दलित रेप पीड़िता के परिवार ने क्यों कांग्रेस का टिकट ठुकराया?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 16-01-2022
दलित रेप पीड़िता के परिवार ने क्यों कांग्रेस का टिकट ठुकराया?
दलित रेप पीड़िता के परिवार ने क्यों कांग्रेस का टिकट ठुकराया?

 

हाथरस. कांग्रेस ने ‘मैं एक लड़की हूं और लड़ सकती हूं’ के नारे पर चलते हुए यूपी की योगी सरकार में हिंसा की शिकार कई महिलाओं को विधानसभा का टिकट दिया है. दरअसल यह नारा कांग्रेस की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है. कांग्रेस उन्नाव और हाथरस बलात्कार पीड़ितों की एक-एक महिला को टिकट देकर यूपी की योगी सरकार के खिलाफ निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा पर हमला करना चाहती थी.

कांग्रेस, अपने अभियान के तहत, उन्नाव बलात्कार पीड़िता की मां आशा सिंह को मनाने में कामयाब रही, लेकिन हाथरस बलात्कार पीड़िता के परिवार ने विनम्रतापूर्वक पार्टी के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. दरअसल हाथरस रेप पीड़िता के परिवार को डर है कि अगर टिकट लिया गया, तो कोर्ट केस में कोई रुकावट नहीं आएगी.

इससे भी बड़ा डर उनकी सुरक्षा है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हाथरस रेप पीड़िता की बहन या मां को टिकट देने की बात चल रही थी.

रेप पीड़िता के भाई ने कहा, ‘अगर हम राजनीति में आए, तो इंसाफ की राह मुश्किल होगी. इस बारे में जब रेप पीड़िता के भाई संदीप से बात की गई, तो पहले तो वह टिकट ऑफर को लेकर हिचकिचा रहा था, लेकिन फिर उसने खुलकर कहा, ‘आशा सिंह की बेटी का आरोपी जेल में है. हम अभी मुकदमा लड़ रहे हैं. जब राजनीति में आएंगे, तो हमारे खिलाफ भी राजनीति होगी. इस तरह हम मामले को कमजोर करने की कोशिश करेंगे.’

दूसरे, सुरक्षाबलों के जवान उसी सरकार के हैं, जिसके खिलाफ कांग्रेस हमें खड़ा करना चाहती है. सवालिया लहजे में वे कहते हैं, ‘जिन लोगों से वे सुरक्षा चाहते हैं, उनके खिलाफ क्या किया जा सकता है?’

रेप पीड़िता के भाई ने साफ शब्दों में कहा, ‘हमारे गांव में दलितों के 4 घर हैं. पूरे गांव में करीब डेढ़ सौ परिवार रहते हैं. बाकी के घर ठाकुरों और ब्राह्मणों के हैं. रेप के आरोपी ठाकरे भी हैं. हादसे के वक्त वैसे भी हमारे साथ कोई नहीं था.’

अब हम सीधे गांव में निशाने पर हैं. आरोपी इतने मजबूत थे कि सरकार को सुरक्षा देनी पड़ी. फिर बताओ, चुनाव लड़कर हम कहां जाएंगे? इसके अलावा, आसपास के 22 गांव अकेले ठाकुरों के हैं.