मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
विद्वेष के वातावरण में ताजा हवा के झोंके आते ही रहते हैं. उत्तराखंड के उधमपुर में दो हिंदू बहनों ने अपनी जमीन ईदगाह के लिए दान कर दी थी और ऐसी ही एक खबर कर्नाटक से आई है. कर्नाटक के दावणगेरे जिले में भी तीन हिंदुओं ने अपनी जमीनें ईदगाह के लिए दान में दी हैं.
कर्नाटक के दावणगेरे जिले के सुदूरवर्ती गांव अनाबेरू के तीन हिंदुओं ने अपनी करोड़ो रुपये की जमीन ईदगाह की नई दीवार बनाने के लिए दान में दे दी.कर्नाटक के सीनियर आईएएस अधिकारी मोहम्मद मोहसिन ने इसके बारे में ट्वीट कर जानकारी दी, ‘‘जब पूरी दुनिया ईद का त्योहार मना रही थी, राज्य के दावणगेरे जिले के एक सुदूर गांव की दिल को छू लेने वाली कहानी सामने आई, जहां हिंदुओं ने ईदगाह की दीवार बनाने के लिए जमीन दान में दे दी.’’
— Mohammad Mohsin I.A.S (@mmiask) May 2, 2022
भारतीय प्रशासनिक अधिकारी मोहम्मद मोहसिन इस बारे सोशल मीडिया में जानकारी साझा करते हुए कहते हैं, “पिछले साल अनाबेरू गांव में ईदगाह की सुरक्षा के लिए नई दीवार बनाने की योजना बनी तो काफी जमीन की जरूरत सामने आई.
तब स्थानीय निवासी राजशेखरप्पा, के.सी. रजप्पा, और बालागेटारा शेखरप्पा सामने आए. इनके भूखंड ईदगाह से लगते हुए हैं, जिसे उन्होंने ईदगाह को दान में दे दिया. उनकी दी गई जमीन पर ईदगाह की नई दीवार खड़ी की गई है जिसका उद्घाटन ईद के रोज किया गया.”आईएएस अधिकारी बताते हैं कि रजप्पा आंजनेय मंदिर के सदस्य हैं.
मोहम्मद मोहसिन ने ट्वीट में कहा, ‘‘ईदगाह के उद्घाटन के समय तीनों हिंदू भाइयों को स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने फूलों की माला और चादर ओढ़ाकर सम्मानित किया.”रजप्पा कहते हैं, “यह गांव सांप्रदायिक सौहार्द के लिए जाना जाता है.”वह कहते हैं, ‘‘हमें किसी भी तरह के सांप्रदायिक तनाव की अनुमति नहीं देनी चाहिए.”
ध्यान रहे कि उत्तराखंड के बाद अब कर्नाटक से सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने वाली खबरें ऐसे समय आईं हैं, जब एक तबका मजहब के नाम पर भारत के दो बड़े समुदायों में फूट डालने की साजिश रच रहा है.
सांप्रदायिकता के लिहाज से अभी कर्नाटक प्रदेश बेहद संवेदनशील माना जाता है. खासकर हिजाब, हलाल, लाउडस्पीकर से अजान, मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार की खबरों से सूबे में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई थी. इस बीच हाल में मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे के माध्यम से भी देश की गंगा-जमुनी संस्कृति को चोट पहुंचाने की कोशिश की गई.
लेकिन, मुहब्बत का धागा है जो फूलों के बिखरने से रोके हुए है, जिसने सबको एक साथ पिरोकर रखा है.