सुप्रीम कोर्ट : आतंकी के शव को कब्र से निकालने की अर्जी खारिज

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 12-09-2022
सुप्रीम कोर्ट : आतंकी के शव को कब्र से निकालने की अर्जी खारिज
सुप्रीम कोर्ट : आतंकी के शव को कब्र से निकालने की अर्जी खारिज

 

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के हैदराबाद में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकी आमिर मगरी का शव निकालने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. आमिर के पिता लतीफ ने औपचारिक रूप से अंतिम संस्कार के लिए अपने बेटे के शव को निकालने का अनुरोध किया था.

सोमवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति बीएस पारदीवाला की पीठ ने कहा कि जब तक यह नहीं देखा जाता कि यह न्याय के हित में है, तब तक आदेश नहीं दिया जा सकता है. आमिर को नवंबर 2021 में दो साथियों के साथ मुठभेड़ में मार गिराया गया था.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने हालांकि राज्य को निर्देश दिया कि वह परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजा देने के उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करे और उन्हें कब्र के स्थान पर नमाज अदा करने की भी अनुमति दी. मगरी के शव को दफना दिया गया था.

जस्टिस जेबी पारदीवाला के फैसले का हवाला देते हुए लाइव लॉ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘एक बार एक शव को दफनाने के बाद, इसे कानून की हिरासत में माना जाता है. हस्तक्षेप अदालत के कानून के तहत होता है. एक बार दफनाने के बाद शरीर को परेषान न करें. अदालत शरीर को हटाने का आदेश नहीं दे सकती, जब तक कि यह नहीं देखा जाता है कि यह न्याय के हित में है.

पीठ ने कहा कि वह पिता की भावनाओं का सम्मान करती है, लेकिन अदालत भावनाओं पर मामलों का फैसला नहीं कर सकती और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा दी गई राहत निष्पक्ष और न्यायपूर्ण थी और मुहम्मद लतीफ मगरी द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया.

सुनवाई के दौरान, जम्मू-कश्मीर प्रशासन का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील तरुना अर्धंडुमोली ने कहा कि यह विवाद में नहीं था कि मृतक एक ‘आतंकवादी’ था और उच्च न्यायालय में प्रस्तुत सीडी से पता चलता है कि सभी इस्लामी अंतिम संस्कार पुस्तक के अनुसार थे. अर्धंडुमोली ने कहा कि आठ महीने बीत चुके थे, शरीर सड़ चुका होगा और अब शव को निकालने से केवल कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा होगी और उसने अपने बेटे को खोया है,  लेकिन वह एक आतंकी था.