पॉलीथिन को कहें नाः मिलें, कश्मीर में प्लास्टिक कचरे को ईको-ईंटों में बदलने वाली गुल यास्मीना से
गुलाम कादिकर / श्रीनगर
अठारह वर्षीय गुल यासमीना बचपन से ही उत्साही हैं.गुरेज की रहने वाली यह छात्रा हमेशा हरे भरे चरागाहों और पहाड़ियों से घिरी प्रकृति में रहना पसंद करती हैं.दो साल पहले जब यासमीना श्रीनगर चली गईं, तो उन्हें हर जगह प्लास्टिक बिखरा हुआ देखकर दुख हुआ.
तभी प्लास्टिक प्रदूषण को देखते हुए, उन्होंने इस गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे का उपयोग किसी रचनात्मक उद्देश्य करने की ठान ली.काफी प्रयोगों के बाद, उन्हांेने प्लास्टिक की बोतलों और एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक रैपर से दक्षिण अफ्रीका मंे चल रहे प्रयोग के तहत ईको-ईंट बनाने का फैसला किया.
वह कहती हैं,“घाटी में हर जगह कचरा है. इसमें ज्यादातर सिंगल यूज प्लास्टिक की बोतलें और रैपर होते हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक नॉन-बायोडिग्रेडेबल है और हमारे पर्यावरण के संरक्षण के लिए इससे निपटने की जरूरत है. इसलिए, मेरे पास ईको-ईंट बनाने का विचार आया. यह यूरोपीय देशों में बहुत लोकप्रिय ह. ”
यास्मीना आगे बताती हैं,उन्होंने शुरू में ईको-ईंटों से टेबल बनाए, जिसे विशेषज्ञों को उनकी प्रभावकारिता की जांच के लिए भेजा गया.उन्हांेने कहा,“छोटी मेजें 75 किलोग्राम से अधिक वजन का सामना अधर-उधर कर सकती हैं. मैंने सिंगल यूज प्लास्टिक से कुछ और चीजें बनाईं और उन्हें विश्व पर्यावरण दिवस पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को भेंट की. ”
यासमीना ने कहा कि ईको-ईंटें स्थानीय रूप से उपयोग की जाने वाली ईंटों की तुलना में बहुत अधिक टिकाऊ होती हैं. इनकी आयु 2000 वर्ष से अधिक है.हम शुरू में इन ईको-ईंटों से गांवों में झोपड़ियां और अन्य छोटी-छोटी कलियां बना सकते हैं.
ये ईंटें अन्य देशों में बनी ईंटों से अलग हैं, क्योंकि ये स्थानीय स्तर पर इस्तेमाल की जाने वाली ईंटों की तुलना में अधिक कठोर होती हैं. सार्वजनिक पार्कों के लिए बेंच और दीवारें बनाने के लिए इको-ईंटों का इस्तेमाल किया जा सकता है. ”
यासमीना ने कहा कि ईको-ईंटें कश्मीर की जलवायु के लिए सबसे उपयुक्त हैं, जहां सर्दियों के दौरान तापमान शून्य से नीचे चला जाता है.वह कहती हैं,सर्दियों के दौरान हम अत्यधिक ठंड का सामना करते हैं. ऐसे चरम मौसम के लिए ईको-ईंटें सबसे उपयुक्त हैं. ये ईंटें अत्यधिक मौसम में गर्मी देती हैं और गर्मियों में ठंडी रहती हैं. ”
यासमीना ने कहा कि वह कश्मीर में उनके उपयोग को लोकप्रिय बनाने के लिए ईको-ईंटों के बारे में जागरूकता बढ़ाएंगी. “मैं ईको-ईंटों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार से कुछ समर्थन प्राप्त करना चाहता हूं. मेरी योजना इन ईको-ईंटों से फर्नीचर और अन्य उपकरण बनाने की है ताकि उन्हें लोगों के सामने प्रदर्शित किया जा सके. ”