सूफी महोत्सव ' जहान ए खुसरो ' जयपुर में

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 17-11-2022
दो दिवसीय सूफी महोत्सव जहान ए खुसरो शुक्रवार से जयपुर में
दो दिवसीय सूफी महोत्सव जहान ए खुसरो शुक्रवार से जयपुर में

 

मंसूर उद्दीन फरीदी / नई दिल्ली

कोरोना काल की समाप्ति के साथ दुनिया फिर पटरी पर लौट आई है. कोरोना ने जीवन से जिस रंग को छीन लिया था, उसका जलवा फिर से दिखाने लगा है. पार्टियों और संगोश्ठियां के दौर चल पड़े हैं. शामें रंगीन होने लगी है. साहित्य की दुनिया हो या कवि सम्मेलन-मुशायरा, मंच फिर से सजने लगे हैं. इसमें सेएक जहान ए खुसरो की भी वापसी हो रही है.

यह दो दिवसीय महोत्सव 19और 20नवंबर को संस्कृति और विरासत की भूमि जयपुर में आयोजित होगी . सूफी संगीत और कलाओं की खूबसूरती महफिल सजाने की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.देश के चर्चित फिल्म निर्माता और कलाकार मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित, डिजाइन और परिकल्पित, यह महोत्सव राजस्थान पर्यटन द्वारा प्रायोजित है. कार्यक्रम स्थल खोसरोसला चौक के ओपन-एयर थिएटर को बनाया गया है.

मुजफ्फर अली बताते हैं, महोत्सव का मुख्य उद्देश्य पूरब और पश्चिम के बीच पुल निर्माण करना और दर्शकों को इसकी सार्वभौमिकता का एहसास कराना है. इसके अलावा विश्व के लिए सूफी संगीत के नए दर्शक तलाशी भी है.

जहान ए खुसरो की घोषणा करते हुए कहा गया है कि 19नवंबर को जहान ए खुसरो के मंच से शानदार शुरुआत होगी. शिवानी वर्मा एक सुंदर नृत्य और कोरियोग्राफी का प्रदर्षन करेंगी.मुजफ्फर अली ने इस वार्षिक सूफी उत्सव में दुनिया भर के कलाकारों को एक साथ लाने और खास तरह की संगीत शैली से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की तैयारी की है .

jhan

बड़े नाम और लोकप्रिय चेहरे

इस साल भी जहान ए खुसरो के मंच पर कुछ असाधारण कलाकार दिखेंगे, जो सूफी संगीत और सूफी आवाज को जीवंत रखे हुए हैं.जावेद अली और नूरान सिस्टर्स जैसे असाधारण कलाकारों के जादू का भी आनंद उठाया जा सकेगा . शिंजनी कुलकर्णी, नेहा सिंह मिश्रा, शिवानी वर्मा और अवनव मुखर्जी द्वारा कोरियोग्राफ और परफॉर्म किए गए कथक के शानदार प्रदर्शन होंगे.

बता दें कि खुसरो इंटरनेशनल सूफी म्यूजिक फेस्टिवल की शुरुआत 2001में रूमी फाउंडेशन द्वारा दिल्ली में की गई थी. इसके तहत जहान ए खुसरो की महफिल आयोजित कर उपमहाद्वीप की समृद्ध परंपराओं को जोड़ने का प्रयास किया जाता है.

जहान ए खुसरो में पिछले दशक में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, उज्बेकिस्तान, ईरान, इजराइल, मोरक्को, ट्यूनीशिया, तुर्की, इटली, सूडान, मिस्र, ग्रीस, जर्मनी, जापान, अमेरिका के विभिन्न हिस्सों के सूफी गायक, नर्तक जुड़ते रहे हैं.

रूमी फाउंडेशन

जहान ए खुसरो असल में रूमी फाउंडेशन से संबध है. संगठन का उद्देश्य ग्रामीण कौशल, संस्कृतियों, स्मारकों का संरक्षण, सांस्कृतिक फिल्मों की प्रदर्शनी और संगीत की मान्यता को प्रमुख मंच देना है. इसके अलावा लखनऊ में प्रसिद्ध वाजिद अली शाह महोत्सव भी रूमी फाउंडेशन आयोजित करता रहा है.

 भारत और अमीर खुसरो

अमीर खुसरो की साहित्यिक और काव्यात्मक उपलब्धियां किसी से छिपी नहीं है. वे मध्यकालीन सभ्यता के बहुमुखी व्यक्तित्व, उच्च कोटि के संगीतज्ञ, सिद्ध विद्वान, सिद्ध कवि, इतिहासकार, शोधार्थी, आलोचक और उच्च कोटि के भाषाविद थे.इन सभी गुणों के साथ वे एक वीर और देशभक्त सैनिक भी थे.

वे निजामुद्दीन औलिया के प्रिय अनुयायी थे. अपने गुरु के प्रति उनकी बड़ी श्रद्धा थी, जबकि उनके गुरु निजामुद्दीन औलिया ने उन्हें भारत के तोता की उपाधि दी थी.खुसरो को उर्दू भाषा के आविष्कारक के रूप में भी जाना जाता है.

दुनिया की पहली उर्दू शायरी का श्रेय भी खुसरो को के पक्ष में है. कई अन्य आविष्कारों का श्रेय उनके हिस्से में है, जिनमें कव्वाली, संगीत राग और वाद्य यंत्र आदि शामिल हैं. वे संगीत के उस्ताद थे. उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रमुख स्तंभ माना जाता है. तबला और सितार पर तीसरे तार का आविष्कार उन्होंने ही किया था, जो शास्त्रीय संगीत का मुख्य उपकरण है.