नई दिल्ली. आल इंडिया मुसलीम माजलिस-ए-मुशावरत (एआईएमएमएम) ने उइगर मुसलमानों के चीनी सरकार के उत्पीड़न की कड़ी निंदा की और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे पर चुप रहने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें न्याय प्रदान करने में अपनी भूमिका निभाने का आह्वान किया. एआईएमएमएम ने कहा कि सरकार ने लाखों उइगर मुसलमानों को शिविरों में बंद कर दिया है. शिविरों में उन्हें विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित किया जा रहा है. वे नरसंहार कर रहे हैं और शिनजियांग प्रांत के अन्य हिस्सों से हटाकर उइगरों को अल्पसंख्यक में बदलना चाहते हैं. हाल ही में महिलाओं के साथ बलात्कार और बच्चों के साथ दुराचार की घटनाएं भी हुई हैं. इस्लामिक संगठनों का आह्वान किया गया कि वह चीनी सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाए, ताकि इन असहाय लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों को रोका जा सके.
आल इंडिया मुसलीम माजलिस-ए-मुशावरत (एआईएमएमएम) की कार्यसमिति की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें देश की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई और महत्वपूर्ण सुझाव पारित किए गए.
एआईएमएमएम के महासचिव शेख मंजूर अहमद ने अपने प्रेस में बयान कहा कि बैठक की अध्यक्षता एआईएमएमएम के अध्यक्ष नावेद हामिद ने की. फरवरी 2020में उत्तरी दिल्ली के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर दंगे हुए, और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा निभाई गई भूमिका निंदनीय है. यह स्पष्ट है कि इन दंगों का नागरिक संशोधन अधिनियम के विरोध से कोई लेना-देना नहीं है.
इन दंगों में जान-माल के नुकसान के अलावा, धार्मिक स्थानों को भी भारी नुकसान पहुंचा था. यहां यह उल्लेखनीय है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने अपने क्षेत्रों में अन्य धर्मों के पूजा स्थलों और मंदिरों को दंगों से बचाया. यह भी ध्यान देने योग्य है कि एक दर्जन से अधिक मस्जिदों को दंगा प्रभावित इलाकों में आग लगा दी गई और ध्वस्त कर दिया गया. दंगों के आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि विभिन्न प्रावधानों के तहत निर्दोष और अल्पसंख्यक संप्रदाय के लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और उन्हें जेल में डाल दिया गया.
एआईएमएमएम ने खेद व्यक्त किया कि कुछ राजनीतिक दलों ने धार्मिक संगठन की छवि को धूमिल करने के लिए तब्लीगी जमात के खिलाफ भद्दी कोशिशें की थीं और इसके खिलाफ विभिन्न आरोप लगाए थे.
खाड़ी देशों में एआईएमएमएम ने कतर और सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिस्र के बीच राजनयिक संबंधों की बहाली पर संतोष व्यक्त किया. मुस्लिम देशों को एकजुट होने की तत्काल आवश्यकता है, ताकि वे समस्याओं का सामना कर सकें. एआईएमएमएम का मानना है कि इस संबंध में कुवैत के पूर्व अमीर द्वारा निभाई गई भूमिका सराहनीय है.
अनीस दुर्रानी की सदस्यता को एआईएमएमएम ने तुरंत समाप्त कर दिया. अनीस दुर्रानी ने एआईएमएमएम के खिलाफ सभी प्रकार के बेबुनियाद आरोप लगाए और संगठन को नुकसान पहुंचाने के प्रयास में सुप्रीम गाइडेंस काउंसिल के वरिष्ठ सदस्यों और उसके कर्मचारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर आरोप लगाए. उन्होंने इस संबंध में अश्लील भाषा और शब्दावली का इस्तेमाल किया. इस बैठक के महत्वपूर्ण प्रतिभागियों में मौलाना असगर अली इमाम मेहदी साहिब (अमीर, जमात-ए-अहल-ए-हदीस), फिरोज अहमद एडवोकेट (अध्यक्ष अखिल भारतीय मोमिन सम्मेलन), इंजीनियर सलीम साहिब (उपाध्यक्ष जमात-ए-इस्लामी भारत), अहमद रजा साहिब, नुसरत अली (जमात-ए-इस्लामी भारत के पूर्व डिप्टी आमिर), शेख मंजूर अहमद, आजमी नाहिद, विराजुद्दीन कुरैशी (राष्ट्रपति अखिल भारतीय जमीयत-उल-कुरैशी), मुहम्मद सुलेमान (इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष), ताज मुहम्मद साहब, मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी साहिब और अन्य उपस्थित थे.