सांप्रदायिकता बंद हो, कौमी यकजहती के लिए काम होः जमात-ए-इस्लामी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 04-04-2022
सांप्रदायिकता बंद हो, कौमी यकजहती के लिए काम होः जमात-ए-इस्लामी
सांप्रदायिकता बंद हो, कौमी यकजहती के लिए काम होः जमात-ए-इस्लामी

 

नई दिल्ली. भारत के जमात-ए-इस्लामी के सेंट्रल मजलिस-ए-शूरा की तीन दिवसीय बैठक अमीर-ए-जमात की अध्यक्षता में नई दिल्ली के जमात-ए-इस्लामी में हुई, जिसमें सभी शूरा सदस्यों ने भाग लिया. बैठक में कर्नाटक उच्च न्यायालय के हिजाब, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी, देश में सांप्रदायिक नफरत की बढ़ती प्रवृत्ति और रूस-यूक्रेन युद्ध पर फैसले पर प्रस्ताव पारित किया गया.

बैठक में सेंट्रल मजलिस-ए-शूरा ने हिजाब को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर अफसोस जताया और कहा कि फैसला जहां भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 (धर्म के आधार पर भेदभाव से इनकार) के खिलाफ है. अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 21 (गोपनीयता) और अनुच्छेद 25 (अंतरात्मा की स्वतंत्रता) के विरोध में है. हमारे देश में महिलाओं की शिक्षा एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय आवश्यकता है और देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. फिर भी, वर्दी के नाम पर इस तरह के फैसलों से लड़कियों की शिक्षा में बाधा डालना देश के लिए बेहद हानिकारक है.

किसी भी धर्म में क्या अनिवार्य है और क्या नहीं, इस बहस में अदालतों को नहीं फंसना चाहिए. समस्या विशुद्ध रूप से इस धर्म के विद्वानों के साथ है. देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए मजलिस-ए-शूरा ने कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद से पेट्रोल-डीजल के दाम कई बार बढ़े हैं और महंगाई बढ़ी है.

मजलिस-ए-शूरा ने मांग की कि सरकार तुरंत कर दरों में सुधार करे, पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाए और रसोई गैस पर सब्सिडी प्रणाली को बहाल करे.

देश में मिली सांप्रदायिक नफरत पर मजलिस-ए-शूरा ने कहा कि आज हमारे देश में चाहे वह राजनीतिक हो, अकादमिक हो या सांस्कृतिक, हर जगह सांप्रदायिकता व्याप्त है.

 

देश में नफरत फैलाने के लिए इतिहास से छेड़छाड़ की जा रही है, सुनियोजित तरीके से गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं और बदनामी भी हो रही है. ऐसी विकट स्थिति में देश में शांति, विकास और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है कि देश के शुभचिंतक, विशेष रूप से धार्मिक नेता, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, जो सांप्रदायिक घृणा के खिलाफ हर स्तर पर न्याय में रुचि रखते हैं. राष्ट्र को एक होने दें और एक साथ काम करें.

रूस की केंद्रीय परिषद यूक्रेन में युद्ध पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि युद्ध कभी किसी समस्या का समाधान नहीं होता, बल्कि यह असंख्य नई समस्याओं को जन्म देता है.

आशंका जताई जा रही है कि अगर इस युद्ध को नहीं रोका गया, तो यह तीसरे विश्व युद्ध का कारण बन सकता है, जिसके परिणाम से दुनिया का कोई भी देश बच नहीं पाएगा. बैठक में मांग की गई कि दुनिया के प्रभावशाली देश इस युद्ध और निर्दोष नागरिकों की हत्या को रोकने के लिए आगे आएं. बैठक में भारत सरकार से इस क्षेत्र में कानून और व्यवस्था बनाए रखने और तत्काल युद्धविराम के लिए अपने प्रभाव का उपयोग करने का भी आह्वान किया गया.