संघ का चुनावी मंत्रः मुसलमानों को मिले टिकट, मोदी की जगह योगी का हो चेहरा आगे

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 08-06-2021
संघ का यूपी चुनाव मंत्रः मुसलमानों को मिले टिकट, मोदी की जगह योगी का चेहरा हो आगे
संघ का यूपी चुनाव मंत्रः मुसलमानों को मिले टिकट, मोदी की जगह योगी का चेहरा हो आगे

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

विधानसभा चुनावों में विपक्षी दलों के हमले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाने से बचाने, मुस्लिम वोटरों को बीजेपी के करीब लाने और उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी के टिकट पर मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारने का फार्मूला तैयार किया गया है.
 
फार्मूला भी किसी और ने नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी दो दिवसीय दिल्ली बैठक में तैयार किया है. यही नहीं यूपी चुनाव में योगी के सिर जीत का सेहरा बांधने और बीजेपी का भविष्य तय करने के लिए संघ ने अपनी रणनीति में भी व्यापक बदलाव की रणनीति बनाई हैै, जिसके तहत सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले का मुख्यालय अब नागपुर के बजाय लखनऊ होगा.
 
पुरानी रणनीति में नया तड़का दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के दो दिवसीय बैठक में लगाया गया है. इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित संगठन के तमाम सीनियर लीडर मौजूद रहे. ‘भास्कर न्यूज पोर्टल’ की एक खबर की मानें तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी के भविष्य की राजनीति का खाका दिल्ली में करीब-करीब तय कर लिया गया. 
 
रिपोर्ट की मानें तो, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दिल्ली की बैठक में साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ने का फैसला लिया गया है. इससे भी महत्वपूर्ण निर्णय यह है कि यूपी और दूसरे पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा इस्तेमाल नहीं होगा.
 
संघ का मानना है कि क्षेत्रीय नेताओं के मुकाबले प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को सामने रखने से उनकी छवि को नुकसान हुआ है. विरोधी बेवजह उन्हें निशाना बनाते हैं. संघ किसी भी नेता को अलग करने या नाराजगी के साथ छोड़ने के लिए तैयार नहीं.
 
अब यूपी चुनाव में योगी को खरा उतरना है. महाराष्ट्र में शरद पवार परिवार को साथ लाने पर भी बैठक में विचार किया गया. इसे महाराष्ट्र की भविष्य की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. हाल में कुछ ऐसी घटनाएं महाराष्ट्र मंे घटी हैं जिससे शिव सेना, कांग्रेस और शराद पवार की पार्टी के बीच मन मुटाव बढ़ा है.
 
 

बंगाल में हुआ नुकसान 


‘भास्कर’ की रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएस की दिल्ली में हुई बैठक में पश्चिम बंगाल के चुनावों को लेकर गंभीर चिंतन और समीक्षा की गई. संघ नेताओं का मानना है कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में ममता बनाम मोदी की रणनीति से नुकसान हुआ.
 
इसमें चुनाव हारने से ज्यादा अहम यह है कि राजनीतिक विरोधियों को प्रधानमंत्री मोदी पर बार-बार हमला करने का मौका मिला. इससे उनकी इमेज को नुकसान हुआ है. इससे पहले भी बिहार में 2015 के विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार के खिलाफ और फिर दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ इस रणनीति से कोई फायदा नहीं हुआ.
 
 

मुस्लिम वोटर करीब लाने की रणनीति


पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और देश के बाकी हिस्से में कांग्रेस ने मोदी की इमेज मुसलमान विरोधी बनाने की रणनीति अपनाई हुई. इससे मुसलमान वोटर एकजुट हो गए हैं. पश्चिम बंगाल चुनाव में 70 प्रतिशत से ज्यादा मुसलमानों ने तृणमूल कांग्रेस को वोट देकर चुनाव नतीजों को एकतरफा कर दिया.
 
उत्तर प्रदेश में भी मुसलमान आबादी काफी है. करीब 75 सीटों पर वे चुनावी नतीजों पर असर डाल सकते हैं. यूपी में मोदी को चेहरा बनाने पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस फिर से मुसलमानों को एकजुट करने में कामयाब हो सकती हैं.
 
