तालिबान के कारण अफगानिस्तान का बचपन सड़कों पर काम करने को मजबूर

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 12-06-2021
अफगानिस्तान का बचपन
अफगानिस्तान का बचपन

 

काबुल. अफगानिस्तान में जारी क्रूर युद्ध, उग्रवाद और अत्यधिक गरीबी ने अनगिनत बच्चों को स्कूल जाने के बजाय अपने परिवारों के लिए आजीविका कमाने के लिए बाल श्रम का सहारा लेने और सड़कों पर काम करने के लिए मजबूर किया. बच्चों सहित नागरिक अफगानिस्तान में युद्ध का खामियाजा भुगत रहे हैं.

अप्रैल में जारी अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) की रिपोर्ट ने 2021 की पहली तिमाही में 1,783 नागरिक हताहतों (573 मारे गए और 1,210 घायल) का दस्तावेजीकरण किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 29 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.

रिपोर्ट में पिछले साल की तुलना में महिलाओं के हताहत होने की संख्या में 37 प्रतिशत की वृद्धि और बच्चों के हताहत होने की संख्या में 23 प्रतिशत की वृद्धि का भी संकेत दिया गया है.

हालांकि, बाल श्रमिकों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं, लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोटरें के अनुसार, अफगानिस्तान में कमजोर बच्चों की संख्या 30 लाख से बढ़कर 50 लाख हो गई है.

11 वर्षीय उमर उन हजारों अफगान बच्चों में से एक है, जिन्होंने स्थानिक युद्ध में अपने माता-पिता को खो दिया था और अपने पांच सदस्यीय परिवार के लिए आजीविका कमाने के लिए काबुल की सड़कों पर काम करने के लिए मजबूर किया गया.

ओमिद सब्ज इलाके में कार धोते हुए, उमर ने कहा कि चल रहे युद्ध ने उन्हें स्कूल जाने से वंचित कर दिया है.

उन्होंने बताया, “मैं सुबह से शाम तक कार धोने में व्यस्त रहता हूं और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए रोजाना करीब 150 अफगानी (1.9 डॉलर) कमाता हूं.”

काबुल शहर के बाहरी इलाके में कूड़े की बाल्टियों की सफाई करने वाले 13 वर्षीय एक अन्य लड़के अब्दुल अजीम ने बताया कि “मैं परिवार का एकमात्र कमाने वाला था और उसके पास काम करने और कुछ कमाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.”

उसने बताया, “औसतन मैं प्रतिदिन लगभग 180 अफगानी (2.3 डॉलर) कमा सकता हूं और अपने परिवार का सहयोग कर सकता हूं.”

श्रम और सामाजिक मामलों के मंत्रालय के डिप्टी गुलाम हैदर जिलानी ने हाल ही में कहा था कि सरकार देश में बाल श्रम की समस्याओं को हल करने की पूरी कोशिश करेगी.

जिलानी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए बजट पिछले साल के दो करोड़ अफगानी से बढ़कर इस साल 52 लाख अफगानी हो गया है.