आवाज द वॉयस /नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को देशद्रोह के एक मामले में जमानत दे दी. उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. मगर यूएपीए मामले में अभी उन्हें जेल में रहना होगा.
शरजील इमाम पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2019में राष्ट्रीय राजधानी के जामिया नगर इलाके में हिंसा भड़काई थी.अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने एनएफसी पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी में इमाम को जमानत दे दी. विस्तृत आदेश प्रति की प्रतीक्षा है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल अक्टूबर में साकेत कोर्ट ने इमाम को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि उनके आग लगाने वाले भाषण से शांति और समाज के सद्भाव पर असर पड़ा है.
इमाम ने हाल ही में निचली अदालत में धारा 436-ए के तहत एक याचिका दायर की थी, जबकि उनकी जमानत याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है.यहां उल्लेखनीय है कि धारा 436-ए में प्रावधान है कि जब कोई व्यक्ति मुकदमे के समापन से पहले उसके खिलाफ कथित अपराध के लिए निर्दिष्ट अधिकतम सजा के आधे तक कारावास भुगत चुका है, तो उसे अदालत द्वारा जमानत देकर रिहा किया जा सकता है.
एनएफसी पुलिस में दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि 15 दिसंबर, 2019 को जामिया नगर के छात्रों और निवासियों द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ किए गए प्रदर्शन के संबंध में एक सूचना प्राप्त हुई थी.