मुहर्रम के निर्देशों से यूपी के के शिया उलमा नाराज

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 02-08-2021
ताजिया
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लखनऊ. उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से जारी मुहर्रम के दिशानिर्देशों को लेकर शिया धर्मगुरुओं ने नाराजगी जताई है. शिया धर्मगुरु सोमवार को अपनी भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए कई बैठकें करेंगे.

अखिल भारतीय शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार शाम को एक बैठक बुलाई है.

शिया मौलवियों का दावा है कि मुहर्रम को लेकर जारी गाइडलाइंस में उत्तर प्रदेश पुलिस ने आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया है.

मुहर्रम के दौरान शांति बनाए रखने के लिए पुलिस आयुक्तों और पुलिस प्रमुखों को डीजीपी कार्यालय द्वारा जारी एक आंतरिक पत्र को ‘शिया समुदाय के खिलाफ आरोप पत्र’ करार देते हुए, मौलवियों ने मांग की कि सरकार को दिशानिर्देशों को तुरंत वापस लेना चाहिए.

मौलाना कल्बे नूरी ने कहा, “यह दिशानिर्देश अस्वीकार्य हैं, क्योंकि यह शांतिप्रिय शियाओं को खराब छवि में दिखाते हैं.”

मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि, दस्तावेज वापस लेने पर ही डीजीपी से बात हो सकेगी.

उन्होंने कहा, “भाषा निंदनीय है. हमने मुहर्रम समितियों से पुलिस और प्रशासन द्वारा बुलाई गई बैठकों का बहिष्कार करने को कहा है.”

शिया मरकजी चंद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि जिस व्यक्ति ने दस्तावेज तैयार किया था, वह जाहिर तौर पर शांति भंग करने की साजिश कर रहा है.

गाइडलाइंस को लेकर मौलवी की मुख्य आपत्ति यह है कि सर्कुलर में मुहर्रम को बार-बार ‘त्योहार’ बताया गया है.

मौलाना यासूब अब्बास ने से कहा, “डीजीपी को पता होना चाहिए कि मुहर्रम निश्चित रूप से ‘त्योहार’ नहीं है, बल्कि शोक का समय है. दिशानिर्देश मुस्लिम समुदाय के प्रति राज्य सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “यह दिशानिर्देश कहते हैं कि तबारा शिया समुदाय की ओर से पढ़ा जाता है. इसमें कहा गया है कि कुछ असामाजिक तत्व इसे जानवरों की पीठ पर लिखते हैं और ऐसी बातें लिखकर पतंग उड़ाते हैं, जो सुन्नी समुदाय के लिए आपत्तिजनक हैं. यह शिया और सुन्नी समुदायों के बीच विभाजन पैदा करने के लिए जानबूझकर की गई कोशिश है.”

शिया मौलवियों ने सभी उलेमाओं और संगठनों से अपील की है कि अगर दिशा-निर्देश वापस नहीं लिया जाता है, तो वे जिला और शहर स्तर पर शांति सभाओं का बहिष्कार करेंगे.

यूपी के पुलिस महानिदेशालय (डीजीपी) मुकुल गोयल ने रविवार रात जारी दिशा-निर्देशों में आदेश दिया कि राज्य में मुहर्रम के साथ-साथ कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन किया जाना चाहिए और प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए मनाया जाना चाहिए.

डीजीपी ने कहा कि किसी भी तरह के हथियार के प्रदर्शन की इजाजत नहीं होगी. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को असामाजिक तत्वों के खिलाफ निवारक कार्रवाई करने और फर्जी और भड़काऊ कंटेंट के लिए सोशल मीडिया पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं.

यूपी डीजीपी ने अपने अधिकारियों से कोविड-19के बारे में जागरूकता फैलाने और मुहर्रम को घर के अंदर मनाने की आवश्यकता के लिए धार्मिक नेताओं के साथ संवाद करने का भी अनुरोध किया.

उन्होंने कहा कि, मुहर्रम पर होने वाले सभी कार्यक्रमों पर शांति समिति की बैठक में फैसला होना चाहिए.

उन्होंने संवेदनशील इलाकों में पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात करने के भी आदेश दिए. डीजीपी ने निर्देश दिया कि, “हर जिले में पर्याप्त संख्या में पुलिस पीएसी बल के रिजर्व रखे जाएं.”

मुहर्रम के दौरान धार्मिक जुलूसों की अनुमति नहीं देने का निर्णय योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा इस महीने की शुरूआत में कोविड -19 महामारी के कारण कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के बाद आया है.