चंद्रपुर
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले स्थित ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व (TATR) से एक युवा बाघिन को पकड़कर सह्याद्री टाइगर रिज़र्व (STR) में स्थानांतरित किया गया है। यह कदम राज्य में बाघों के प्रजनन और दीर्घकालिक संरक्षण को बढ़ावा देने की व्यापक योजना का हिस्सा है।
सोमवार को वन विभाग, पशु चिकित्सा अधिकारियों और रैपिड रेस्क्यू टीम सहित विशेषज्ञों की टीम ने सफलतापूर्वक इस बाघिन—T7_f_S2_f—को बेहोश कर पकड़ा। यह बाघिन TATR की प्रसिद्ध बाघिन T7 की संतान है, जिसकी जानकारी रिज़र्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. प्रभु नाथ शुक्ला ने दी।उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन बाघिन के विशाल होम रेंज में रणनीतिक रूप से अंजाम दिया गया, जो ताड़ोबा और कोलारा दोनों कोर क्षेत्रों में फैला हुआ है।
सह्याद्री में फिर से बसाया जाएगा बाघों का कुनबा
डॉ. शुक्ला के अनुसार, यह स्थानांतरण सह्याद्री रिज़र्व में एक सक्षम प्रजनन आबादी तैयार करने की परियोजना का हिस्सा है। वहां बाघों की संख्या बहुत कम है और नई, आनुवंशिक रूप से भिन्न बाघिन लाने से इनब्रीडिंग (समान वंश में प्रजनन) रोका जा सकेगा। इससे महाराष्ट्र में बाघों की दीर्घकालिक आबादी को मजबूत करने में मदद मिलेगी।यह ताड़ोबा से सह्याद्री भेजी जा रही दूसरी बाघिन है।
स्वास्थ्य जांच और सॉफ्ट रिलीज़ प्रक्रिया
बाघिन को पकड़ने के बाद उसकी विस्तृत स्वास्थ्य जांच की गई और उसे VHF/GPS रेडियो कॉलर पहनाया गया ताकि उसकी गतिविधियों की निगरानी की जा सके।सह्याद्री रिज़र्व पहुंचने पर बाघिन को पहले एक नियंत्रित अस्थायी बाड़े में रखा जाएगा, जिसे “सॉफ्ट रिलीज़” कहा जाता है, ताकि वह नए वातावरण के अनुकूल हो सके।यह कदम महाराष्ट्र की बाघ संरक्षण रणनीति में एक महत्वपूर्ण प्रगति माना जा रहा है।






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