मुंबई. 12 अक्टूबर, 1976 को सज्जाद थंगल अबू धाबी को अपने साथियों सहित मद्रास जा रहे इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट में जाना था, जब यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 95 लोग मारे गए. उनके परिवार और दोस्तों ने मान लिया था कि वह मर चुके हैं, क्योंकि उनका नाम जीवित बचे लोगों की सूची में नहीं था. लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था.
अब 70 वर्षीय सज्जाद थंगल एक सामाजिक कार्यकर्ता की बदौलत साढ़े चार दशक बाद अपने परिवार के साथ फिर मिल रहे हैं.
केरल के कोल्लम के रहने वाले थंगल संयुक्त अरब अमीरात में फिल्म वितरण क्षेत्र में कार्यरत थे. उस समय वे अक्सर लाइव शो और प्रदर्शन के लिए मलयालम सितारों की यात्राओं के आयोजन में शामिल होते थे.
खलीज टाइम्स ने सोशल एंड इवेंजेलिकल एसोसिएशन फॉर लव (सील) आश्रम के संस्थापक पादरी केएम फिलिप के हवाले से बताया, “अक्टूबर 1976 में, दक्षिण भारतीय अभिनेत्री रानी चंद्रा और अन्य स्टार्स ऐसे ही एक कार्यक्रम के लिए यूएई गई थीं. बॉम्बे के रास्ते अबू धाबी से मद्रास वापस जाते समय, थंगल ने मंडली के साथ नहीं जाने का फैसला किया और दुर्घटना से बच गए, जबकि चंद्रा सहित सभी मंडली की मृत्यु हो गई.“
पादरी केएम फिलिप ने उस व्यक्ति को आश्रय दिया.
खलीज टाइम्स ने बताया कि विमान दुर्घटना के बाद थंगल को मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें उनके दोस्त सुधाकरण की भी मृत्यु हो गई.
सज्जाद ने मुंबई में अजीबोगरीब काम करना शुरू कर दिया, जैसे कि दूसरों के लिए वीजा और पासपोर्ट फॉर्म भरना और पेट भरने के लिए कैटरिंग का काम करना शुरू कर दिया.
फिलिप ने बताया, “2019 में, उन्हें एक बहुत ही कमजोर बूढ़े, बीमार व्यक्ति के रूप में हमारे आश्रय में भर्ती कराया गया था.”
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हाल ही में केरल का दौरा किया और सज्जाद के परिवार का पता लगा लिया.
फिलिप ने बताया, “उनकी मां, 91 वर्षीय फातिमा बीवी, उनकी वापसी की प्रतीक्षा कर रही हैं. उनके पिता यूनुस कुंजू, जिनकी 2012 में मृत्यु हो गई, ने केरल में कई लोगों की मदद की. इसलिए हम प्रार्थना कर रहे थे कि उनके अच्छे कर्म हमें हमारे खोए हुए बेटे को खोजने में मदद करें.”
थंगल के तीन भाई और चार बहनें हैं. उनके परिवार ने पहले जांच की थी कि क्या उनका नाम दुर्घटना के शिकार लोगों की सूची में है. जब वे उसे नहीं ढूंढ पाए, तो उन्हें उम्मीद थी कि वह एक दिन उनसे मिलने जरूर आएगा.