अब्दुल कादिर नादकितन: एक किसान जो कृषि आविष्कारों की मशीन बन गया

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
अब्दुल कादिर नादकितन
अब्दुल कादिर नादकितन

 

शाह इमरान हसन / नई दिल्ली

खेती अपनी विभिन्न जरूरतों के लिए प्रौद्योगिकी पर तेजी से निर्भर हो रही है. एक नवप्रवर्तक, सामाजिक कार्यकर्ता, अब्दुल कादिर इमाम साहिब नादकितन इस प्रवृत्ति का लाभ उठा रहे हैं. उनके जादुई आविष्कारों ने राज्य और विदेशों में परेशान किसानों के जीवन को बदल दिया है. अब्दुल कादिर इमाम साहब एक किसान हैं, लेकिन वे एक वैज्ञानिक मिज़ाज किसान हैं. उन्होंने अनिगिरी में विश्वशांति कृषि केंद्र की स्थापना की है, जिसका लाभ अनगिनत लोगों को मिल रहा है.

अब्दुल कादिर इस समय 62 साल के हैं. वह एक आविष्कारक, सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् हैं. स्थिरता के सिद्धांतों में विश्वास करते हुए, उन्होंने हमेशा कृषि में कम लागत, पर्यावरण के अनुकूल और सामाजिक रूप से स्वीकार्य तरीकों की वकालत की है.

उन्होंने कई आविष्कार भी किए हैं.वह कर्नाटक राज्य के धारवाड़ जिले के नवलगुंड तालुका के अनिगिरी गांव के निवासी हैं, जिसकी आबादी लगभग 25,000 है.

अनिगिरी और आसपास के क्षेत्रों में गहरी काली मिट्टी है यह मिट्टी काली मिर्च और बंगाली चने की फसलों के लिए प्रसिद्ध है. कृषि क्षेत्रों से घिरी भूमि में पले-बढ़े, अब्दुल कादिर का झुकाव स्वाभाविक रूप से कृषि की ओर था.

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वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे. वह बचपन में स्कूल जाना चाहते थे, लेकिन उसके पिता चाहते थे कि वह केवल कृषि पर ध्यान केंद्रित करे. कम उम्र से ही उनका दिमाग इनोवेशन पर था, इसी इनोवेशन ने उन्हें इतना कुछ करने के लिए मजबूर किया.

उनके जीवन की एक और दिलचस्प बात यह है कि वे कभी सुबह जल्दी नहीं उठते. सुबह उठने के लिए उन्होंने कितनी भी कोशिश की हो, वह कभी जल्दी नहीं उठते. इस वजह से वह 'वाटर अलार्म' बनाने में सफल रहे, जो उनका पहला आविष्कार था.

बहुत कम पानी में इमली उगाने की सफलता अपने आप में एक आविष्कार थी. पानी की कमी को दूर करने के लिए, उन्होंने तीन-भाग निस्पंदन प्रक्रिया के माध्यम से पानी को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया और 200,000 रुपये की लागत से ग्यारह बोरवेल खोदे, लेकिन उनमें से केवल दो में ही पानी निकला.

फिर उन्होंने बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए खेती के छह तालाब बनाए. बरसात के बाद बोरवेल का पानी तालाबों में डाला जाता था. इसके बाद पानी का उपयोग पौधों की सिंचाई के लिए किया जाता था.

उन्होंने इमली के गूदे को बचाने के लिए भूमिगत टैंक भी बनाए हैं. इस प्रकार संरक्षित गूदे की एक लंबी शेल्फ लाइफ होती है और यह लंबे समय तक मूल गुणवत्ता और स्वाद को बरकरार रख सकता है.

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उनकी पत्नी और बेटी ने अचार और जैम बनाया. उनके परिवार द्वारा बनाई गई वस्तुएं हैदराबाद और घाघरा जैसे अन्य राज्यों के बड़े शहरों में बिकने लगीं. जब उन्हें अचार बनाने में परेशानी हुई, तो उन्होंने एक और नए प्रयोग के बारे में सोचा. अचार बनाने की प्रक्रिया श्रमसाध्य और थका देने वाली थी, क्योंकि पहले इमली को पेड़ों से काटना पड़ता था और फिर फलों से बीज को हाथ से अलग करना पड़ता था.

