त्रिपुरा चुनावः भाजपा की भारी जीत, टीएमसी, माकपा हुई ढेर

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 28-11-2021
त्रिपुरा चुनावः भाजपा की भारी जीत, टीएमसी, माकपा हुई ढेर
त्रिपुरा चुनावः भाजपा की भारी जीत, टीएमसी, माकपा हुई ढेर

 

अगरतला. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक बार फिर महत्वपूर्ण त्रिपुरा नागरिक निकाय चुनावों में अपनी शक्ति बरकरार रखी है और विपक्षी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस को हाशिए पर ला दिया.

भारत के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कुल 222 सीटों में से, भाजपा ने कुल 217 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि सीपीआई-एम ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की और टीएमसी और टीआईपीआरए मोथा को केवल एक-एक सीट मिली.

13 शहरी स्थानीय निकायों के लिए चुनावी लड़ाई ध्यान का केंद्र बन गई. भारत के सर्वोच्च न्यायालय को टीएमसी और सीपीआई-एम द्वारा दायर कई याचिकाओं के जवाब में हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसमें नगरपालिका चुनावों की मतगणना को स्थगित करने का आग्रह किया गया था.

राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, सत्तारूढ़ बीजेपी ने अगरतला नगर निगम, सबरूम, बेलोनिया, मेलागढ़, सोनमुरा, अमरपुर और जिरानिया नगर परिषदों में क्लीन स्वीप किया है.

राज्य चुनाव आयोग ने कहा, ‘माकपा ने पानीसागर में अपनी पहली जीत दर्ज की, जहां भाजपा ने 13 सदस्यीय बोर्ड में 12 सीटें जीती हैं. कैलाशहर में, सीपीआई-एम को एक और जीत मिली, जिससे प्रमुख विपक्षी दल की कुल संख्या दो हो गई.’.

इस बीच, अंबासा में, टीएमसी निकाय चुनावों में अपनी पहली जीत दर्ज करने में सफल रही, जबकि सीपीआई-एम भी एक सीट हासिल करने में सफल रही. टीटीएएडीसी सत्तारूढ़ टीआईपीआरए मोथा ने निकाय चुनावों में चुनावी शुरुआत की थी और उसे अंबासा में एक सीट मिली थी.

इसके अलावा, खोवाई और तेलियामुरा जैसे अन्य नगर निकायों में, भाजपा ने सभी सीटें जीतकर अपना दबदबा बनाए रखा, डेटा ने आगे बताया.

चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, माकपा के राज्य सचिव, जितेंद्र चौधरी ने कहा, ‘चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से, सत्तारूढ़ भाजपा ने सभी चीजों में हेरफेर करने की कोशिश की, इसलिए परिणाम उनके पक्ष में गए. हमने मतगणना का बहिष्कार किया है, क्योंकि हमने पहले ही अगरतला नगर निगम सहित पांच चयनित शहरी स्थानीय निकायों में चुनाव काउंटरमांड की मांग कर चुके हैं.’

हालांकि, चौधरी ने आगे इस तथ्य को स्वीकार किया कि परिणाम अप्रत्याशित थे और सीपीआई-एम ने सोचा कि लोगों के बीच असंतोष वोटों के माध्यम से दिखाई देगा.

उन्होंने कहा, ष्हमने सोचा था कि शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में वोटों के माध्यम से जनता की नाराजगी दिखाई देगी. लेकिन, हमारी आशंका गलत हो गई. सभी विवरण प्राप्त करने के बाद, हम तदनुसार विश्लेषण और रणनीति बनाएंगे.ष्

वामपंथी गढ़ों में टीएमसी के उदय के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी इस संबंध में भी काम करेगी.

त्रिपुरा की टीएमसी संचालन समिति के प्रमुख सुबल भौमिक ने कहा, ष्टीएमसी ने त्रिपुरा की राजनीति में धीरे-धीरे पैठ बना ली है और जिस तरह से कुछ हिस्सों में पार्टी ने दूसरा स्थान हासिल किया है, उससे संकेत मिलता है कि यह उनके लिए एक वृद्धि है.ष्

त्रिपुरा भाजपा के उपाध्यक्ष राजीव भट्टाचार्जी ने कहा, ष्नगरीय निकायों के लोगों ने विकास के तीसरे इंजन को फिट कर दिया है और अब शहरी स्थानीय निकायों के निवासियों के लिए विकास का रोडमैप तैयार है.ष्

भाजपा के वरिष्ठ नेता रतन चक्रवर्ती और सूचना एवं सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुशांत चौधरी ने टीएमसी पर निशाना साधा और कहा कि त्रिपुरा के लोगों ने राज्य में अशांति पैदा करने की कोशिश करने वालों को करारा जवाब दिया.

25 नवंबर को हुए मतदान में कुल 81.54 प्रतिशत मतदान हुआ.

2018 में त्रिपुरा में सत्ता में आने के बाद भाजपा ने पहला निकाय चुनाव लड़ा था.

इससे पहले महीने में, अगरतला नगर निगम (एएमसी) और 12 अन्य नगर निकायों के चुनाव के दौरान हिंसक घटनाओं के बाद त्रिपुरा में तनाव बढ़ गया था.