आमिर की कहानी बिल्कुल फिल्मी है, कैसे ? आइए जानते हैं

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
आमिर उर्फ अमन अपने जैविक और पालक माता-पिता के साथ
आमिर उर्फ अमन अपने जैविक और पालक माता-पिता के साथ

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

 बच्चों के एक मेले में खो जाने और बाद में पालक माता-पिता के साथ रहने के एक नाटकीय बदलाव की बॉलीवुड कहानी वास्तविक जीवन में सामने आई है. इस वास्तविक जीवन की कहानी का अंत, हालांकि, एक हिंदू और एक मुस्लिम परिवार के बीच एक बेटे के साझा प्यार की एक नई शुरुआत में बदल गया है.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार की कहानी जबलपुर, मध्य प्रदेश और नागपुर, महाराष्ट्र की है. जबलपुर में मुस्लिम माता-पिता से अमीर के रूप में पैदा हुआ बच्चा सात साल पहले लापता हो गया था, जो नागपुर में एक हिंदू परिवार की देखभाल में पाया गया था, जिस परिवार ने उसे एक नया नाम अमन दिया था.

मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चा पुलिस को अपनी पहचान नहीं बता पा रहा था और अब आधार कार्ड ने उसे उसके असली माता-पिता तक पहुंचने में मदद की है.

मोहम्मद आमिर पिछले महीने अपने मुस्लिम जैविक माता-पिता के साथ फिर से मिला था. हालांकि, 12 जुलाई को, उन्होंने अपने ‘मां’ (पालक मां) के जन्मदिन का जश्न मनाने और अपने पालक भाई-बहनों 28 वर्षीय मोहित और 25  वर्षीय गुंजन से मिलने के लिए अपने असली पिता मोहम्मद अयूब के साथ जबलपुर से नागपुर तक एक दोपहिया वाहन पर 300 किमी की यात्रा की.

सात साल पहले आठ साल के मानसिक रूप से विकलांग लड़के को एक हिंदू परिवार दामले की देखभाल में दिया गया था, जिसने उसका नाम अमन सुरेश धनगारे रखा था.

पुलिस ने उसे 2012 में नागपुर थाने में पाया था. बच्चे को पहले नागपुर के सरकारी चाइल्ड कैअर होम भेजा गया और फिर वह समर्थ दामले द्वारा चलाए जा रहे शेल्टर होम में चला गया.

जल्द ही परिवार को यह सुविधा बंद करनी पड़ी और अमन को छोड़कर सभी बच्चों को उनके माता-पिता और अभिभावकों के पास भेज दिया गया. दामले और उनकी पत्नी लक्ष्मी ने उसे अपने बच्चे के रूप में अपना लिया.

दिलचस्प बात यह है कि आधार कार्ड आमिर के लिए एक तारणहार बन गया. अपने एसएससी परीक्षा के लिए अमन का आधार कार्ड बनवाने की कोशिश की गई, तो सिस्टम उसके आवेदन को स्वीकार नहीं कर रहा था. समर्थ दामले यूआईएडी कार्यालय में इस बारे में पूछताछ करने गए, तब उन्हें बताया गया कि अमन के बायोमेट्रिक्स पहले से ही मोहम्मद आमिर के रूप में पंजीकृत हैं.

इस रहस्योद्घाटन से हैरान होने के बावजूद, दामले ने अमन के जैविक माता-पिता अयूब खान और मेहरुन्निसा से संपर्क किया. जल्द ही दोनों परिवार मिले, और दामले दंपति ने अमन को उसके माता-पिता को सौंप दिया.

हालाँकि शुरू में, अमन अपने माता-पिता को नहीं पहचान पाया और वे निराश होकर वापस चले गए, धीरे-धीरे उसकी यादें वापस आ गईं और वह अपने परिवार के पास लौट आया.

आधार सेवा केंद्र के प्रबंधक अनिल मराठे ने अमन के माता-पिता का पता लगाने में दामले की मदद की, दामले ने मीडिया से कहा, “मराठे ने हमें इस परिवार में लड़के को बहाल करने की सलाह दी. भावनात्मक लगाव के बावजूद, हमने परिवार से संपर्क किया कि मराठे ने हमें ट्रैक करने में मदद की. अमन के माता-पिता, अयूब खान और मेहरुन्निसा, 28 जून को हमसे मिलने आए. हालांकि, अमन ने उन्हें नहीं पहचाना और उनके साथ जाने से इनकार कर दिया. लेकिन एक दिन बाद, उसने कहा कि वह अपने अब्बू को याद करने में सक्षम है. इसलिए हमने फिर से खान परिवार को सूचित किया और वे 30 जून को अपने बेटे को वापस घर ले जाने के लिए लौट आए.”

दामले के लिए अमन से अलग होना एक बड़ा भावनात्मक आघात था. दामले ने मीडिया से कहा, “यह शब्दों में बयां करना मुश्किल है कि यह हमारे लिए कितना बड़ा भावनात्मक आघात था. लेकिन वास्तविकता के साथ सामंजस्य बिठाना पड़ा.”

उसकी पालक माँ लक्ष्मी ने कहा कि अमन के जाने के बाद वह कई दिनों तक रोती रहीं, अमन जब अपना बर्थडे सेलिब्रेट करने आया, तो दोनों टूट गए. उन्होंने कहा, जब वह जबलपुर के लिए निकला, तो हम सब रो पड़े.

खुद को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर पाने वाले अमन भी इमोशनल हो गए. लक्ष्मी कहती हैं, “वह अभिभूत दिखाई दिए लेकिन रोए नहीं. वह अपनी भावनाओं को ठीक से व्यक्त करने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है.”

आमिर के असली पिता, अयूब खान ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, “मैं अपने खोए हुए बेटे की देखभाल करने के लिए दामले परिवार को पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकता. हम सारी उम्मीद खो चुके थे. लेकिन मेरे दिल में कहीं न कहीं, मुझे पता था कि मैं उसे फिर से देख सकता हूँ.”

अपने माता-पिता के साथ खुश होने के बावजूद, अमन ने कहा कि वह अपने पालक परिवार को याद करता है.