आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया. इसमें गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की गई है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एफआईआर को रद्द करने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी गई है. आरोप है कि उन्होंने एक ट्वीट में कथित तौर पर तीन हिंदू संतों को घृणा फैलाने वाले कहा.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाश पीठ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना द्वारा असाइनमेंट के अधीन शुक्रवार को सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की. मामले की तत्काल सुनवाई का जिक्र करते हुए जुबैर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने पीठ से कहा कि उनकी जान को गंभीर खतरा है.
गोंजाल्विस ने कहा, यह ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर से संबंधित है. उनका काम समाचारों की जांच करना है. वह नफरत फैलाने वाले भाषणों की पहचान करने की भूमिका निभा रहे थे.
प्राथमिकी पर एक नजर से पता चलता है कि कोई अपराध नहीं है. हम इलाहाबाद हाईकोर्ट गए लेकिन कोई राहत नहीं मिली. हम आपात स्थिति में जमानत चाहते हैं. उन्हें इंटरनेट पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है. हो सके तो आज दोपहर 2बजे लिस्ट करे.ष्
हालांकि, पीठ ने कहा कि केवल भारत के मुख्य न्यायाधीश ही मामलों को सूचीबद्ध कर सकते हैं. पीठ ने कहा, भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मंजूरी के अधीन मामले को कल सूचीबद्ध करें.
जुबैर ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 10 जून के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जहां उसने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया था.