लखनऊ.
उत्तर प्रदेश में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पंचायतों का एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें जलवायु परिवर्तन के ग्राम स्तर पर प्रभाव और पीपीपी (निजी-पंचायत भागीदारी) मोड के माध्यम से स्थानीय स्तर पर इससे निपटने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी.
इस अवसर पर राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभागों के सहयोग से कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता के अनुसार, जहां 250 पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान कार्यशाला में ऑफलाइन भाग लेंगे, वहीं शेष 58,000 ग्राम पंचायतें ऑनलाइन इसमें शामिल हो सकेंगी.
विभाग के सचिव आशीष तिवारी ने कहा, "पंचायत स्तर पर जिन लोगों ने सराहनीय कार्य किया है, वे कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में अपने अनुभव साझा करेंगे." अन्य सत्र तकनीकी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिन्हें जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए ग्रामीण स्तर पर शुरू किया जाना है.
ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से की जा सकती हैं और शेष सीएसआर के तहत निजी क्षेत्र द्वारा वित्तपोषित की जा सकती हैं.इस कार्यक्रम में ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों के साथ-साथ कॉरपोरेट्स, शिक्षाविद और जलवायु संबंधी विषयों के विशेषज्ञ भी भाग लेंगे.
सम्मेलन का उद्देश्य स्थानीय संस्थानों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जोखिमों से निपटने और समाधान उत्पन्न करने में सक्षम बनाना है.तिवारी ने कहा कि पंचायतों तक पहुंचना गांवों में जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन की दिशा में पहला कदम हो सकता है.