मिर्जा गालिब को कौन नहीं जानता? हिंदुस्तान के अजीमोश्शान शायर अगर आज के जमाने में आ जाएं वह एक टीवी स्टूडियो और उनसे इंटरव्यू हो तो क्या सवाल पैदा होंगे?
सवाल यह है कि कितनों को भरोसा होगा कि डेढ़ सौ साल पहले दिवंगत हुए मिर्ज़ा ग़ालिब आज की दिल्ली में तशरीफ ला सकते हैं. पर कोरोना महामारी से हलकान हिंदुस्तान में मिर्जा गालिब नए शक्लो-सूरत (सूरत और लिबास वही है) में पेश हुए और एक एंकर, जो चीखता नहीं है, के तीखे सवालों से दो-चार भी हो रहे हैं.
पर गालिब को गुस्सा भी आता है.
उर्दू जबान के गलत इस्तेमाल पर, भाषा पर एंकर की कमजोर पकड़ पर और सबसे बड़ी बात कि उनसे यह पूछने पर कि गालिब कौन है. ऐसे जमाने में जब इंसान खुद को कुछ और पेश करता है और अंदर से वह कुछ और होता है, गालिब खुद को बहुरूपिया कहे जाने पर भी आहत होते हैं.
इन्हीं बातों के साथ मिर्जा गालिब को नए कलेवर में और नए दौर में आवाज द वॉयस पेश कर रहा है. गालिब 2.0नाम के इस कार्यक्रम में डिप्टी एडिटर मंजीत ठाकुर उनका इंटरव्यू करते नजर आते हैं और मशहूर एक्टर सईद आलम ने मिर्ज़ा ग़ालिब का किरदार निभाया है.
सईद आलम ने कहा कि कॉमिडी के नाम पर आज जिस तरह की हल्की बातें की जाती हैं, वह इस कार्यक्रम में नहीं होगा और गालिब अपने संजीदा और लिटररी धमक के साथ तो रहेंगे ही, साथ ही उनका तंजिया लहजा साथ रहेगा, जो विभिन्न सामाजिक पहुलओं पर केंद्रित होगा. आलम के मुताबिक, ग़ालिब को लेकर साहित्य के क्षेत्र में भी कई तरह के भ्रम हैं, मसलन, कि गालिब हर वक्त शराब में डूबे रहते थे. वह कहते हैं, सटायर के साथ इस कार्यक्रम के जरिए उन मिथकों को भी तोड़ा जाएगा.
1 मार्च को गालिब 2.0 के पहले एपिसोड का प्रसारण हुआ है और यह कार्यक्रम आवाज द वॉयस के यूट्यूब चैनल और उसके फेसबुक पेज पर हर सोमवार की शाम 4 बजे अपलोड किया जाएगा.