12 सेकंड, एक धमाका और ध्वस्त हो जाएंगी कुतुब मीनार से ऊंची नोएडा की दो मीनारें, जानिए क्या है मामला ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 27-08-2022
12 सेकंड, एक धमाका और ध्वस्त हो जाएंगी कुतुब मीनार से ऊंची नोएडा की दो मीनारें, जानिए क्या है मामला ?
12 सेकंड, एक धमाका और ध्वस्त हो जाएंगी कुतुब मीनार से ऊंची नोएडा की दो मीनारें, जानिए क्या है मामला ?

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली
 
आखिरकार वह घड़ी आ ही गई जब नोएडा की कुतुब मीनार से भी ऊंची दो मीनारें 3700 किलो विस्फाटक लगाकर ध्वस्त कर दी जाएंगी. आदालत के एक आदेश के बाद इन मीनारांे को गिराने के लिए पिछले कई दिनों से तैयारियां चल रही थीं. यहां तक कि इससे उठने वाली धूल के गुबार से बचने के लिए आसपास रहने वालों ने भी अपने ठिकाने खाली कर कहीं और शिफ्ट हो गए हैं. मगर मीनार कैसे गिराई जाएगी इसको लेकर बहुत ही कोलाहल है.

नोएडा में बने 32 मंजिला ट्विन टावरों को रविवार दोपहर 2.30 बजे गिराया जाएगा. बताते हैं कि प्रशासन की तैयारी ऐसी है कि 13 साल में बनी दोनों इमारतों को ढहने में महज 12 सेकेंड का समय लगेगा. सुपरटेक एमराल्ड सोसाइटी कुतुब मीनार के ऊपर ट्विन टावरों से सिर्फ 9 मीटर की दूरी पर है. यहां 650 फ्लैटों में करीब 2500 लोग रहते हैं.
 
देश भर में ज्यादातर लोग देखना चाहते हैं कि ट्विन टावर्स कैसे गिरेंगे, लेकिन आसपास रहने वाले डर रहे हैं कि उनके घर कैसे बचेंगे. घर बच भी गए तो बुर्ज के मलबे की धूल से कैसे बचेंगे? यह जगह सेक्टर-93 में है और नोएडा के महंगे इलाके में शुमार है. यहां एक 3 बीएचके फ्लैट की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है.
 
3700 किलो बारूद और 12 सेकेंड में बिल्डिंग ढेर

भास्कर में छपी एक खबर के अनुसार,ट्विन टावरों को गिराने की जिम्मेदारी एडिफिस नाम की कंपनी को दी गई है. यह कार्य परियोजना प्रबंधक मयूर मेहता की देखरेख में किया जा रहा है. उनका कहना है कि हमने बिल्डिंग में 3700 किलो बारूद भरा है. खंभों में लंबे छेद करके बारूद भरना गया है. फ्लोर टू फ्लोर कनेक्शन भी किया जा चुका है.
 
मेहता ने कहा कि हम टावर को नीचे लाने के लिए वाटरफॉल तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह एक प्रकार का लहरदार प्रभाव है, जैसे समुद्र की लहरें. पूरी प्रक्रिया समान होगी.ब्लास्टिंग बेसमेंट से शुरू होकर 30वीं मंजिल पर खत्म होगी. इसे विस्फोट का प्रज्वलन कहा जाता है. इसके बाद इमारत गिरने लगेगी. इसमें लगभग 12 सेकंड का समय लगेगा.
 
सुरक्षा के लिए 4 परत 

मेहता बताते हैं कि हमने जहां भी स्तम्भ में बारूद डाला है, वहां जियोटेक्सटाइल कपड़ा लगा दिया है. इसमें फाइबर कम्पोजिट होता है. अगर कोई चीज उस पर टकराती है, तो वह कपड़े को नहीं, बल्कि उल्टा फाड़ती है. पास की बिल्डिंग पर भी कपड़े डाल दिए गए हैं.
 
लोग मरीजों को लेकर परेशान

अश्विनी कुमार ट्विन टावर्स से सटी एमराल्ड गोल्ड सोसाइटी में रहते हैं. उनकी बालकनी से दोनों टावर दिखाई देते हैं. मीनार को देखकर वह अपने गुस्से को काबू में नहीं कर पाते. कहते हैं - घर में पत्नी और बच्चे हैं. पत्नी को सांस की बीमारी है. वह खराब हवा बर्दाश्त नहीं कर सकती.
 