ऐसे में भाजपा को चुनाव में भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है. पिछले पांच वर्षों में यूपी के माहौल में काफी बदलाव आया है. उर्दू के शायर इमरान प्रतापगढ़ी को कांग्रेस ने पार्टी के अल्पसंख्यक ईकाई का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है. प्रतापगढ़ी कांग्र्रेस के उन नेताओं में शामिल हैं, जो बीजेपी की मुस्लिम विरोधी छवि को पेंट करने में आगे रहे हैं.
 

योगी पर भरोसा


सूत्रों की मानें तो संघ की दिल्ली बैठक में कहा गया कि खासतौर से पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी की इमेज मुसलमान विरोधी नहीं है. गोरखपुर के साथ जुड़े इलाकों में मुसलमानों और पिछड़ों में गोरखनाथ मंदिर पर भरोसा है. मुख्यमंत्री बनने से पहले तक योगी आदित्यनाथ मंदिर के महंत के तौर पर स्थानीय मुसलमानों के विवाद मंदिर में बैठकर सुलझाते और उनकी मदद करते रहे हैं. मकर सक्रांति पर मंदिर में लगने वाले खिचड़ी मेला में ज्यादातर दुकानें मुस्लिम व्यवसायियों की होती हैं.
 
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में एक और अहम बात पर गंभीरता से विचार किया गया है. इस बार यूपी विधानसभा चुनावों में बीजेपी मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारे. इससे उसकी मुस्लिम विरोधी छवि बनाने का मौका विरोधियों को नहीं मिलेगा. इस पर अंतिम फैसला पार्टी को करना है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था. पश्चिम बंगाल चुनाव में भी बीजेपी ने एक भी मुस्लिम कैंडिडेट मैदान में नहीं उतारे थे.
 

मोदी-योगी में टकराव नहीं

आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक भले ही आप ना मानें, लेकिन यह सच है कि मोदी-योगी के बीच कोई विवाद नहीं है. योगी के ट्विटर अकाउंट या पोस्टर से मोदी की फोटो हटाने की वजह विधानसभा चुनाव योगी के चेहरे के साथ लड़ने का निर्णय है. दोनों नेताओं को साथ काम करने और इस छवि को मजबूत करने के लिए कहा गया है. इसलिए अब यूपी के पोस्टर पर योगी आदित्यनाथ के अलावा यूपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा दिखाई देंगे.


शायद इसीलिए 


सोमवार शाम प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश को देखते हुए योगी की फोटो जारी की गई है. मुख्यमंत्री ने वैक्सीन मुफ्त करने के केंद्र के फैसले पर प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया है. हालांकि, अब भी बीजेपी नेतृत्व को अंतिम निर्णय करना है कि क्या वह सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव मैदान में उतरना चाहती है.
 

21 जून से फ्री वैक्सीनेशन की वजह


प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन मुफ्त करने की योजना को 21 जून से शुरू करने का ऐलान किया. उस दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर याद किया जाता है, लेकिन 21 जून की तारीख संघ और बीजेपी के लिए एक और वजह से खास है. संघ के पहले संस्थापक सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार की पुण्यतिथि 21 जून को होती है.
 
प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबों की राशन योजना फिलहाल दीपावली तक जारी रखने का ऐलान किया है, ताकि इसे विधानसभा चुनावों से जोड़कर नहीं देखा जाए, लेकिन बहुत संभव है कि इसे बाद में फिर कुछ और समय के लिए बढ़ा दिया जाए. इस साल दिसंबर तक 200 करोड़ वैक्सीन डोज लगाने की योजना और उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी गृहमंत्री अमित शाह को सौंपी गई है.
 

संघ ने संभाली कमान


दो दिन चली बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत सिर्फ एक दिन के लिए ही रहे. वे नागपुर से दिल्ली आकर फिर नागपुर लौट गए. संघ की इस बैठक में क्षेत्रीय मुख्यालयों के प्रभारी और अन्य जिम्मेदारियों पर भी निर्णय किए गए. इसमें सबसे अहम है सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले का मुख्यालय नागपुर के बजाय लखनऊ होगा.
 
पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी प्रधानमंत्री मोदी और सरसंघचालक भागवत के बीच समन्वय का काम देखेंगे. सरसंघचालक नागपुर में ही रहेंगे. सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य को भोपाल मुख्यालय दिया गया है.