नितिन गडकरी ने वर्धा एसएसपी नुरूल हसन के बारे में क्या कहा कि हो गए वायरल

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 14-11-2022
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वर्धा एसएसपी नुरूल हसन की तारीफ में क्या कहा कि हो गए वायरल
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वर्धा एसएसपी नुरूल हसन की तारीफ में क्या कहा कि हो गए वायरल

 

मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री निधिन गडकरी के एक बयान के बाद महात्मा गांधी की कर्मभूमि रही महाराष्ट्र्र के वर्धा जिले के सीनियर पुलिस अधीक्षक नुरूल हसन सोषल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.वीडियो एक कार्यक्रम का है.

59 मिनट के इस क्लिप में नितिन गडकरी कहते दिख रहे हैं, ‘‘ यहां गुंडागर्दी नहीं चलेगी. आज मैं विशेष तौर से डीसीपी नुरूल हसन को याद कर रहा हूं. यहां जब गांजा, अफीम, चरस और गुंडागर्दी चलती रही थी . तो एक बार मैंने नुरूल हसन जी को बुलाकर कहा कि गुनहगार, गुनहगार होता है. उसकी कोई जाति, धर्म, पंथ नहीं होता. चाहे कोई भी हो. कोई भी पार्टी वाला हो. किसी रानीतिक को सुनना नहीं. ऐसे लोगों को बुलाकर ऐसी धुलाई करो कि ताजबाग में कोई गुनहगार दिखना नहीं चाहिए. मां, बहनों की रक्षा होनी चाहिए. गरीब आदमी के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए.

गडकरी कहते हैं-उन्होंने कहा, सर चिंता मत करिए. और उन्हांेने ईमानदारी से बहुत अच्छा काम किया. आज उन्हें विशेष रूप से याद कर रहा हूं. उन्हें विशेष रूप से धन्यवाद दूंगा.’’नुरूल हसन की तारीफ में वह कहते दिखे-देखो, जो अच्छा होता है वो अच्छा होता है. जो बुरा होता है वो बुरा होता है.

इस वीडियो के बारे में डब्ल्यूसीएल के सीनियर अधिकारी रहे जी कादिर ने बताया कि कुछ दिनों पहले नागपुर इंटेलेक्चुअल फोरम द्वारा सूफिया ए एकराम कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में सभी धर्मों के धर्मगुरु मौजूद थे.

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कार्यक्रम का आयोजन स्थल नागपुर की बड़ी मुस्लिम आबादी वाला ताजबाग था. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नितिन गडकरी थे.नितिन गडकरी नागपुर से सांसद हैं. आरएसएस मुख्यालय से घुग्घुस जिले तक जाने के रास्ते में ही वर्धा पड़ता है, जहां अभी नुरूल हसन एसएसपी हैं.

काम के लिजा से उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के निर्धन परिवार से आने वाले आईपीएस नूरूल हसन बेहद ईमानदार और कर्मठ माने जाते हैं.अक्टूबर में वर्धा स्थांतरण के बाद से जिले में अवैध व्यवसाय, शराब बिक्री, सट्टेबाजी, जुआ अड्डा, गोवंश तस्करी के विरुद्ध लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं.

वह कहते हैं, मैं एक गरीब परिवार से हूं. इस लिए आम जनता की परेशानियों से वाकिफ हूं. जनता का सेवक हूं. उन्हें न्याय देना मेरा प्रथम कर्तव्य है. जिले में अवैध व्यवसाय, गुंडागर्दी बिल्कुल नहीं चलेगी. ताकि गांधी की कर्मभूमि में शांति और कानून व्यवस्था बनी रहे.

एसपी हसन इससे पहले यवतमाल जिले में बतौर अपर पुलिस अधीक्षक डेढ़. साल रहे हैं. इसके अलावा दो वर्षों तक नागपुर में बतौर डीसीपी काम किया. उनके पास महाराष्ट्र के विदर्भ में काम करने का लंबा अनुभव है.

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नुरुल हसन की संघर्ष की कहानी

यूपी के पीलीभीत जिले के एक छोटे से गांव में पैदा हुए नुरुल हसन ने बचपन में शायद ही सोचा होगा कि वो आगे चलकर आईपीएस अफसर बनेंगे. बेहद गरीब परिवार से आने वाले नूरुल ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष देखा है. कहते है, अगर जीवन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो हर असंभव संभव बना सकता है.

