से प्यार नहीं करते. उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की प्रशंसा की. कहा कि उसने आज के अंधकार भरे दौर में प्यार का दीप प्रज्वलित किया है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि जहां यह सच्चाई है कि धर्म लोगों को जोड़ने और एकजुट करने की शिक्षा देता है, वहीं यह भी कटु सत्य है कि आज धर्म को हथियार बनाकर कुछ लोग नफरत और सांप्रदायिकता पैदा कर रहे हैं.

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समय की मांग है कि सच्चे धार्मिक लोग इन तथाकथित झूठे धार्मिक लोगों को बेनकाब करें. अपना कर्तव्य समझ कर उनके खिलाफ संयुक्त आवाज उठाएं. उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अमन-शांति और प्रेम के संदेश का परिणाम है कि आज मोहन भागवत भी मैदान में आए हैं, इसलिए जरूरत है कि स्थानीय स्तर पर धार्मिक लोगों का एक समूह गठित हो जो आपकी समस्याओं का समाधान करे. इस उद्देश्य के लिए जमीयत सद्भावना मंच का गठन भी किया गया है.

हरजोत सिंह जी महाराज हल्द्वानी ने कहा कि सभी धर्म गुरुओं को सत्य की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए. आज बुराई और झूठ, धर्म के चोले में छिपे हुए हैं.इस अवसर पर जमीयत सद्भावना मंच के संयोजक मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी ने सद्भावना संसद का 10सूत्री संकल्प पत्र भी प्रस्तुत किया.

इसमें कहा गया है कि (1) देश और समाज की सेवा, सुरक्षा एवं विकास कार्यों के लिए सदैव हम सब तत्पर रहेंगे. (2) राजनीति और धर्म के मामले में टकराव की स्थिति से बचेंगे. (3) चाहे हम किसी भी धर्म के अनुयायी या राजनीतिक दल के मतदाता हों, लेकिन देश में सद्भावना मजबूत करेंगे.

(4) किसी धर्म एवं धर्मगुरुओं पर अपमानजनक टिप्पणी, गलत बात या ओछे शब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे. (5) अगर कहीं साम्प्रदायिक वातावरण खराब होता है तो फौरन क्षेत्र की साझा कमेटी आपस में मिल-बैठ कर मामले का समाधान करने की कोशिश करेंगी.

(6) धर्म एवं समुदाय के भेदभाव के बिना गरीब और परेशान लोगों की मदद खुले दिल से करेंगे. (7) अपने क्षेत्रों में सद्भावना के कार्यक्रम आयोजित करेंगे. जिला और शहरों के चौराहों पर सद्भावना कैंप लगाएंगे. (9) जगह-जगह सद्भावना यात्रा निकालेंगे और (10) मानवता का संदेश देंगे. उसकी भावना लोगों में मजबूत करेंगें.

इस मौके पर  सुशील खन्ना जी महाराज राष्ट्रीय अध्यक्ष नशा मुक्ति जागृति अभियान, मौलाना कौकब मुज्तबा प्राचार्य जामिया आलिया जाफरिया अमरोहा, डॉ. रोडरिक गिल बीर कार्यकर्ता इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स, एसपी राय पूर्व उपायुक्त भारत सरकार, अमित कुमार आईएएस, एलिजाबेथ पैस्टर चर्च मंगोलपुरी, स्वामी आर्य तपस्वी महाराज धर्म गुरु आर्य समाज मंदिर रोहिणी, डॉ. सिंधिया सामाजिक कार्यकर्ता, डॉ. उमेश कुमार पासी राष्ट्रीय अध्यक्ष इंडियन पीस मिशन, नवीन शर्मा जी प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, नीलू कबीरजी, डॉ. परवेज मियां दिल्ली हज कमेटी के पूर्व अध्यक्ष, जाकिर खान दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, राजेश कश्यप सचिव देश सर्वोपरि विकास सोसायटी ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

कार्यक्रम का संचालन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दावत-ए-इस्लाम विभाग के मौलाना मोहम्मद यासीन जहाजी ने किया, जबकि शायर आरिफ देहलवी ने कलाम पेश किए.