तेलंगाना की हिबा फातिमा ने किया भगवद गीता का उर्दू में अनुवाद

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 24-11-2022
तेलंगाना की हिबा फातिमा ने किया भगवद गीता का उर्दू में अनुवाद
तेलंगाना की हिबा फातिमा ने किया भगवद गीता का उर्दू में अनुवाद

 

शेख मोहम्मद यूनुस / राकेश चौरसिया / हैदराबाद / नई दिल्ली

सभी धर्म मानवता सिखाते हैं. कोई भी अच्छा मुसलमान, हिंदू, सिख या ईसाई तब तक नहीं हो सकता जब तक कि वह एक अच्छा इंसान न हो. इसकी छाप दिखती है बोधन टाउन, निजामाबाद जिला, तेलंगाना की छात्रा हिबा फातिमा में, जिन्होंने तीन महीने के अल्प समय में भगवद गीता का उर्दू में अनुवाद कर कीर्तिमान स्थापित किया है.

हिबा फातिमा का दृढ़ संकल्प अनुकरणीय है. उनकी महत्वाकांक्षाएं हैं बहुत उच्च हैं. अब वह सिख धर्म की किताब गुरु ग्रंथ साहिब के अनुवाद में लगी हुई हैं. उनकी बाइबिल का उर्दू में अनुवाद करने की भी योजना है.
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गीता के उर्दू अनुवाद के कारण

हिबा फातिमा एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती हैं. उनका परिवार किराए के मकान में रह रहता है. उनके अधिकांश पड़ोसी गैर-मुस्लिम हैं. वह अपने पड़ोसियों को पूजा करते हुए देखती और उनसे हिंदू धर्म के बारे में सवाल पूछती.हेबा के मुताबिक, उन्हें उनमें से हर एक से अलग-अलग जवाब मिलते, इसलिए उन्होंने स्वयं हिंदू धर्म का अध्ययन करने का निर्णय लिया.
 
इस क्रम में गीता का विस्तृत अध्ययन किया और विभिन्न धर्मों की शिक्षाओं के अध्ययन के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया. उनके पिता अहमद खान ने उन्हें हर मोड़ पर मार्गदर्शन और प्रोत्साहित किया. हमेशा उन्हें समानता और इंसानियात की शिक्षा दी.
 
हिबा फातिमा हिजाब पहनती हैं. वह रोजाना पांचों नमाज पढ़ती हैं और रोज कुरान पढ़ती हैं. हिबा फातिमा ने मानवता के संदेश को फैलाने का बीड़ा उठाया है. विभिन्न क्षेत्रों से इसकी बहुत प्रशंसा की जा रही है. वह अपने काम के माध्यम से सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है.
 
प्रशंसा और रिकॉर्ड

हिबा फातिमा संस्कृत भाषा में पारंगत नहीं हैं, लेकिन उन्होंने भगवद गीता का उर्दू में हिंदी, अंग्रेजी और तेलुगु बोलने वालों की मदद से अनुवाद किया. उनके कौशल को विद्वानों, इमामों और पंडितों द्वारा मान्यता प्राप्त है.
 
सभी धर्मों के अनुयायियों द्वारा उनकी प्रशंसा की जा रही है. उन्होंने कम उम्र में ही इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और अन्य में अपना नाम दर्ज करा लिया है.
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 प्रारंभिक शिक्षा

हिबा फातिमा बचपन से ही काफी समझदार हैं. वह मुख्य रूप से उर्दू माध्यम की छात्रा हैं, लेकिन उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में निपुण है. स्टैंडर्ड गर्ल्स कॉलेज बोधन से उच्च अंकों के साथ इंटरमीडिएट पूरा किया.
 
शिक्षा का माध्यम बदलते हुए फातिमा ने अंग्रेजी माध्यम से बीएससी पूरी की और मौलाना आजाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए पास किया.
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पारिवारिक पृष्ठभूमि

हिबा फातिमा के पिता अहमद खान साबुन के कारोबार से जुड़े हैं, जबकि उनकी मां जाहिदा परवीन गृहिणी हैं. वह महाराष्ट्र की मूल निवासी हैं.हिबा फातिमा की छोटी बहन जेबा फातिमा डिग्री की अंतिम वर्ष की छात्रा हैं.
 
चूंकि हिबा की मां महाराष्ट्र से हैं, इसलिए हाल ही में महाराष्ट्र के शीर्ष राजनीतिक नेताओं द्वारा हिबा फातिमा को सम्मानित करने के लिए एक समारोह आयोजित किया गया था और राजनीतिक नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से हिबा फातिमा की भगवद गीता की पेशकश की, उर्दू अनुवाद को एक पुस्तक रूप देने का वादा किया.
 
आवाज द वॉयस के प्रतिनिधि से बात करते हुए हिबा फातिमा ने कहा कि साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए एकजुट प्रयास अपरिहार्य हैं. उन्होंने कहा कि सभी धर्मों ने एक-दूसरे का और मानवता का सम्मान करना सिखाया है और वे इस मिशन को फैलाने के लिए आगे बढ़ रही हैं.
 
उन्होंने कहा कि वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं, फिर भी वह समाज के लिए कुछ करने की कोशिश कर रही हैं.उन्होंने कहा कि उन्हें अब तक किसी भी संस्था द्वारा मदद नहीं मिली है. 
 
महाराष्ट्र के नेताओं की प्रशंसा और भगवद गीता के उर्दू अनुवाद को पुस्तक रूप में प्रकाशित करने के वादे पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि तेलंगाना सरकार के साथ स्वयंसेवी संगठन भी उनके मिशन को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग देंगे.
 
हिबा फातिमा अपने यूट्यूब चौनल मैसेज फॉर ऑल पर विभिन्न धर्मों के बीच समानता पर वीडियो भी पोस्ट करती हैं. वह ऑनलाइन क्लास लेना चाहती हैं क्योंकि कई लोगों ने दिलचस्पी दिखाई है.
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उन्होंने कहा कि उन्हें इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए पूंजी की जरूरत है. वे प्रायोजकों, स्वयंसेवी संस्थाओं और सरकारों का सहयोग चाहते हैं.उन्होंने कहा कि धार्मिक द्वेष को खत्म किए बिना हमें विकास का फल नहीं मिल सकता.
 
 हिबा फातिमा ने युवाओं विशेषकर बालिकाओं को संदेश दिया कि वे अपना कीमती समय फालतू में बर्बाद न करें बल्कि समाज सुधार के कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और अपनी मातृभूमि भारत को स्वर्ग बनाने के लिए तरह-तरह के रंगों के गुलदस्ते दें. एक अंश छोड़ दो.