देशों के बीच भरोसे की कमी बड़ी चुनौतीः प्रधानमंत्री

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 17-09-2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली

"एससीओ की 20वीं वर्षगांठ अपने भविष्य के बारे में सोचने का सही समय है. इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी है. इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता कट्टरवाद है. अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को उजागर किया है." यह विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन एससीओ के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में व्यक्त किए. प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और ट्रस्ट डेफिशिट (भरोसे की कमी) से संबंधित है.इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ कट्टरवाद है. अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है. इस मुद्दे पर एससीओ को पहल लेकर कार्य करना चाहिए.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि मध्य एशिया का क्षेत्र उदारवादी और प्रगतिशील संस्कृति का और मूल्यों का एक प्रकार का गढ़ रहा है, किला रहा है. सूफीवाद जैसी परंपरा यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैली. पीएम मोदी ने कहा, “आज हम एससीओ की 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. मैं एससीओ के नए सदस्य के रूप में ईरान का स्वागत करता हूं. मैं तीन नए भागीदारों . सऊदी अरब, मिस्र और कतर का भी स्वागत करता हूं.” 

उन्होंने कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. हमारा मानना है कि भारत के विशाल बाजार से जुड़कर मध्य एशियाई देश अत्यधिक लाभान्वित हो सकते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी संपर्क एकतरफा नहीं हो सकता. आपसी विश्वास सुनिश्चित करने के लिए संपर्क योजना परामर्शी और भागीदारीपूर्ण होनी चाहिए. सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए.

हमें अपने प्रतिभाशाली युवाओं को विज्ञान और तर्कसंगत सोच की ओर आकर्षित करना चाहिए. हम भारत को एक उभरती हुई तकनीक में एक हितधारक बनाने के लिए अभिनव जुनून पैदा करने के लिए अपने स्टार्टअप और उद्यमियों को एक साथ ला सकते हैं.