आवाज- द वॉयस/ नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा है कि भारत ही ऐसा देश है जहां सत्ताधारी दल की नेता ने किसी धर्म के बारे में आपत्तिजनक आलोचना की तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया. दुनिया के किसी देश में ऐसा देखने को नहीं मिलता. भारत में भी अगर किसी अन्य पार्टी के नेता ने कोई आपत्तिजनक टिप्पणी की तो उस पार्टी ने ऐसा ठोस कदम उठाया हो, इसका कोई उदाहरण नहीं मिलता है.
इंद्रेश कुमार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 'हिमालय- हिंद महासागर राष्ट्र समूह: रिवाइटलाइजिंग द कल्चर एंड मैरिटाइम ट्रेड रिलेशंस' पुस्तक के विमोचन के मौके पर उपस्थित थे. राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच की ओर से आयोजित कार्यक्रम के वह मुख्य अतिथि थे.
कुमार ने कहा, “नुपुर और नवीन ने कुछ गलत कहा तो पार्टी ने उन्हें निकाल दिया. लेकिन, असददुद्दीन ओवैसी कुछ गलत कहें तो उन पर कार्रवाई कौन करेगा, पीएफआइ के नेता कुछ गलत कहें तो उन पर कार्रवाई कौन करेगा. तौकीर रजा कुछ गलत कहते हैं तो उन पर कार्रवाई कौन करेगा?”
इंद्रेश कुमार ने कहा कि हम सबको एक-दूसरे की धार्मिक आस्था का सम्मान करना चाहिए.इंद्रेश कुमार ने कहा, “कश्मीर में टार्गेट किलिंग पर चुप रहने वाले एक तरह से आतंकियों को समर्थन दे रहे हैं.”
कोरोना काल में भारत ने साबित किया है कि भारत विश्व गुरु है. भारत ने पूरी दुनियो को दवाएं और वैक्सीन दी है. भारत के लोगों ने कोरोना के दौरान किसी की भूख से मौत नहीं होने दी.
इंद्रेश कुमार ने कहा कि हिंद महासागर और हिमालय पर्वत आज भी पूरी दुनिया के लिए स्वच्छ पर्यावरण का स्त्रोत हैं. राम और रामायण पूरी दुनिया में प्रेरणास्त्रोत है. पूरी दुनिया में गुड गवर्नेंस का एकमात्र उदाहरण रामराज्य है.
रामायण एक जातिविहीन इतिहास है. रामायण में किसी चरित्र के नाम के आगे कोई सरनेम नहीं लगा है. आज दुनिया जिन चीजों से परेशान है, रामायण का इतिहास उन अपराधों से मुक्त है. रामराज में चोरी नहीं होती थी इसलिए लोग घरों में ताला नहीं लगाते थे. राम राज कोई भूखा नहीं था, सबके पास घर थे, बीमार होने पर सबका इलाज होता था.राम के चरित्र को मिलाकर भारत देश बना है.
इंद्रेश कुमार ने कहा कि दो-तीन साल पहले जेएनयू का माहौल अलग होता था.अब यहां पढ़ाई का माहौल है. इस दौरान पुस्तक के संपादक प्रो. एम महताब आलम रिजवी, गोलोक बिहारी, रजनीश त्यागी समेत डीयू, जेएनयू के फैकल्टी सदस्य व शोध छात्र-छात्राएं मौजूद रहे.