आरएसएस प्रमुख के बयान की किसी ने की तारीफ, किसी ने कहा-अमल जरूरी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 05-07-2021
आरएसएस प्रमुख के बयान की किसी ने की तारीफ, किसी ने कहा-अमल जरूरी
आरएसएस प्रमुख के बयान की किसी ने की तारीफ, किसी ने कहा-अमल जरूरी

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर मुस्लिम समुदाय की मिली-जुली प्रतिक्रिया है. कुछ ने उनके बयान को सराहा, जबकि कुछ ने इसे सियासी बताकर आलोचना की है. प्रमुख इस्लामी विद्वान और मौलाना आजाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. अख्तरुल वासे ने कहा कि मोहन भगत ने जो कहा उसका स्वागत किया जाना चाहिए.

उन्होंने अच्छी बातें कही हैं, लेकिन इसके साथ मोहन  भागवत   को कुछ व्यावहारिकता भी दिखानी होगी. खाली बयान से समस्या का समाधान नहीं हो सकता. आरएसएस और सरकार को लिंचिंग में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी. हक के साथ एक ही समय नरम-गर्म होना सही नहीं. नेतृत्व को सूचित किया जाना चाहिए कि यह काम करे .

मोहन भागवत के बयान पर फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भगत साहब ने कुछ नया कहा. वह पहले भी इस तरह के बयान दे चुके हैं.

बयान अच्छा है, लेकिन उन्हें ऐसी घटनाओं की निंदा करनी चाहिए. चाहे कोई भी मारा जाए. वे बेहतर जानते हैं कि ऐसी घटनाओं में कौन शामिल है और कौन नहीं. ऐसी घटनाओं को रोकना महत्वपूर्ण है.

मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि सीमा से लेकर नागरिक जीवन तक एक भारतीय मुस्लिम कैसे पाया जा रहा है, इसका प्रमाण मिल रहा है. मुसलमान कैसे कुर्बानी के पीछे नहीं हैं. देश के लिए जान देने या अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी की बात है.

मुसलमान हर क्षेत्र में साथ हैं. उन्होंने कहा कि हर कोई अपने धर्म से प्यार करता है लेकिन सामाजिक रूप से हम सभी को देश के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए.

पूर्व आईएएस और जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया के आध्यात्मिक नेता सैयद जफर महमूद ने मोहन भगत के बयान पर कहा कि अगर उन्होंने अच्छी बात कही है तो उन्हें मुसलमानों से इनकार नहीं करना चाहिए.

ऐसा करना सही नहीं होगा.मोहन भगत के ताजा बयान का स्वागत करते हुए सिराजुद्दीन कुरैशी ने कहा कि वह हमेशा हिंदू-मुसलमान की एकता की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि बयान अनूठा, व्यापक और तथ्यात्मक है. उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों को उनके बयान का खुले दिल से स्वागत करना चाहिए. उनकी चिंताओं को दूर करना चाहिए. उनके साथ बातचीत करनी चाहिए.

इस बीच, सिराजुद्दीन कुरैशी, जो अखिल भारतीय जमीयत-उल-कुरैशी के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, ‘‘मैं हमेशा से इस पक्ष में रहा हूं कि जो भी सत्ता में है, मुसलमानों को अपनी समस्याओं केे हल के लिए उनसे संपर्क करना चाहिए.‘‘
 
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों की शिकायतों को दूर करना और संबोधित करना सरकार का कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि मोहन भगत के ताजा बयान से एक बार फिर उम्मीद जगी है लेकिन इस शर्त पर कि मुसलमान खुले दिल से इस बयान का स्वागत करें.
 

सैयद जफर महमूद ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि इतिहास के साथ वर्तमान स्थिति को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.मुझे लगता है कि अगर मोहन भगत ने ऐसी बात कही है तो उन्हें मौका मिलना चाहिए, तत्काल प्रतिक्रिया की कोई जरूरत नहीं है.

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आरएसएस प्रमुख मोहन भगत के बयान पर दारुल उलूम देवबंद के मौलाना मुफ्ती शरीफ खान कासमी ने कहा कि ऐसे समय में जब देश में नफरत का चलन बढ़ा है. सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हुई हैं. ऐसे में आरएसएस प्रमुख मोहन भगत का बयान महत्वपूर्ण है.
 
मुफ्ती शरीफ खान कासमी ने कहा कि उन्हें यकीन है कि मोहन भगत के बयान से सांप्रदायिक ताकतों पर लगाम लगेगी. विश्वास बहाल करने में मदद मिलेगी. उनकी बातों को न केवल भारत में, विदेशों में भी गंभीरता से लिया जाएगा .

यकीन है कि भागवत के शब्दों का असर होगा और मॉब लिंचिंग सहित दूसरी सांप्रदायिक घटनाओं पर लगाम लेगा. फारूकिया देवबंद के अधीक्षक मौलाना नूरुल हुदा कासमी ने कहा कि हमले की घटनाएं बढ़ी हैं.

दलितों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. समाज में ध्रवीकरण की घटनाएं बढ़ी हैं. इन गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की कमी से उनका मनोबल बढ़ रहा है. सरकार को मोहन भगत के बयान के आलोक में अपने कार्यों से लोगों का विश्वास बहाल करना चाहिए.

जो लोग सत्ता के लिए हिंदू-मुसलमान से लड़ाने की कोशिश करते हैं उन्हें रोकना चाहिए. आरएसएस से जुड़े दल और उप-संगठन ऐसे तत्वों का बहिष्कार करें जो हिंदू-मुस्लिम एकता को नष्ट करने और मॉब लिंचिंग को बढ़ावा में आगे हैं.

नूरुल हुदा कासमी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि मोहन भगत के बयान से हिंसा पर अंकुश लगेगा. अनवर शाह मेमोरियल सोसाइटी की शाइस्ता परवीन ने मोहन भगत के बयान को राजनीति बताते हुए कहा कि देश और राष्ट्र का विकास तब होता है जब न्यायपालिका, सरकार और अन्य सामाजिक संगठन लोगों के साथ समान व्यवहार करें. यदि किसी देश और प्रांत की सरकार अपने निर्णयों में भेदभाव करती है तो निश्चय ही अराजकता  फैलेगी.


जमीयत-ए-अहल-ए-हदीस के अध्यक्ष मौलाना असगर अली सलाफी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भगत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हर कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं. उनके शब्द धर्मनिरपेक्ष परंपराओं का हिस्सा हैं.

किसी को अपने धर्म का पालन करने से नहीं रोकना चाहिए. मोहन भागवत ने जो कहा वह उनके दिल की आवाज है. सभी को एकता के साथ रहना चाहिए. मौलाना ने आगे कहा कि ऐसे बयान व्यवहार में लाने की जरूरत है. मुसलमानों को बयान का स्वागत करना चाहिए.