पीलीभीत जिले के हररायपुर गांव के रहने वाले नुरुल हसन के परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू में बेहद खराब थी. बचपन में इनके पिता के पास नौकरी तक नहीं थी. हालांकि बाद में उन्हें फोर्थ ग्रेड कर्मचारी की नौकरी मिल गई.

मां घरेलू महिला थीं और नुरुल के दो छोटे भाई भी है. इसके कारण पूरे परिवार का पालन बहुत मुश्किल होता था. नुरुल की प्रारंभिक पढ़ाई गांव में हुई. जब वो क्लास छह में थे, तब जाकर उन्होंने अंग्रेजी का ए,बी,सी, डी  सीखा. यही कारण रहा कि उनकी अंग्रेजी शुरुआत में काफी कमजोर रही.

तंगहाली में स्कूल टॉपर

तंगहाली में बचपन गुजरने के बाद भी नुरुल हसन का मन पढ़ाई से नहीं भटका. नुरुल ने 10वीं में 67प्रतिशत अंक प्राप्त करके अपने स्कूल में टॉप किया. इसके बाद जब उनके पिता को नौकरी मिल गई, तो परिवार गांव छोड़, बरेली शिफ्ट हो गया. बरेली से ही उन्होंने 12 वीं किया. जहां 75 प्रतिशत अंक आए . बरेली में वो एक झुग्गी बस्ती में रहते थे. कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने या उनके परिवार ने कभी पढ़ाई बंद करने के बारे में नहीं सोचा.

कोचिंग के लिए पुश्तैनी जमीन बेची

12 वीं के बाद नुरुल ने आईआईटी से बीटेक करने का फैसला किया. तब उनके पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे. उनके पिता ने कोचिंग के 35000रुपये भरने के लिए गांव की अपनी 1एकड़ जमीन बेच दी. इससे मिले पैसों से नुरुल ने कोचिंग की फीस भरी और पढ़ाई शुरू की.

जमीन बेचने पर उनके परिवार को लोगों की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा. हालांकि उन्हें आईआईटी में एडमिशन नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बीटेक प्रवेश परीक्षा पास कर ली.

इसके बाद एएमयू में दाखिला लिया. एक इंटरव्यू में नुरुल ने बताया कि उनके पास कॉलेज की फीस भरने के भी पैसे नहीं थे. इसलिए उन्होंने बच्चों को फिजिक्स और केमिस्ट्री की ट्यूशन देना शुरू किया. ट्यूशन फीस में मिलने वाले पैसों से उन्होंने कॉलेज की फीस भरी. नुरुल कभी अपने जीवन में आई कठिनाइयों से घबराए नहीं. हर मुश्किल का हल निकाल कर आगे बढ़ते गए.

पहले प्राइवेट नौकरी, फिर वैज्ञानिक

पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्हें एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की थी. मगर एक साल बाद ही प्राइवेट नौकरी छोड़ दी. फिर उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट की परीक्षा दी. उनका चयन तारापुर सेंटर में वैज्ञानिक के पद पर हुआ. यहां से सब कुछ ठीक चल रहा था. दोनों छोटे भाई पढ़ाई कर रहे थे और घर की स्थिति भी ठीक हो चली थी. लेकिन उनका मन यहां से भी उचट गया. वो यूपीएससी की ओर मुड़ गए.

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तीसरे प्रयास में हुआ यूपीएससी में चयन

नुरुल में हमेशा से आगे बढ़ने की चाह रही, यही कारण था कि वे जीवन के संघर्षों को दरकिनार कर आगे बढ़ते रहे. वैज्ञानिक के तौर पर काम करने के दौरान नुरुल ने यूपीएससी के लिए अपना प्रयास आरम्भ कर दिया. पहले एटेम्पट में वह प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर पाए.

इसके बाद और बेहतर तैयारी के साथ उन्होंने एक बार फिर परीक्षा दी और इस बार प्रीलिम्स और मेंस दोनों परीक्षा पास की हालांकि इंटरव्यू में 129मार्क्स आने के कारण उनका चयन नहीं हुआ.नुरुल ने इस असफलता से भी हार नहीं मानी और अपनी कमियों को सुधार कर 2014 में एक बार फिर से सिविल सेवा परीक्षा दी. इस बार उन्होंने ना सिर्फ परीक्षा पास की बल्कि इंटरव्यू में 190 मार्क्स हासिल कर IPS बन गए.

नुरुल हसन का मानना है कि व्यक्ति अपने हालातों को शिक्षा के द्वारा ही बदल सकता है. वह कहते हैं कि यदि उनके पिता ने उनकी शिक्षा के लिए जमीन नहीं बेची होती तो आज वह आईपीएस नहीं होते.