आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
जमाअत इस्लामी हिन्द की महिला विंग का कहना है कि महिलाओं को केवल बराबरी नहीं, इंसाफ भी चाहिए. उन्हें अधिकार भी देने होंगे. ‘महिला दिवस’ पर आयोजित संगोष्ठी में जमाअत इस्लामी हिन्द की महिला विंग ने कहा कि महिलाओं के गरिमापूर्ण अस्तित्व के भौतिक प्रश्नों के साथ समानता, पहुंच, हिस्सेदारी और गरिमा जैसी अवधारणाओं पर भी विचार करना होगा.
महिला विंग की सचिव अतिया सिद्दीका ने समानता से परे आदर्श न्याय की आवश्यकता पर बल दिया. इससे पहले नजराना दरवेश ने स्वागत भाषण में इसपर चर्चा की.
संगोष्ठी में शिक्षाविद प्रोफेसर पूर्णिमा पट्टनमा शेट्टी, विधि छात्रा नूर मेहविश, सामाजिक कार्यकर्ता जया द्विवेदी, सदस्य, एआईएमपीएलबी सदस्य, डॉ सोफिया फातिमा, मनोवैज्ञानिक नैदानिक, मनोवैज्ञानिक डॉ ए रामलथ, एनएचएआई डब्ल्यू की निशा सिद्धू ने भी अपने विचार रखे.
युवा वक्ताओं ने भावनात्मक साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए बताया कि किस प्रकार परिवारों में बहुत कम उम्र में लड़कों और लड़कियों के बीच अंतर स्थापित किया जाता है. इस दौरान लिंग अंतर और असमानता पर तथ्यात्मक डेटा प्रस्तुत किया गया.
वक्ताओं ने बताया कि महिलाओं के लिए जमीनी सतह से अन्याय को व्यक्त करना कितना कठिन है. वक्ता इस बात पर सहमत दिखे कि महिलाओं को असाधारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. महिलाओं की शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक जरूरतें भी अलग-अलग होती हैं. इस पर प्रकाश डालने की विशेष आवश्यकता है. वक्ताओं ने कानूनी पहलू पर भी चर्चा की.
जमाअत इस्लामी हिन्द के महिला विंग की सह सचिव रहमतुन्निसा ने अलग-अलग वक्ताओं के विचारों को सारांशित किया.