सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, विचाराधीन मामलों में टीवी चैनल पर बहस का क्या अर्थ है ?

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] • 1 Years ago
नूपुर शर्मा
नूपुर शर्मा

 

आवाज- द वॉयस ब्यूरो/ एजेंसी

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनलों पर चल रही बहसों पर कड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा कि टीवी चैनल ने कोर्ट में विचाराधीन मुद्दे पर बहस क्यों की?

असल में, सुप्रीम कोर्ट नूपुर शर्मा की एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई कर रहा था. पैगंबर मोहम्मद पर कथित टिप्पणी के मामले में नूपुर शर्मा ने याचिका दाखिल की थी कि कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज बहुत सारे एफआइआरकी जांच के लिए सभी मामलों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए.

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्टने पूछा कि टीवी चैनल ने अदालत में विचाराधीन मुद्दे पर बहस क्यों आयोजित की. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने पूछा, "टीवी चैनल को इस मामले पर डिबेट करने की क्या जरूरत थी? केवल एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए."

गौरतलब है कि नूपुर शर्मा ने अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ में ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर एक पैनल चर्चा के दौरान विवादास्पद टिप्पणी की थी, जो कोर्ट के समक्ष लंबित है.

इस शो में पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा की टिप्पणी से एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया. देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम देशों की नाराजगी के बाद शर्मा को भाजपा ने प्रवक्ता पद से हटा दिया गया और पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया.

कानूनी मामलों की वेबसाइट लाइव लॉ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने शुक्रवार को सुनवाई में कहा कि बयान उकसाने की स्थिति में दिए गए थे. उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे पर एक ही समुदाय के भीतर गंभीर बहस चल रही है, और शर्मा की टिप्पणी इससे हटकर नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चैनल के पास इस मामले पर चर्चा करने का कोई अधिकार नहीं है, जब मामला कोर्ट में विचाराधीन है. आगे कहा कि अगर शर्मा बहस के कथित दुरुपयोग से व्यथित हैं, तो उन्हें एंकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल एक राष्ट्रीय राजनैतिक दल की प्रवक्ता होने से किसी के खिलाफ अपमानजनक बातें करने का लाइसेंस नहीं मिलता है. अदालत ने आगे कहा, "ये बिल्कुल भी धार्मिक लोग नहीं हैं, ये भड़काऊ बयान देते हैं."

सुप्रीम कोर्ट ने शर्मा पर निचली अदालतों को दरकिनार कर सीधे शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने पर भी आपत्ति जताई. अदालत ने कहा "याचिका में उसके अहंकार की बू आती है कि देश के मजिस्ट्रेट उसके लिए बहुत छोटे हैं."

शर्मा की याचिका पर कोर्ट ने कहा, "अदालत की अंतरात्मा संतुष्ट नहीं है. आप अन्य उपायों का लाभ उठाएं." और इसके तहत शर्मा को याचिका वापस लेने की स्वतंत्रता प्रदान की गई.