यूपी चुनाव: गुलाम मोहम्मद समेत सपा उम्मीदवारों को मिला रालोद का चुनाव चिन्ह, रालोद परेशान

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
रालोद का चुनाव चिन्ह
रालोद का चुनाव चिन्ह

 

लखनऊ. राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) में इस बात के सामने आने के बाद कि समाजवादी पार्टी के आठ उम्मीदवार रालोद के चुनाव चिह्न् पर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, पार्टी में मुश्किलें बढ़ रही हैं. यह समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा रालोद को दी गई 32 सीटों में शामिल है.


पार्टी सूत्रों के मुताबिक रालोद का गढ़ माने जाने वाले मेरठ और मुजफ्फरनगर की कुछ सीटें सपा के खाते में गई हैं.

 

मसलन सपा नेता और पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को मेरठ के सिवलखास निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया गया, जबकि मनीषा अहलावत को मेरठ छावनी से टिकट दिया गया. दोनों को रालोद का चुनाव चिह्न् दिया गया है.

 

पार्टी के एक नेता ने कहा, "हम गठबंधन में जूनियर पार्टनर हैं, लेकिन पश्चिम यूपी में मजबूत हैं और इस क्षेत्र में दबदबा रखते हैं. ऐसा लगता है कि हमारे प्रमुख जयंत चौधरी सपा के दबाव के आगे झुक गए हैं."

 

राष्ट्रीय जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित जाखड़ के नेतृत्व में पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने मेरठ में दिवंगत चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर धरना दिया.

 

जाखड़ ने कहा, "सीट बंटवारे ने भाजपा को वाकओवर दिया है. हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है. यह अखिलेश यादव हैं, जो मुख्यमंत्री बनने का सपना देखते हैं. अगर वह गठबंधन के नियमों का सम्मान नहीं कर सकते हैं, तो हम जानते हैं कि ऐसी मानसिकता को कैसे हराया जाए."

 

इस मामले में विरोध सिर्फ मेरठ तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य क्षेत्रों में फैल गया है.

 

रालोद के एक नेता ने कहा, "आक्रोश व्यापक है. सपा ने अपने उम्मीदवारों को रालोद के प्रतीक पर खड़ा किया है, जहां जाट बहुमत में हैं और उन्हें सुरक्षित सीटें माना जाता था. उदाहरण के लिए, मथुरा में संजय लातर (हालांकि जाट लेकिन रालोद के चुनाव चिह्न् पर सपा नेता हैं), खतौली में राजपाल सैनी कुछ ऐसे उम्मीदवार हैं."

 

रालोद के पश्चिम यूपी के प्रवक्ता अभिषेक चौधरी ने कहा, "मुजफ्फरनगर में छह विधानसभा सीटें हैं और पांच रालोद के खाते में गई हैं, लेकिन हकीकत में इन पांच में से चार उम्मीदवार रालोद के चुनाव चिह्न् पर सपा के हैं. हमारे साथ धोखा हुआ है."

 

पार्टी नेताओं के मुताबिक 2017 में रालोद और सपा का गठबंधन इसी वजह से टूटा था.

 

रालोद के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "अखिलेश यादव भाजपा के खिलाफ मजबूत नैरेटिव गढ़ने में रालोद की कड़ी मेहनत का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं."