यूपी के अमरोहा में बोलता हुआ कर्बला का मंजर, आसुओं से इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
यूपी के अमरोहा में बोलता हुआ कर्बला का मंजर, आसुओं से इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि
यूपी के अमरोहा में बोलता हुआ कर्बला का मंजर, आसुओं से इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि

 

नई दिल्ली/लखनऊ. उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के मोहल्ला मंडी चोब स्थित इमामबाड़े में 9 मुहर्रम की रात हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. इमामबाड़े में कर्बला का मंजर बनाया जाता है जिसकी जियारत करने शिया समुदाय समेत हजारों की संख्या में इमाम हुसैन के चाहने वाले पहुंचते हैं. दरअसल तकरीबन पांच दशकों से इमामबाड़े में कर्बला का मंजर सजता आ रहा है. जिसकी जियारत करने सिर्फ अमरोहा ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों की संख्या में लोग आते हैं और इस मंजर को रिकॉर्ड करते हैं.

1975 से अबुल हसनैन नकवी द्वारा कर्बला का मंजर बनाया जाता रहा है, अबुल हसनैन नकवी ने बताया कि, 1970 के आसपास उनके छोटे भाई स्वर्गीय आले मुस्ताफैन नकवी द्वारा कर्बला का मंजर बनाया जाता था, जिसके बाद कई किताबों का अध्यन कर कर्बला के वाकया को एक विस्तृत मंजर के रूप में पेश करने की कोशिश की गई. कर्बला का मंजर इतिहास पर आधारित हैं. कर्बला के मंजर को कमेंट्री के माध्यम से लोगों को तकरीबन 30 मिनट में कर्बला के वाकया के बारे में जानकारी दी जाती है.

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प्रोफेसर डॉ नाशिर नकवी अमरोहवी की आवाज में कर्बला के मंजर की विस्तृत जानकारी कमेंट्री के रूप में दी जाती है. डॉ नकवी ने बताया कि, 1976 से कर्बला की कमेंट्री की शुरूआत इस तरह की गई कि कमेंट्री मजलिस का रूप लेले. कर्बला के मंजर को देखने आने वाले श्रद्धालु दर्शक 30 मिनट की कमेंट्री सुनकर काफी हद तक कर्बला और शहादत की तारीख से परिचित हो सकें.

कमेंट्री के शब्दों के साथ स्वर्गीय आले सिबतैन नकवी के परिवार के लोग पॉइंटर के जरिए हर दृश्य को उजागर करते हैं. जिसको देखकर और सुनकर श्रद्धालु भावुक हो जाते हैं और उनकी आंखों के आंसू कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. 

दिल्ली के दरियागंज इलाके की रहने वाली गुले राना ने बताया कि, वह हर साल कर्बला के मंजर को देखने के लिए अमरोहा आती है. इस साल भी वह अपने बेटे के साथ कर्बला का मंजर देखने पहुंची है. वे कर्बला के मंजर को देखकर इमाम हुसैन की शहादत को याद करती हैं. इमामबाड़े में मांगी गई दुआ भी हमेशा पूरी होती है.