विश्व परिवार दिवसः जानिए हिंदुस्तान के कुछ प्रमुख मुस्लिम खानदानों को

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
विश्व परिवार दिवस
विश्व परिवार दिवस

 

आवाज- द वॉयस/ नई दिल्ली

आज विश्व परिवार दिवस है. हिंदुस्तान में कुछ खानदान ऐसे हैं जिन्होंने पीढ़ियों से देश और समाज की, तहजीब और साहित्य की हर तरह से सेवा की है. राजनीति हो या मनोरंजन, साहित्य हो या रंगमंच, धर्म हो या जीवनशैली, कुछ परिवार ऐसे हैं जिन्होंने देश और समाज की सेवा को अपना ध्येय बना लिया है.

विश्व परिवार दिवस पर पढ़िए उन खास खानदानों के बारे में

खानदानः मौलाना वहीदुद्दीन खान ताउम्र रहे अमन और शांति के पैरोकार

प्रसिद्ध विचारक, लेखक ,पत्रकार और शांति ज्ञाता, जैसे ही इस बारे में कोई नाम दिमाग में आता है, एक दरवेश जैसा चेहरा अपने आप जेहन में आ जाता है. एक विद्वान जो धर्म के व्यावहारिक पहलुओं को उजागर करना पसंद करते थे, उन्होंने उनसे जीवन का हिस्सा बनने का आग्रह किया और हमेशा पवित्र कुरान के प्रकाश में शांति का मार्ग दिखाया. उन्होंने टकराव के बजाय बातचीत के महत्व पर जोर दिया. बेशक, वे अपनी विचारधारा पर अडिग रहे और इससे कभी समझौता नहीं किया.

मुफ्ती खानदानः सियासी विरासत ‘महबूबा’ के हवाले

एक महिला, विशेष रूप से मुस्लिम समाज में, परिवार की महिमा का मुख्य तत्व बन जाती है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ऐसी ही एक शख्सियत हैं. वे मुफ्ती मोहम्मद सईद की सबसे बड़ी वंशज हैं. अपने अन्य तीन भाई-बहनों के सफल नहीं होने की आम धारणा के विपरीत, महबूबा न केवल जम्मू-कश्मीर की सबसे प्रसिद्ध महिला नेता बनीं, बल्कि अपने पिता के मंत्री बनने के उनके सपने को साकार करने में भी मदद की.

खानदान-ए-हमदर्द : दो भाई, तीन देश, एक रूह

हमदर्द यानी यूनानी. यूनानी यानि हमदर्द. यह छाप कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत है. इस हकीकत के पीछे के दिमाग को दुनिया ‘बड़े हकीम साहब’ यानी हकीम अब्दुल हमीद के नाम से जानती है. एक ऐसा नाम जिसने यूनानी चिकित्सा को नई ऊंचाइयां दीं. वे हर उस क्षेत्र में यूनानी चिकित्सा के प्रति ‘हमदर्द’ बन गए, जिसमें राष्ट्र ने समर्थन या मसीहाई की मांग की. यही कारण है कि आज चिकित्सा, औषधि विज्ञान, यूनानी चिकित्सा के अस्तित्व और विकास शिक्षा, इतिहास और अनुसंधान के क्षेत्र में उनका योगदान एक मीनार की तरह है.

नाजकी खानदानः कश्मीर के शायर, ब्रॉडकास्टर और दानिश्वर

नाजकी का परिवार मूल रूप से श्रीनगर के कादी कदल का रहने वाला था. उसके वंशज मीर सैयद अली (बुखारी) से अपने वंश से वास्ता रखते हैं, जिन्होंने 15वीं शताब्दी की शुरुआत में बादषाह (बुद्धशाह) जैन उल आबिदीन के न्याय विभाग का नेतृत्व किया था. मीर गुलाम रसूल नाजकी मीर नाजुक के 7वें वंशज हैं.

अब्दुल्ला खानदानः शेख खानदान जिसने बदल दिया कश्मीर का भविष्य

अब्दुल्ला वंश सात दशकों से कश्मीर के राजनैतिक और सामाजिक क्षितिज पर बड़े पैमाने पर काबिज रहा है. हालांकि, यह हमेशा उनके लिए अनुकूल स्थिति नहीं थी. अब्दुल्ला कश्मीर में पाकिस्तान की साजिश का शिकार थे, जब उन पर इस्लामाबाद के साथ दोस्ती करने की साजिश का हिस्सा होने का संदेह हुआ था और पहले उनकी सरकार को बाहर कर दिया गया था और फिर उन्हें हिरासत में लिया गया था और 1953 में एक साजिश का आरोप लगाया गया था.

देहलवी खानदान, जिसने जलाए रखी उर्दू की ‘शमां’

वैसे तो देहलवी परिवार को शोहरत दिलाने की नींव मोहम्मद युसूफ देहलवी और उनकी पत्रिका शमां ने किया लेकिन उनका इतिहास और अधिक पुराना है. मैगजीन ने तो उन्हें आधुनिक युग में पहचान दिलाई, लेकिन इनकी खानदानी रवायत बड़ी बेशकीमती रही है. असल में, इस खानदान का चमकता सितारा रहीं सादिया देहलवी (अव दिवंगत) ने एक साक्षात्कार में कहा है कि 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां के कहने पर एक छोटा-सा दल पश्चिमी पंजाब से दिल्ली पहुंचा था और यहीं बस गया. इस परिवार की विरासत शानदार व्यंजनों की थी. और दिल्ली की खानपान की परंपरा में कुछ व्यंजनों का योगदान इस परिवार का भी है. बहरहाल, इसी खानदान के मोहम्मद युसुफ देहलवी ने 1939 में ‘शमां’ पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया. 

मदनी खानदानः मजहब से सियासत तक

देवबंद का मदनी परिवार न केवल भारत और विदेशों में पहचाना जाता है, उच्च सम्मान का प्रतीक भी है.एक सदी से भी अधिक समय से, परिवार का धार्मिक और राजनीतिक महत्व रहा है. परिवार के संस्थापक स्वतंत्रता सेनानी मौलाना सैयद हुसैन अहमद मदनी एक इस्लामिक विद्वान के रूप में विश्व प्रसिद्ध हैं. पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उनका सम्मान करते थे.

आजमी खानदानः मनोरंजन की दुनिया में फनकारों का गुलदस्ता

कैफी आजमी एक शायर और गीतकार के रूप में दुनिया में जाने जाते हैं, लेकिन वह एक व्यक्ति नहीं. एक विचारक थे. उनसे पहले उनका परिवार आजमगढ़ में ही जाना जाता था, लेकिन उनके बाद इस परिवार को पूरी दुनिया में पहचान मिली.

कैफी आजमी उनकी पत्नी शौकत आजमी, बेटी शबाना आजमी, दामाद जावेद अख्तर, बेटा बाबा आजमी और तन्वी आजमी इस परिवार के सदस्य हैं. परिवार के रिश्तेदारों में अभिनेत्री तब्बू और फराह भी शामिल हैं.