अफगानिस्तान राजनीतिक और कूटनीतिक मसला है, धार्मिक नहींः फिरंगी महली

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 28-08-2021
फगानिस्तान राजनीतिक और कूटनीतिक मसला है, धार्मिक नहींः फिरंगी महली
फगानिस्तान राजनीतिक और कूटनीतिक मसला है, धार्मिक नहींः फिरंगी महली

 

मंसूरुद्दीन फरीदी / आवाज की आवाज
 
अफगानिस्तान में जो हो रहा है, उससे खुश होने का कोई कारण नहीं है. किसी भी बयानबाजी के लिए कोई जगह नहीं है. ऐसे मामलों को सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है.देश हित में हल किया जाता है. एक नीति बनाती है और अंतिम स्टैंड लिया जाता है.
 
यह कहना है ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महली का.दरअसल, तालिबान की अफगानिस्तान में वापसी ने जहां इस जमीन पर अशांति और अराजकता पैदा कर दी है, वहीं यह पड़ोसी देशों के लिए अजीब स्थिति और माहौल पैदा कर रहा है. राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दों ने नए भ्रम पैदा किए हैं. कई खुश हैं कि अमेरिका हार गया.
 
आवाज द वाॅयस से बात करते हुए फिरंगी महली ने कहा कि अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण के बाद भारत में कुछ मुसलमानों और नेताओं द्वारा खुशी की अभिव्यक्ति बड़ा मुद्दा है. इसे केवल नकारात्मक सोच ही कहा जा सकता है.
 
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि जहां तक ​​इस्लाम के नाम पर जुल्म और बर्बरता की बात है तो कोई बयान नहीं देना चाहिए. इस्लाम ने हमेशा महिलाओं, बच्चों, बूढ़े और युवाओं के अधिकारों की रक्षा की बात कही है.
 
इस्लाम में महिलाओं पर अत्याचार करना गलत है. युद्ध में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर हमला करने की भी इजाजत नहीं है. इस्लाम मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के साथ बेहतर व्यवहार करने का भी निर्देश देता है.
कुछ लोग ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं जो स्वीकार्य नही. इससे किसी को लाभ नहीं होगा, बल्कि देशद्रोह होगा.
 
मौलाना खालिद राशिद फरंगी महली का कहना है कि यह समस्या अफगानिस्तान और अमेरिका की हो सकती है. भारत को इससे जोड़ नहीं सकते.उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने कहा कि दूसरे देश की स्थिति पर धार्मिक बयानबाजी से बचना चाहिए.
 
भारतीय मुसलमान खुद को मौका क्यों दे रहे हैं. किसी बाहरी मुद्दे पर ज्यादा बात करने की जरूरत नहीं है. ये राजनीतिक और राजनयिक मामले हैं, जो सरकार द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं.
दुख की बात है कि अगर दुनिया में कुछ होता है, तो क्या आप उसका हिस्सा बन जाते हैं?
 
हमें अपने देश के मुसलमानों से मतलब होना चाहिए. हम विश्व मामलों में क्यों शामिल होते हैं? तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद, भारत में सोशल मीडिया पर तालिबान समर्थक बयान सामने आए हैं, जिसमें गिरफ्तारियां भी हुई है.
 
इसके जवाब में कट्टरपंथी हिंदू संगठनों के नेताओं ने कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई.
 
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है. किसी ने जो कहा है उस पर हमारी कोई प्रतिक्रिया नहीं है.लेकिन मेरी निजी राय है कि अफगानिस्तान के प्रति भारत सरकार की नीति सभी भारतीय नागरिकों की होगी.
 
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं. देखना होगा कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच संबंध कैसे विकसित होंगे.उन्होंने भारतीय मुसलमानों से कहा कि हमें अपने देश की परिस्थितियों और विवेक का पालन करना चाहिए क्योंकि देश के हितों को प्राथमिकता दी जाती है.