श्रीनगरः मस्जिदों से आई आवाज, मुसलमान-पंडित साथ-साथ

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 15-10-2021
 मस्जिदों से आई आवाज, मुसलमान-पंडित साथ-साथ
मस्जिदों से आई आवाज, मुसलमान-पंडित साथ-साथ

 

आवाज द वाॅयस /श्रीनगर

पिछले हफ्ते श्रीनगर में तीन कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या ने एक बार फिर घाटी में गैर-मुस्लिम कश्मीरियों के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगा दिया है. वेे अपने जीवन पर तमाम खतरों के बावजूद अब अपना घर नहीं छोड़ा चाहते.

पिछले बुधवार को मशहूर केमिस्ट माखनलाल की निर्मम हत्या के बाद चरमपंथियों ने स्कूल की प्रिंसिपल सुपेंद्र कौर और एक शिक्षिका दीपक चंद की हत्या कर दी थी. कहा जाता है कि सुपेंद्र कौर दयालु महिला थीं. उन्होंने अपना आधा वेतन गरीब और बेसहारा बच्चों की शिक्षा को समर्पित कर दिया था. उन्होंने एक मुस्लिम लड़की को भी गोद ले रखा था.

ऑल पार्टीज सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष जगमोहन सिंह रैना ने कहा, ‘अल्पसंख्यकों पर यह हमला घाटी में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच खाई पैदा करने की साजिश है। इस से कोई इंकार नहीं कि कश्मीरी अलगाववादी आंदोलन से सबसे बड़ी क्षति हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को हुई है.

अमरनाथ यात्रा पर हिंदुओं की सेवा करते मुसलमान

घाटी में हिंदू और मुसलमान सैकड़ों वर्षों से शांति और सौहार्द के साथ रह रहे हैं. उनकी एक समान भाषा, संस्कृति और परंपराएं हैं. घाटी में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की तमाम कोशिशों के बावजूद मुसलमान अमरनाथ यात्रा के दौरान हिंदू श्रद्धालुओं की सेवा कर रहे हैं.

इसी तरह घाटी के गुलमर्ग, डल झील और अन्य पर्यटन स्थलों के भ्रमण के दौरान सभी पर्यटक स्थानीय मुसलमानों की मदद लेते हैं. वास्तव में पर्यटन स्थानीय मुसलमानों की आय का सबसे बड़ा स्रोत है.दुर्भाग्य से घाटी में बिगड़ती कानून व्यवस्था की वजह से न केवल हिंदू-मुस्लिम ब्रदरहुड बल्कि पर्यटन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

मुसलमान नहीं चाहते कश्मीरी पंडित करें घाटी से पलायन

स्थानीय मुसलमान कश्मीरी पंडितों को अपने समाज का अभिन्न अंग मानते है. वे नहीं चाहते कि वे घाटी से पलायन करें.घाटी में गैर-मुसलमानों की हत्या के खिलाफ हालिया विरोध, हिंदू-मुस्लिम सद्भाव और सह-अस्तित्व का संकेत है. घाटी में हर जगह मुसलमान अपने हिंदू पड़ोसियों को सुरक्षा और सुरक्षा का आश्वासन देने के लिए आगे आ रहे हैं और उनसे अपने घरों से बाहर न निकलने की अपील कर रहे हैं.

मुस्लिम शोक संतप्त गैर-मुस्लिम परिवारों के पास पहुंच रहे हैं ताकि उनकी दिवंगत आत्मा को सांत्वना दी जा सके और उनके दुख को साझा किया जा सके.

मस्जिदों से हिंदू पड़ोसियों की रक्षा की अपील

ध्यान देने योग्य है कि घाटी की मस्जिदें मुसलमानों से अपने हिंदू पड़ोसियों की रक्षा करने की अपील कर रही हैं. इन मस्जिदों के इमाम अपने शुक्रवार के उपदेश में गैर-मुसलमानों को घाटी से पलायन न करने का आह्वान कर रहे हैं.

श्रीनगर के लाल चैक पर गैर-मुसलमानों की हत्याओं के खिलाफ सबसे बड़ा विरोध मार्च निकाला गया जिसमें घाटी के कई प्रमुख नागरिकों, सरकारी कर्मचारियों, खिलाड़ियों और अन्य लोगों ने भाग लिया. वे सभी निर्दोष व्यक्तियों की हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं.

कश्मीरी सरकारी सेवकों की संगठन समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने समर्थन व्यक्त करने के लिए एकजुटता के साथ कश्मीरी पंडितों के घरों का दौरा किया.समिति के अध्यक्ष रफीक राठौर ने कहा, ‘‘हत्या की घटनाएं हमारे सामाजिक ताने-बाने पर हमला है. कश्मीरी पंडित और मुसलमान सैकड़ों वर्षों से एक साथ रह रहे हैं. हम चरमपंथियों को हमारे पारस्परिक सांस्कृतिक मूल्यों को नष्ट करने की अनुमति नहीं देंगे. इस मुश्किल घड़ी में सभी कश्मीरी मुसलमान कश्मीरी पंडितों के साथ हैं.”