नौशाद उस्मानी / देवबंद
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी की कुरआन की 26 आयतों पर पाबंदी लगाने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर उन पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इस पर इस्लामी तालीम के सबसे बड़े मरकज दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अदालत का यह फैसला न्याय पालिका पर विश्वास बढ़ाने वाला है.
सोमवार को दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से जिस तरह के फैसले की उम्मीद थी, उसी तरह का फैसला कोर्ट ने सुनाया है. क्योंकि कुरआन-ए-करीम आसमानी किताब है, जिसमें किसी भी तरह के बदलाव और कुछ भी कम या ज्यादा करने की जरा भी गुंजाईश नहीं है.
मौलाना नोमानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से अपना मकाम और अपनी हैसियत का इजहार किया है. कोर्ट ने याचिका को तुच्छ बताते हुए याचिकाकर्ता वसीम रिजवी पर जुर्माना लगाकर इंसाफ किया है, जिसका हम दिल की गहराईयों से स्वागत करते हैं.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न्याय पालिका पर विश्वास बढ़ाया है. उम्मीद है कि आगे भी कोर्ट इसी तरह इंसाफ पर आधारित फैसले करेगी, जिससे देश की एकता और अखंडता मजबूत हो सके.