अश्विनी ने बालकनी को ढकने के लिए हरे रंग का जाल खरीदा है, ताकि अगर टावर में धमाका हो तो उसमें से धूल घर में न जाए. वह बताते हैं कि हमारी दो चिंताएं हैं. पहला- विस्फोट कितना बड़ा होगा जब इमारत गिरेगी और इससे हमारे घरों को नुकसान नहीं होगा. दूसरा- विध्वंस के कितने दिन बाद मलबा हटाया जाएगा. यह जितनी देर चलेगी, उतनी ही धूल उड़ेगी.
 
प्राधिकरण नहीं उपलब्ध करा रहा दस्तावेज 

सोसायटी के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष उदयभान सिंह तेवतिया का कहना है कि ट्विन टावरों का निर्माण 2009 में शुरू हुआ था. ये अवैध रूप से बनाए गए थे. हमारे साथ इस पर कभी चर्चा नहीं हुई. टावर हमारे समाज से सिर्फ 9 मीटर की दूरी पर बने हैं. नियमों के मुताबिक यह दूरी 16 मीटर होनी चाहिए.
 
हमने नोएडा प्राधिकरण से ट्विन टावर्स से संबंधित दस्तावेज मांगे, लेकिन बताया गया कि ये गुप्त दस्तावेज हैं और नहीं दिए जा सकते. इसी आधार पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टावर बनाने वाले सुपरटेक ग्रुप और इसके लिए जिम्मेदार नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों को सजा मिलनी चाहिए.
 
प्रदूषण का खतरा

उदयभान सिंह तेवतिया का कहना है कि विध्वंस से कई चिंताएं हैं, लेकिन खुशी है कि अवैध रूप से बने भवनों को तोड़ा जा रहा है. अगर इमारत गिरती है तो कितना धुआं और धूल निकलेगा, इसका अभी अंदाजा नहीं है. इसका सबसे बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा. हमने बैठक में नोएडा प्राधिकरण से भी पूछा कि इस समस्या के लिए आपकी क्या योजना है? उसके पास कोई ठोस जवाब नहीं था.
 
भूकंप का लगेगा का झटका

प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता का कहना है कि विस्फोट से झटका उतना महसूस नहीं होगा, जितना कि हल्का भूकंप. लोगों को टीवी को अनप्लग करने और कांच के बर्तनों को अंदर रखने की सलाह दी जाती है. हवा के दबाव के कारण कांच की चीजें टूट सकती हैं. विस्फोट से धूल उड़ेगी, लेकिन कितना होगा, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता.
 
रविवार की सुबह लोग छोड़ देंगे घर

सोसायटी में रहने वाले सुरेश कुमार ने कहा कि हमें सुरक्षा की चिंता है. तोड़फोड़ में कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए. हमारे समाज पर जुड़वां टावरों का कोई हिस्सा नहीं गिरना चाहिए. हमें सुबह सात बजे घर से निकलने को कहा गया है. कुछ लोग उस दिन होटल में रुकेंगे.
 
दो किलोमीटर तक प्रदूषण

डॉ सुशीला कटारिया गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में वरिष्ठ निदेशक हैं. उनका कहना है कि जब ट्विन टावर गिरेंगे तो आसपास के 2 किमी के दायरे में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाएगा. धूल के कण हवा में फैलेंगे.वायु प्रदूषण का स्तर इस बात पर निर्भर करेगा कि आप साइट से कितनी दूर हैं और विध्वंस के कितने समय बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मापा जाता है.
 
समय के साथ धूल के कण जमीन पर जम जाएंगे और एक्यूआई स्तर नीचे आ जाएगा. अभी यह नहीं कहा जा सकता कि सामान्य दिनों के मुकाबले वहां कितना प्रदूषण होगा.
 
 
टावर गिराने की तैयारी  181 दिन से

181 दिनों से ट्विन टावरों को गिराने की तैयारी चल रही है. 21 फरवरी से 350 कर्मचारी और 10 इंजीनियर इस काम में लगे हैं. रविवार सुबह सात बजे तक 500 मीटर के आसपास के सभी 1396 फ्लैट खाली कर दिए जाएंगे.
 
टावर के ऊपर 10 किमी के एरिया को नो फ्लाई जोन बनाने को कहा गया है. आसपास की सड़कों पर यातायात बंद रहेगा. दोपहर दो बजे से उलटी गिनती शुरू होगी. 2.30 बजे, रिमोट बटन के धक्का पर दोनों टावर मलबे में बदल जाएंगे.