उत्तराखंडः विनाशकारी भूकंप का खतरा, धरती के नीचे हो रही हलचल, वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 26-06-2022
उत्तराखंडः विनाशकारी भूकंप का खतरा, धरती के नीचे हो रही हलचल, वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट
उत्तराखंडः विनाशकारी भूकंप का खतरा, धरती के नीचे हो रही हलचल, वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट

 

आवाज- द वॉयस/ एजेंसी

बीते बुधवार को अफगानिस्तान में आए भूकंप ने वहां तबाही मचा दी. अफगानिस्तान में आए भूकंप को इससे जुड़े दुनिया के अन्य हिस्सों में किसी बड़े भूंकप की चेतावनी समझा जाना चाहिए. वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिंदुकुश पर्वत से नार्थ ईस्ट तक का हिमालयी क्षेत्र भूकंप के प्रति अत्यंत संवेदनशील है, लेकिन भूंकप जैसे खतरों से निपटने के लिए इन राज्यों में कारगर नीतियां नहीं हैं, जिनसे लोगों की जान पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. पर्वतीय क्षेत्रों में भूकंपरोधी तकनीक के बिना बन रहे बहुमंजिला भवन भी खतरे की जद में हैं.

वाडिया संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेश कुमार के मुताबिक, जमीन के नीचे लगातार हलचल चलती रहती है. उत्तराखंड भी इस हलचल के लिहाज से काफी संवेदनशील जोन में है. इस माह अभी तक जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, पिथौरागढ़, ईस्ट खासी हिल्स मेघालय से लेकर यूपी के सहारनपुर तक भूंकप के दर्जनों छोटे-बड़े झटके आ चुके हैं.

भू-वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तराखंड पर बड़े भूकंप का खतरा मंडरा रहा है. प्रदेश के धारचूला क्षेत्र में भूगर्भीय तनाव के कारण भूकंपीय गतिविधियां रिकॉर्ड की गई हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों का भी मानना है कि चीन सीमा पर स्थित लिपुलेख को जोड़ने वाली नई कैलाश मानसरोवर सड़क से करीब 45 किमी दूर पृथ्वी के निचले हिस्से में बड़ी गतिविधि हो रही है. जिसके चलते धारचूला और कुमाऊं हिमालयी क्षेत्र के आसपास सूक्ष्म और मध्यम तीव्रता के भूकंप महसूस किए जा रहे हैं.

वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में भूगर्भीय तनाव और भूगर्भीय संरचना की भी खोज की है. भूगर्भीय तनाव की वजह से भविष्य में इस क्षेत्र में उच्च तीव्रता का भूकंप आने की संभावना है. शोध करने वाले वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक देवजीत हजारिका के अनुसार साल 1905 में कांगड़ा भूकंप और 1934 में बिहार-नेपाल भूकंप के अलावा इस क्षेत्र में पिछले 500 वर्षों में 8 से अधिक की तीव्रता के भूकंप नहीं आए हैं. इसलिए इस क्षेत्र को केंद्रीय भूकंपीय अंतराल (सीएसजी) क्षेत्र या गैप के रूप में जाना जाता है. गैप एक शब्द है, जिसका उपयोग कम टेक्टोनिक गतिविधि वाले क्षेत्र को दर्शाने के लिए किया जाता है.