उनके सबसे लोकप्रिय आविष्कारों में से एक नादकितन फाइव इन वन टेलर है, जो पांच चीजें कर सकता है. इनमें गहरी खुदाई, खेत के गीले होने पर घास को उखाड़ना, शाकनाशी का छिड़काव, खाद डालना शामिल हैं.

बिलारी के हिदागली तालुका के अतरंगी गाँव के गुरु बसवराज कहते हैं कि हमारे गाँव में इन मशीनों की कुल संख्या 71 है. इसकी उच्च मांग का मुख्य कारण इसकी स्थायित्व, कम रखरखाव, किसान अनुकूल यांत्रिकी और आसान मरम्मत सुविधाएँ हैं.

अब्दुल कादिर जानते हैं कि उनके दिमाग में जो कुछ है, उसे व्यवस्थित तरीके से सामने लाना है. इसलिए विश्वशांति कृषि और उद्योग अनुसंधान केंद्र की स्थापना 1975 में हुई थी.

कंपनी ने अब्दुल कादिर नादकितन को कृषि उपकरणों और मशीनों के एक प्रसिद्ध निर्माता के रूप में मान्यता दी. रोटरी टिलर, इमली सीड सेपरेटिंग डिवाइस, नादकितन व्हील टिलर, नादकितनडिंडीना कांटे, नादकितन  स्वचालित गन्ना बोने का ड्रिलर, नादकितन आयरन व्हील, अचार बनाने के लिए इमली का टुकड़ा शामिल है.

उनके कृषि आविष्कारों की व्यापार के सभी क्षेत्रों में बाजार में एक अनूठी उपस्थिति है. वे आधुनिक उपकरणों के निर्माण के लिए बेहतरीन गुणवत्ता वाले कच्चे माल और टिकाऊ इंजीनियरिंग डिजाइन का उपयोग करते हैं. उनके कई उत्पाद कर्नाटक सरकार के सहयोग से किसानों को रियायती दरों पर उपलब्ध हैं.

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उन्होंने पिछले चार दशकों से सफलतापूर्वक अपना काम जारी रखा है. उनकी कंपनी ने कई किसानों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. ब्रांड नाम 'नादकितनके तहत, आज आप कृषि के क्षेत्र में 40 से अधिक रचनात्मक नवाचार पा सकते हैं.

अब्दुल कादिर जब अपनी 64 एकड़ जमीन पर काम कर रहे थे तो उन्हें एक कृषि अनुसंधान केंद्र का विचार आया और उन्हें राज्य सरकार से भी मदद मिली. संस्थान का अब हुबली में एक केंद्र है और इसमें लगभग 100 लोग कार्यरत हैं.

केवल एक रचनात्मक दिमाग और किसानों की मदद करने की तीव्र इच्छा ने ही अब्दुल कादिर को इस मुकाम तक पहुंचाया है. उनकी टीम ने दैनिक कृषि समस्याओं से निपटने के लिए अनोखे तरीके ईजाद किए हैं. इसके अलावा, उन्होंने किसानों की सामाजिक और आर्थिक भलाई को बढ़ाने के लिए विभिन्न उपकरण तैयार किए हैं.

अब्दुल कादिर ने कहा कि अगर सरकार मेरी आर्थिक मदद करे, तो मैं पूरे राज्य के छोटे, मध्यम और मध्यम स्तर के किसानों की मदद कर सकता हूं. "हम महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल पहुंच गए हैं," वे कहते हैं. कई प्रमुख हस्तियों ने उनकी योजनाओं का समर्थन किया है, जिनमें सर तोतादा सुधालिंग स्वामीजी, गडग और दांबुल के एसए पाटिल, यूएएस, धारवाड़ के पूर्व कुलपति शामिल हैं.

वे जिस इलाके में रहते हैं. वह अपने काली मिर्च उत्पादन के लिए जाना जाता है. यह क्षेत्र छोटी रोटो वेक्टर काली मिर्च, कपास, गेहूं और मक्का की बुवाई के लिए भी उपयुक्त .