घर पर भी पहने मास्क, रेमेडिसिवर कोई जादू नहींः स्वास्थ्य मंत्रालय

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 2 Years ago
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल

 

आवाज- द वॉयस/ नई दिल्ली

देशभर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने सोमवार को कहा कि अब ऐसा समय आ गया है जब लोगों को घर के भीतर भी मास्क पहनकर रहना चाहिए. इसके साथ-साथ मेहमानों को अपने घर नहीं बुलाना चाहिए. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के संक्रमण के संबंध में देश में आई सुनामी के मद्देनजर एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया था.

नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने कहा कि यदि घर में कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है, तो उसे मास्क पहनना ही चाहिए, ताकि घर के अन्य लोग उसके कारण संक्रमित न हों. डॉ पॉल ने कहा,“मैं तो यह कहूंगा कि अब समय आ गया है कि हम सामान्य तौर पर भी घर के भीतर मास्क पहनना शुरू करें. हम घर के बाहर मास्क लगाने के बारे में बात करते थे, लेकिन संक्रमण जिस तरह फैल रहा है, उसे देखते हुए यदि हम घर के भीतर किसी के भी पास बैठे हैं, तो भी हम मास्क पहनें.”

पॉल ने कहा, यदि घर में कोई संक्रमित व्यक्ति है, तो उस व्यक्ति को और घर में रह रहे अन्य लोगों को भी मास्क लगाना चाहिए तथा संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि यदि घर में इस प्रकार की सुविधा नहीं है, तो लोगों को पृथक-वास केंद्रों में जाना चाहिए.पॉल ने कहा कि अस्पताल में भर्ती होना ही एकमात्र विकल्प नहीं है और 'अस्पताल के बिस्तर जरूरतमंद लोगों के लिए होते हैं.”

वहीं, एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अस्पताल की सुविधाओं के उपयोग के लिए सामुदायिक भागीदारी अहम है और लोगों में गैर-जरूरी घबराहट की वजह से अधिक नुक्सान हो रहा है. उन्होंने कहा कि सामान्य ऑक्सीजन स्तर और मामूली लक्षण वाले लोग भी अस्पतालों में भर्ती होना चाहते हैं, जिसके कारण वाकई जरूरतमंद मरीजों को अस्पतालों के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है और उन्हें उचित इलाज नहीं मिल पा रहा.

डॉ गुलेरिया ने साफ कहा कि रेमडेसिवीर ऑफिसियल ड्रग नहीं है और सिर्फ इसी से ठीक होंगे, यह गलत धारणा है. उन्होंने कहा कि इस दवा का दुरुपयोग रोकने की जरूरत है और जिसका संक्रमण बहुत हल्का हो उन्हें यह देने की जरूरत नहीं है.

डॉ गुलेरिया ने कहा कि 85 फीसद लोगों को बुखार,नजला में घरेलू दवा और स्टीम लेने से ही ठीक हो जाएगा. उन्होंने कहा कि भीड़-भाड़ में जाने से बचें और मास्क सबसे जरूरी है.

डॉ गुलेरिया ने कहा कि अगर शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 94 से अधिक है तो यह पर्याप्त है और ऑक्सीजन सिर्फ उन्हें लगाने की जरूरत है जिनका लेवल 90 से कम है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से अपील की कि अगर कोरोना के लक्षण नजर आएं तो टेस्ट जरूर करवाएं और अपने परिवार से दूरी बना लें ताकि अन्य सदस्य संक्रमित न हों.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, “यह लड़ाई सरकार और समाज को मिलकर लड़नी होगी. अभी लोगों में घबराहट है, सही जानकारी नहीं है. इसलिए टेस्टिंग पर ध्यान देना जरूरी है.”

अग्रवाल ने कहा, “देश मे 90 फीसद स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लग चुके हैं. और देशभर में सभी होम आइसोलेशन केसेस की निगरानी होनी चाहिए.”
स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि कोविड बढ़ने का कारण सोशल डिस्टनेंसिंग का पालन नहीं होना और मास्क का सही ढंग से न पहनना है. मंत्रालय के मुताबिक, देश में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी है अब मेडिकल ऑक्सीजन का प्रोडक्शन 9,103 मेट्रिक टन तक बढ़ाया गया है लेकिन इसका परिवहन अभी भी चुनौती  है, क्योंकि ऑक्सीजन का उत्पादन देश के पूर्वी क्षेत्र में ही हो रहा है.

अग्रवाल ने बताया कि ऑक्सीजन सप्लाई का समय बचाने के लिए वायुसेना के जहाजों से टैंकर भेजे जा रहे हैं. रेल मंत्रालय ने स्पेशल ऑक्सीजन रेल चलाना शुरू किया और ट्रांसपोर्ट मंत्रालय राज्यों के साथ मिलकर ऑक्सीजन टैंकरो की जीपीएस सिस्टम से ट्रैकिंग कर रहे हैं.

गृह मंत्रालय ने ऑक्सीजन सप्लाई में कोई बाधा ना आए इसके निर्देश सभी राज्यों को दिए हैं और इन ऑक्सीजन टैंकरों को एम्बुलेंस की तरह ट्रीट किया जाएगा.

नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पाल ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोग घरों में भी मास्क पहने. उन्होंने कहा कि तबीयत खराब होने पर भी पैनिक नहीं करना है. 85 फीसदी व्यक्ति घर पर ही ठीक हो सकते हैं. बस गार्गल करते रहना है. पेरासिटामोल, आईवर्मेक्टिन घर में ले सकते है, उल्टा लेट सकते हैं और सभी को अस्पताल की जरूरत नहीं है.