नई दिल्ली. केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को यहां ग्रामीण सहकारी बैंकों के एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. ये सम्मेलन सहकारिता मंत्रालय और नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक्स की तरफ से आयोजित किया गया था. मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को लेकर 5साल की रणनीति पर काम करने की जरूरत है. इसके लिए कम्प्यूटरीकरण का काम भी किया जा रहा है.
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि अगर हम पूरे देश के अंदर सहकारिता आंदोलन फैलाना चाहते है, देश की हर तहसील और पंचायत तक इस आंदोलन को ले जाना चाहते हैं तो हमें अलग से रणनीति तैयार करनी होगी. इन्ही सम्मेलनों में इस तरह की रणनीति पर विचार हो सकता है.
सहकारिता मंत्री ने आगे कहा कि कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां हर स्तर पर सहकारिता आंदोलन फला और फूला. जबकि कई राज्य ऐसे भी हैं जहां सहकारिता आंदोलन संघर्ष कर रहा है. यही नहीं कई राज्यों में ये आंदोलन सिर्फ किताबों तक सीमित होकर रह गया है. इसकी लिए अब लंबी रणनीति पर विचार करने की जरूरत है. उन्होंने ये भी कहा कि ग्रामीण भारत को देश के अर्थतंत्र से जोड़ने में ग्रामीण सहकारी बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
इस मौके पर अमित शाह ने कुछ राज्य सहकारी बैंकों, जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों और पैक्स को अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कार भी प्रदान किए. दरअसल नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक्स अपने सदस्यों, शेयरधारकों और मालिकों की उपलब्धियों को बढ़ावा देने के साथ साथ उनके हितों को आगे ले जाने के लिए मंच प्रदान करता है.