वाराणसीः ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वीडियोग्राफी टीम पहुंची, नारेबाजी, भारी फोर्स तैनात

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 06-05-2022
वाराणसीः ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वीडियोग्राफी टीम पहुंची, नारेबाजी, भारी फोर्स तैनात
वाराणसीः ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वीडियोग्राफी टीम पहुंची, नारेबाजी, भारी फोर्स तैनात

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली/ वाराणसी

अदालत द्वारा तैनात एडवोकेट कमिश्नर एडवोकेट अजय कुमार के नेतृत्व में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी करने के लिए टीम परिसर में पहुंच गई है। दोनों पक्षों की ओर से नारेबाजी की जा रही है। हालांकि हल्क तनाव के बावजूद स्थिति नियंत्रण में है। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर किसी भी तनावपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया है।

जब टीम ज्ञानवापी परिसर पहुंची, तो वहां दोनों पक्षों की ओर से नारेबाजी शुरू हो गई। शुक्रवार को इबादत के लिए एक पक्ष के लोग काफी संख्या में पहुंचे हुए थे, तो दूसरे पक्ष के लोग भी टीम के समर्थन में वहां पहुंचे हुए थे। ऐसी आषंकी थी कि टीम को अंदर प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। पुलिस अधिकारी लोगों को नारेबाजी न करने के लिए कह रहे हैं और उन्हें समझा रहे हैं।

1 मई को अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद (ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति) ने कहा था कि वह किसी भी गैर-अकीदतमंदको मस्जिद में प्रवेश नहीं करने देगी और मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी की अनुमति नहीं देगी।

कोर्ट कमिश्नर के नेतृत्व में 36 लोगों की टीम शुक्रवार (6 मई) को दोपहर 3 बजे निरीक्षण शुरू करेगी. निरीक्षण के दौरान किसी भी तनावपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए वाराणसी प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं.

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा था, ‘‘हम वीडियोग्राफी और सर्वेक्षण के लिए मस्जिद परिसर में किसी के प्रवेश की अनुमति नहीं देंगे।’’ उन्होंने कहा कि हम अपने कार्यों के परिणामों का सामना करने के लिए तैयार हैं।

वाराणसी की एक अदालत ने मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी का आदेश दिया था। 18 अप्रैल को, इसने मामले में एडवोकेट अजय कुमार को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया और वीडियोग्राफी 6 और 7 मई को निर्धारित की गई थी। रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने 26 अप्रैल को अपने आदेश में अधिवक्ता आयुक्त को श्रृंगार गौरी पूजा मामले में 3 मई के बाद काम करने को कहा था.

दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने पिछले साल 18 अप्रैल को एक मामला दर्ज कर मंदिर की बाहरी दीवार पर स्थित श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी की दैनिक पूजा की अनुमति की मांग की थी.याचिका में विरोधियों को मूर्तियों को कोई नुकसान पहुंचाने से रोकने के आदेश का भी अनुरोध किया गया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में एडवोकेट कमिश्नर को दोनों पक्षों की मौजूदगी में मस्जिद का सर्वे कराने और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी सुनिश्चित करने को कहा था. 10 मई को रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी।

वादी द्वारा पिछले साल फरवरी में वाराणसी की एक अदालत में दर्शन, पूजा, आरती, भोग की बहाली और भगवान आदि विशेश्वर और देवी माँ श्रृंगार गौरी के अस्थान के मुख्य आसन पर अनुष्ठान करने के लिए एक दीवानी मुकदमा दायर किया गया था।

पिछले साल अप्रैल में, वाराणसी में एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद को बनाने के लिए मंदिर को तोड़ा गया था। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 सितंबर 2021 को फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 मार्च को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मालिकाना हक विवाद मामले में सुनवाई पूरी होने तक नियमित सुनवाई करने का फैसला किया है.