आवाज द वाॅयस / जयपुर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उदयपुर में एक बौद्धिक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि संघ सार्वभौमिक भाईचारे की भावना से काम करता है. संघ के लिए पूरी दुनिया एक जैसी है. हिंदू राष्ट्र के सर्वोच्च गौरव में विश्व का कल्याण संभव है.
सरल शब्दों में हिंदुत्व की व्याख्या करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘संघ के स्वयंसेवकों द्वारा कोरोना काल में किया गया निःस्वार्थ सेवा कार्य हिंदुत्व है, क्योंकि इसमें कल्याण की भावना है.‘‘भागवत उदयपुर में थे. इस दौरान विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया सहित विभिन्न वर्गों के करीब 300 लोग मौजूद रहे.
उन्होंने कहा,“हिंदू विचारधारा शांति और सच्चाई का प्रतीक है. ‘हम हिंदू नहीं हैं‘, इस तरह का अभियान देश और समाज को कमजोर करने के मकसद से चलाया जा रहा है. जहां विभिन्न कारणों से हिंदू आबादी कम हुई है, वहां समस्याएं सामने आई हैं, इसलिए हिंदू संगठन सर्वव्यापी हो जाएगा. दुनिया के कल्याण के बारे में बात करेगा. विश्व का कल्याण हिंदू राष्ट्र के सर्वोच्च गौरव में होगा. ”
संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का हवाला देते हुए भागवत ने कहा, ‘‘उन्होंने महसूस किया था कि दिखने में भारत की विविधता के मूल में एकता की भावना है. हम सभी हिंदू हैं. पूर्वजों के वंशज हैं जो इस पवित्र भूमि में युगों से रहते आए हैं. यह हिंदू धर्म की भावना है.”
संघ के उद्देश्य, विचार और कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालते हुए सरसंघचालक ने कहा कि संघ का लक्ष्य व्यक्ति निर्माण (व्याक्ति निर्माण) है. व्यक्ति निर्माण से समाज का निर्माण संभव है. समाज निर्माण से देश का निर्माण संभव है. संघ सार्वभौमिक भाईचारे की भावना से काम करता है. संघ के लिए पूरी दुनिया उनकी है.
संघ को नाम कमाने की कोई इच्छा नहीं . हमारे संघ को श्रेय और लोकप्रियता की भी जरूरत नहीं है.उन्होंने कहा,“हिंदू शब्द को 80के दशक तक सार्वजनिक रूप से टाला जाता रहा . संघ ने इस प्रतिकूल स्थिति में भी काम किया.
आज दुनिया में यह सबसे बड़ा संगठन है. शुरुआती समय में कठिन चुनौतियों का सामना करने के बावजूद संघ समाज के विश्वसनीय, भरोसेमंद लोगों का एक संगठन है, जो शब्दों और कर्मों में भिन्न नहीं होते हैं. ”उन्होंने कहा, “संघ सार्वभौमिक भाईचारे की भावना से काम करता है. ”