मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिलाओं ने महिला शादी की उम्र 21 करने को जायज ठहराया

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 22-12-2021
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिलाओं ने महिला शादी की उम्र 21 करने को जायज ठहराया
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिलाओं ने महिला शादी की उम्र 21 करने को जायज ठहराया

 

नई दिल्ली. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला विंग ने महिलाओं के लिए शादी की कानूनी उम्र 18 से 21 वर्ष तक बढ़ाने के विधेयक का स्वागत किया है.

देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों ने केंद्र के इस कदम का स्वागत किया जबकि कुछ ने अपना विरोध व्यक्त किया. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया था. सरकार ने विधेयक को स्थायी समिति को भेजने का फैसला किया है.

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय संयोजक शहनाज अफजल ने बताया, ‘हम फैसले से बहुत खुश हैं. हम इसके लिए सरकार का स्वागत और धन्यवाद करते हैं. लड़कियों की केवल 12 और 18 साल की उम्र में शादी करने और जिम्मेदारियां लेने के लिए बहुत कम उम्र होती है. लड़कियां मानसिक और शारीरिक रूप से इतनी बड़ी जिम्मेदारियां लेने के लिए खुद पर्याप्त परिपक्व नहीं होती हैं.’

संगठन की एक अन्य राष्ट्रीय संयोजक शालिनी अली ने इस कदम पर खुशी व्यक्त की और कहा कि इससे लड़कियों को जीवन में सही निर्णय लेने में फायदा होगा क्योंकि इससे उन्हें अपनी उच्च शिक्षा में निवेश करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के अलावा मानसिक रूप से परिपक्व होने का समय मिलेगा.

उन्होंने कहा, ‘इससे लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी. स्नातक होने के तुरंत बाद, लड़कियों को दुनिया के सामने लाया जाता है और जीवन में वास्तविक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इस विधेयक के पारित होने के साथ, उनके पास जीवन कौशल हासिल करने का समय होगा, उन्हें सही निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाना होगा.’

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्नातक यास्मीन खालिद ने कहा कि लड़कियों की शादी के लिए 18 साल की उम्र कम होती है.

उन्होंने कहा, ‘मेरी दो बेटियां हैं और मैं जानती हूं कि वे जिम्मेदारियां लेने के लिए तैयार नहीं हैं. मैं इस कदम से खुश हूं. इससे समाज में बदलाव भी आएगा और महिलाओं का सशक्तिकरण होगा.’

आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने कहा कि यहां की महिलाएं इस फैसले से खुश हैं.

उन्होंने कहा, ‘उनका मानना है कि इससे उन्हें उचित शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी, ताकि वे अपने निर्णय लेने के लिए तैयार और परिपक्व हों. साथ ही अगर वे शिक्षित हैं, तो वे अपने बच्चों की देखभाल ठीक से कर सकते हैं.’

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के भूगोल विभाग के प्रमुख प्रोफेसर मेरी ताहिद ने कहा कि इस फैसले से महिलाओं को अपनी क्षमता का दोहन करने में मदद मिलेगी.

एएनआई ने बठिंडा में जिन लोगों से बात की, उन्होंने केंद्र के इस कदम पर मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की.

स्थानीय निवासी गुरप्रीत सिंह ने इस कदम की सराहना की और कहा कि एक बार यह कानून बन जाने के बाद, यह महिलाओं को कम उम्र में गर्भवती होने से बचाएगा.

एक अन्य स्थानीय निवासी देवेंद्र कौर ने हालांकि कहा कि शादी एक ‘व्यक्तिगत पसंद’ है, जिसे सरकार द्वारा शासित नहीं किया जाना चाहिए.

शहर के निवासी सोनू माहेश्वरी ने कहा कि वह इस कदम से ‘हैरान’ हैं, क्योंकि लोग 18 साल की उम्र में गाड़ी चलाने और वोट देने के योग्य होते हैं.

नूंह के एक ग्रामीण समसुद्दीन ने बिल पर सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा, ‘यहां विवाह बंधन में बंधने की कोई जल्दी नहीं है.’

पटना एएनआई में महिलाओं ने सरकार के इस कदम का समर्थन करने की बात कही. पटना की एक स्थानीय शिप्रा कहती हैं, ‘लड़कियों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता. 21 साल की उम्र में वे निर्णय लेने में सक्षम होंगी और अपना जीवन स्वयं बनाए रखने में सक्षम होंगी.’

शहर की एक अन्य महिला बसंती देवी ने भी कानून का समर्थन किया.

सिलीगुड़ी की महिलाओं ने भी इस राय को साझा किया, जिनसे एएनआई ने बात की थी.

फानसीदेवा निवासी पापरी रॉय ने कहा,‘ष्शिक्षा पूरी किए बिना कम उम्र में शादी करने से लड़कियों को अपने पैरों पर खड़े होने का मौका नहीं मिलता.’

यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो यह महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी आयु पुरुषों के बराबर कर देगा.