शेख हसीना ने यूक्रेन से बांग्लादेशियों को निकालने पर मोदी को दिया धन्यवाद

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 09-03-2022
शेख हसीना ने यूक्रेन से बांग्लादेशियों को निकालने पर मोदी को दिया धन्यवाद
शेख हसीना ने यूक्रेन से बांग्लादेशियों को निकालने पर मोदी को दिया धन्यवाद

 

नई दिल्ली. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यूक्रेन के सुमी से अपने नौ नागरिकों को 'ऑपरेशन गंगा' के तहत निकालने के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया. पूर्वोत्तर शहर सुमी में फंसे नौ बांग्लादेशी नागरिकों को यूक्रेन के पोल्तावा शहर में लाए गए 694 भारतीयों के साथ निकाला गया.

 

उन्हें बुधवार या गुरुवार को पोलैंड से अन्य भारतीय नागरिकों के साथ भारत वापस लाया जाएगा.

 

रूस द्वारा कीव, सुमी, खार्किव और मारियुपोल में मानवीय गलियारे प्रदान करने के लिए सुबह 10 बजे से अस्थायी युद्धविराम की घोषणा के बाद मंगलवार को भारतीय अधिकारियों ने सुमी से पोल्तावा में अपने फंसे हुए छात्रों को निकालना शुरू कर दिया.

 

सुमी में मानव गलियारे की घोषणा तब की गई, जब प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन और रूस के राष्ट्रपतियों से उत्तर-पूर्वी शहर सुमी में फंसे बाकी भारतीय छात्रों को निकालने के लिए एक सुरक्षित मार्ग तय करने के लिए बात की.

 

7 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोदिमिर जेलेंस्की और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से बात की और उनसे युद्धग्रस्त देश में फंसे शेष भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए सुरक्षित मार्ग देने का अनुरोध किया.

 

इस बीच, कीव में भारतीय दूतावास ने मंगलवार को बाकी भारतीय नागरिकों को परिवहन के किसी भी उपलब्ध साधन से 'मानवीय गलियारे' का उपयोग करके यूक्रेन की राजधानी छोड़ने के लिए कहा.

 

भारतीय दूतावास की ओर से बुधवार को जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि सुरक्षा की स्थिति को देखते हुए अगला 'मानवीय गलियारा' अनिश्चित है, इसलिए उन्हें तुरंत शहर से बाहर निकल जाना चाहिए.

 

एडवाइजरी में आगे कहा गया है कि सुरक्षा स्थिति को देखते हुए अगले मानवीय गलियारे की स्थापना अनिश्चित है.

 

अधिकारियों ने यह भी बताया कि दो केंद्रीय मंत्रियों और विशेष दूत हरदीप सिंह पुरी और जनरल वी.के. सिंह नई दिल्ली लौट आए, दो अन्य केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और ज्योतिरादित्य सिंधिया बाकी बचे भारतीय नागरिकों की निकासी की निगरानी के लिए अभी भी स्लोवाकिया और रोमानिया में हैं.