नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन संकट पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के रुख का जिक्र करते हुए, भारत में जर्मन राजदूत, वाल्टर जे लिंडनर ने रविवार को कहा कि भारत के पास उत्कृष्ट राजनयिक सेवा है और वैश्विक विश्व व्यवस्था को देखते हुए उनके राजनयिक जानते हैं कि इस मुद्दे पर भारत के रुख के संबंध में क्या करना है.
एएनआई से बात करते हुए, जर्मन दूत ने कहा, ‘‘भारत के पास उत्कृष्ट राजनयिक सेवा है, वे जानते हैं कि क्या करना है ... यह यूक्रेन या यूरोपीय संघ या नाटो के बारे में नहीं है ... यह वैश्विक विश्व व्यवस्था के बारे में है ... हम सभी को करना है इसके खिलाफ एक साथ खड़े हों.’’
लिंडनर ने कहा कि यूरोपीय संघ वैश्विक मामले में भारत की भूमिका को कैसे देखता है. भारत और 34 अन्य देशों ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव से परहेज किया, जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई को लेकर उसकी निंदा की गई थी. भारत ने इससे पहले यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र का आह्वान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रक्रियात्मक मतदान में भाग नहीं लिया था.
चीन और संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत ने पिछले हफ्ते यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ अमेरिका द्वारा प्रायोजित एक प्रस्ताव से परहेज किया था. मास्को ने प्रस्ताव को वीटो कर दिया था.
हम सभी लिंडनर ने कहा, ‘‘वैश्विक व्यवस्था देखें. क्या हम चाहते हैं कि एक शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक पड़ोसी पर इस तरह का व्यापक, आक्रामक हमला खेल का नियम है? यह भविष्य में हर विवादित सीमा के लिए हिंसा का सहारा लेने के लिए एक मिसाल कायम करेगा. इसलिए पुतिन के खिलाफ एक साथ खड़ा होना होगा और ‘नो पुतिन, स्टॉप इट’ कहना होगा.’’
नाटो के लिए जर्मनी की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘आपको यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से पूछना होगा, क्योंकि उन्होंने ‘पहले दिन’ से झूठ बोलना शुरू कर दिया था कि सैन्य निर्माण सिर्फ एक युद्धाभ्यास था. उन्होंने कहा कि वह आक्रमण नहीं कर रहे हैं, बस वहां रूसी भाषी लोगों को बचा रहा है. वह हर किसी पर बमबारी कर रहा है, फिर वह कहता है कि हमारे लोग शांतिदूत हैं और वे क्या करते हैं? वे सप्ताह के सातों दिन, दिन-रात सभी को गोली मारते हैं. वह झूठ बोल रहा था. नाटो है एक रक्षा गठबंधन, हम कभी आक्रामक नहीं हुए, कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया, कभी किसी पर हमला नहीं किया.’’
रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू किया, जिसके तीन दिन बाद मास्को ने यूक्रेन के अलग क्षेत्रों - डोनेट्स्क और लुहान्स्क - को स्वतंत्र संस्थाओं के रूप में मान्यता दी.
यूके, यूएस, कनाडा और यूरोपीय संघ सहित कई देशों ने यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियानों की निंदा की है और मास्को पर प्रतिबंध लगाए हैं. इन देशों ने यूक्रेन से रूस से लड़ने के लिए सैन्य सहायता में मदद करने का भी वादा किया है.
जर्मन राजदूत ने कहा, ‘‘पुतिन का विचार अपने पड़ोसी देश पर हमला करने का था, उसे रुकना होगा और उसके बाद ही हम कोई समाधान निकाल सकते हैं.’’
रूस पर प्रतिबंधों के बारे में लिंडनर ने कहा, ‘‘हमारा रुख अन्य यूरोपीय देशों जैसा ही है. हम कहते हैं कि हमारे दरवाजे उन लोगों के लिए खुले हैं, जो युद्ध से जीवन के लिए भाग रहे हैं, ‘पुतिन का युद्ध.’ हमने एक निर्णय लिया है, यूरोपीय संघ, जो कोई भी यूक्रेन से आता है, वह चुन सकता है कि किस देश में प्रवेश करना है और हम उन्हें लेते हैं, हम उनके लिए एक जगह ढूंढते हैं. यदि आप इन लोगों (यूक्रेनी) के साथ पूरे यूरोप में एकजुटता देखते हैं, तो यह अविश्वसनीय है, इसलिए, हर कोई पुतिन के इस युद्ध के लिए कीमत चुकानी होगी और हम इसे चुकाने के लिए तैयार हैं. हम शरणार्थियों के साथ अपने कमरे, भोजन साझा करते हैं. यह एक आपात स्थिति है, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार हमारे बीच भूमि युद्ध हुआ था. यह एक भयानक स्थिति है.’’
लिंडनर ने यह भी कहा कि इस संकट के परिणामस्वरूप ‘‘लाखों शरणार्थी हैं, 1.5 मिलियन की संयुक्त राष्ट्र ने पुष्टि की है और और भी होंगे, हजारों लोग हैं जो या तो मारे गए हैं या दोनों पक्षों से घायल हुए हैं, जिनमें नागरिक, बुजुर्ग, बच्चे और जो महिलाएं शरण मांग रही थीं.’’
उन्होंने यह भी कहा कि रूस परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर हमला कर रहा है और रूस द्वारा प्रेस पर भारी कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा, ‘यह युद्ध का 10 वां दिन है और केवल एक ही व्यक्ति इसे बदल सकता है - पुतिन.’’
जर्मनी की ऊर्जा जरूरतों के बारे में बोलते हुए, जो यूरोप में अधिकतम है, और प्रतिबंधों से गतिशीलता कैसे प्रभावित होगी, उन्होंने कहा, ‘‘जर्मनी रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का जोरदार समर्थन कर रहा है, हालांकि हमारी रूसी गैस पर काफी निर्भरता है. हमने कम किया है, बंद कर दिया है. रूस से नई पाइपलाइन आ रही है. हमने अपने सैन्य बजट को अपने राष्ट्रीय बजट के 2 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने का फैसला किया है और यूक्रेन को हथियार निर्यात कर रहे हैं. हम सभी वित्तीय और आर्थिक प्रतिबंधों में भाग लेते हैं और चूंकि जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है, यह वास्तव में प्रतिबंधों को दांत देता है. पुतिन प्रतिबंधों को महसूस करेंगे, साथ ही साथ उनके दल और कुलीन वर्ग भी.’’