वन-चाइना पॉलिसी के खिलाफ मार्च करेंगे तिब्बती एक्टिविस्ट तेनजिन

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 3 Years ago
तिब्बती एक्टिविस्ट एवं लेखक तेनजिन त्सुंडु (माथे पर लाल पटका पहने हुए)
तिब्बती एक्टिविस्ट एवं लेखक तेनजिन त्सुंडु (माथे पर लाल पटका पहने हुए)

 

 

नई दिल्ली. गत वर्ष जून के महीने में अकारण ही चीनी सैनिकों ने पूर्व नियोजित षडयंत्र के तहत गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे और अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार चीन के 40 से अधिक सैनिक मारे गए थे. तब अधिकांश भारतीयों ने गलवान घाटी के बारे मे सुना भी न था. न ही समझ पाए थे कि चीन की सेना (पीएलए) के सैनिकों ने हमारे जवानों पर हमला क्यों किया था. भारत चीन की वन-चाइना पालिसी का सम्मान करता है. भारत की इस सदाशयता का चीन ने हमले से जवाब दिया है, जो भारतीय के अलावा तिब्बती सहोदरों को भी नागवार गुजरा है.

तिब्बत की गायब कड़ी

अब देश में तिब्बती समूहों की ओर से वन-चाइना पालिसी के खिलाफ आवाजें मुखर होने लगी हैं.

इसी कड़ी में तिब्बती एक्टिविस्ट और लेखक तेनजिन त्सुंडु धर्मशाला से दिल्ली तक मार्च करेंगे.

तेनजिन कहा, “मैं 12 फरवरी को धर्मशाला से दिल्ली के लिए मार्च करूंगा, जिसका मुख्य उद्देश्य तिब्बत पर भारत का ध्यान केंद्रित करना है. तिब्बत, भारत-चीन संकट में ऐसी कड़ी है, जो अभी कहीं गायब है. हमारे भारतीय भाईयों और बहनों को इसके कारणों को समझने की जरूरत है.”

मार्च 12 फरवरी से

उनके मार्च की तिब्बती नव वर्ष लोसार (12 फरवरी 2021) पर शुरुआत होगी और दिल्ली में 10 मार्च को ‘तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस’ पर इसका समापन होगा.

यह एकल (एक आदमी का) मार्च होगा, जिसमें दो समर्थक रसद और सार्वजनिक संवाद के लिए शामिल होंगे.

तेनजिन त्सुंडु के मार्च की दूरी 500 किमी है और उन्होंने इसे एक महीने में कवर करने की योजना बनाई है. वे सड़क के किनारे कैंपिंग करके रात्रि-विश्राम करेंगे. धर्मशाला से वे कांगड़ा घाटी से चलकर पंजाब के ऊना से मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करेंगे.

श्री आनंदपुर साहिब गुरुद्वारा पहुंचकर वे गुरुद्वारा में अरदास करेंगे और फिर मोहाली, पंचकुला और चंडीगढ़ को पार करेंगे. वहां से वे करनाल, अंबाला और सोनीपत होते हुए दिल्ली पहुंचेंगे.

उनके नारे हैं, ‘तिब्बत के लिए एक मील पैदल चलें,’ ‘एक घंटे के लिए,’ ‘एक मील के लिए मुझसे जुड़ें’

‘वैश्विक सुपर पावर’ का जुनून

उन्होंने ‘आवाज-द वॉयस’ को बताया कि चीन न केवल भारत के साथ सीमा विवाद पर उतारू है, बल्कि वह अपने 14 पड़ोसी देशों के साथ भी सीमा विवाद में उलझा हुआ है. चीन के साम्राज्यवादी डिजायन का उद्देश्य न केवल अपनी भूमि और समुद्री क्षेत्रों का विस्तार करना है, बल्कि शी जिंगपिंग ने यह साबित कर दिया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का वास्तविक उद्देश्य रणनीतिक रूप से ‘वैश्विक सुपर पावर’ बनना है.

भारत क्यों मानता है

उन्होंने कहा, “भारत द्वारा वन-चाइना नीति को स्वीकार किए जाने के बावजूद, चीन बदले में इस नीति का समर्थन नहीं करता है. बीजिंग इसके बजाय अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड और सिक्किम के कुछ हिस्सों पर अपना दावा करता है. और वह भारत के कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र तक ले गया है.”

एक माह लंबी यात्रा के बारे में वे कहते हैं, “मैं भारत सरकार में उसकी वन-चाइना नीति को निरस्त करने की मांग के लिए याचिका दायर करूंगा. मैं इस याचिका पर यात्रा के दौरान सड़क किनारे मिलने वाले लोगों को और ऑनलाइन भी कहेंगे कि वे बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर करें.”

उन्होंने कहा कि अगर चीन वन-इंडिया पालिसी का सम्मान नहीं करता है, तो भारत अपने पुराने दोषपूर्ण सिद्धांत ‘वन-चाइना पालिसी’ की निंदा क्यों नहीं करता है?

भविष्य की योजना के बारे में उन्होंने बताया, “मैं एक वैश्विक अभियान का नेतृत्व करूंगा, जिसमें विभिन्न देशों के प्रमुखों को उनकी वन-चाइना पॉलिसी को निरस्त करने और तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और दक्षिणी मंगोलिया को ‘कब्जाए गए देश’ के तौर पर मान्यता देने के लिए याचिका दायर करेंगे. इसके साथ ही वे हांगकांग के लोकतांत्रिक संघर्ष और ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं.”

उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे कविता, पत्र, वेबिनार का आयोजन, व्याख्यान, गाना, नृत्य और कला, फिल्म, कार्टून, नारे, ब्लॉग और सोशल नेटवर्क पर जागरूकता सामग्री पोस्ट और शेयर करके उनकी मदद करें.