आरएसएस कार्यकर्ता का ‘सर्वोच्च बलिदान’: कोविड की उदासियों पर भारी हैं आशा और मानवीयता की कहानियां

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 28-04-2021
मुंबई में टीकाकरण केंद्र के बाहर खड़े लोग
मुंबई में टीकाकरण केंद्र के बाहर खड़े लोग

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली

आरएसएस के एक वृद्ध कार्यकर्ता की कहानी कोविड के इस दौर में ‘सर्वोच्च बलिदान’ कहा जा सकता है. उन्होंने अपने से कम आयु के एक मरीज की जान बचाने के लिए कोविड वार्ड का अपना बिस्तर एक व्यक्ति दे दिया और दो दिन बाद उनका निधन हो गया. सिर्फ यही नहीं, देश में हर तबके का आदमी अपने-अपने तरीके से कोविड के खिलाफ जंग करता दिखाई पड़ रहा है.

नागपुर के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नारायण धाकड़कर कोरोना संक्रमित हो गए थे और एक अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे थे.

धाकड़कर ने अस्पताल का हाल देखा कि लोग बेड और ऑक्सीजन के बिना दम तोड़ रहे हैं, तो उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि वह 85 साल से जीवित हैं और उन्होंने जीवन को काफी देख और जी लिया है. उन्होंने कहा, “लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया, तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे. इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं.” ऐसा कहकर कोरोना पीडित आरएसएस के स्वयंसेवक नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज को दे दिया.

नारायण का दो दिन बाद निधन उनके घर पर हो गया. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने ट्विटर पर उनकी कहानी साझा की है, जो पहले ही लाखों लोगों में वायरल हो चुकी है और काफी पसंद की जा रही है.

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में युवा मुसलमानों का एक समूह ऐसे लोगों की पानी और भोजन से मदद कर रहा है, जो अपने परिवार के सदस्यों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर को भरवाने के लिए लंबी कतार में इंतजार कर रहे हैं.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/84_These_boys_are_fasting_in_the_ongoing_month_of_Ramazan.jpg

ये मुस्लिम लड़के रोजा उपवास के बावजूद लोगों को पानी पिला रहे हैं 


युवा मुस्लिमों का यह समूह केवल अपने सिर की टोपी से पहचाने जा रहे हैं. जब उन्हें ऑक्सीजन देने वाली एजेंसियों के बाहर लंबी कतारों का पता चलता है, तो वे वहां के लिए दौड़ पड़ते हैं और लोगों को भोजन और पानी से सेवा करते हैं. खास बात यह है कि ये सभी मुस्लिम युवा खुद रमजान में रोजा के कारण 11-12 घंटे तक भूखे और प्यासे रहते हैं.

समंदर जैसे दिल वाला है ये नारियल पानी बेचने वाला

गाजियाबाद के इंदिरापुरम के गुरुद्वारा के बाहर शादाब नारियल पानी बेचते हैं और यह युवा मुस्लिम उन लोगों को मुफ्त में नारियल पानी की पेशकश कर रहा है, जिनका कोई रिश्तेदार कोरोना संक्रमित है. इस गुरुद्वारा में ‘ऑक्सीजन लंगर’ चल रहा है और जरूरतमंदों को मुफ्त ऑक्सीजन वितरित की जा रही है. 

इसका मतलब है कि एक नारियल 50-80 रुपए प्रति नग बिकता है, वह उसे मुफ्त में दे रहा है, यह बात उसे बड़े दिल का मालिक बनाती है और मालिक उसे ढेर सारा पुण्य देगा. उनकी कहानी को ट्विटर पर एक यूजर ने शेयर किया है.

 

दिल को छू लेने वाली लोगों की ऐसी कहानियां और भी हैं, जिन्होंने कोविड से त्रस्त परिवारों की मदद करने के लिए अपनी निश्चित जमा पंूजी को खर्च दिया है.

 

मुम्बई में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी ने वहां मौजूद एक वृद्ध महिला के सभी फूलों को 500 रुपए में खरीद लिया, ताकि वह घर जाकर सुरक्षित रह सकते. पुलिसकर्मियों ने अब फैसला किया है कि जब तक लॉकडाउन है, तब तक वे चंदा करके उस वृद्ध महिला को प्रतिदिन 500 रुपये का जरूरी खर्चों के लिए भुगतान करेंगे. यह कहानी स्थानीय विधायक सीता सोरेन ने ट्विटर पर साझा की है.