वजय दशमी पर आरएसएस प्रमुख मोहन भगत, बोले- जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार करना जरूरी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 15-10-2021
वजय दशमी पर आरएसएस प्रमुख मोहन भगत, बोले
वजय दशमी पर आरएसएस प्रमुख मोहन भगत, बोले

 

आवाज द वाॅयस /नागपुर

विजय दशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक सिंह (आरएसएस) प्रमुख मोहन भगत ने शुक्रवार को नागपुर मुख्यालय में ‘शास्त्र पूजा‘ की. इस अवसर पर भगत ने डॉ. केशव ब्लेयर हेडगेवार और मधु सदाशिव गोलवलकर को पुष्पांजलि भी अर्पित की. इस बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भगत ने अपने संबोधन में कहा कि  जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए.

यह नीति सभी पर समान रूप से लागू होनी चाहिए. जनसंख्या असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बनता जा रहा है.मोहन भागवत ने कहा, जिस दिन हम आजाद हुए थे, आजादी की खुशी के साथ-साथ मन में एक बेहद दर्दनाक दर्द का अनुभव हुआ था.

उनका देश बंटा हुआ है. यह एक बहुत ही दुखद इतिहास है, लेकिन हमें इस इतिहास की सच्चाई का सामना करना होगा. इसे जानना सभी के लिए जरूरी है.अखंडता को बहाल करने के लिए इतिहास को जाना जाना चाहिए. संघ प्रमुख ने कहा कि जिस दुश्मनी और अलगाववाद के कारण विभाजन हुआ, उसे दोहराया नहीं जाना चाहिए.

दोहराव से बचने के लिए, अपनी खोई हुई अखंडता और एकता को बहाल करने के लिए, यह तारीख सभी को पता होनी चाहिए. खासकर नई पीढ़ी को जानने की जरूरत है. खोया हुआ वापस आ सकता है. उन्होंने कहा कि हमें अपनी आस्था, पंथ, जाति, भाषा, प्रांत आदि छोटी पहचानों के संकीर्ण अहंकार को भूलना होगा.

रातोंरात नहीं मिली आजादी

उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी आजादी का 75वां साल है.‘‘ हमें 15अगस्त 1947को रिहा कर दिया गया. देश को आगे बढ़ाने के लिए हमने अपने देश का सूत्र अपने हाथ में लिया. यह हमारी आजादी से आजादी की यात्रा का शुरुआती बिंदु था.

यह आजादी हमें रातों-रात नहीं मिली. संघ प्रमुख ने कहा कि भारत की परंपरा के अनुसार स्वतंत्र भारत की छवि कैसी होनी चाहिए, देश के सभी हिस्सों के जीवन के सभी क्षेत्रों के नायकों ने तपस्या और बलिदान के हिमालय को उभारा है.

जनता को किया जा रहा गुमराह

मोहन भगत ने कहा कि ‘आजादी‘ से ‘आजादी‘ तक का हमारा सफर अभी खत्म नहीं हुआ है. दुनिया में ऐसे तत्व हैं जिनके लिए भारत का विकास और सम्मान के स्थान पर पहुंचना उनके व्यक्तिगत हितों के लिए हानिकारक है.

उन्होंने कहा कि धर्म का प्रभाव, जो दुनिया को खोया संतुलन और आपसी मित्रता का एहसास देता है, भारत को प्रभावित करता है. यह संभव नहीं है, इसलिए दुनिया और भारत की जनता को गुमराह किया जा रहा है. भारत के लोगों, इतिहास, संस्कृति को गुमराह किया जा रहा है.

ड्रग्स पर मोहन भागवत बोेले

इस मौके पर मोहन भगत ने ड्रग्स के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि देश में तरह-तरह की दवाएं आ रही हैं. लोगों में इनकी आदत बढ रही है. नशा समाज के उच्चतम स्तर से उच्चतम स्तर तक पहुंच रहा है. हम जानते हैं कि ड्रग्स का पैसा कहां जा रहा है.

साथ ही उन्होंने बिटकॉइन को लेकर भी सवाल खड़े किए . उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि इसे कौन नियंत्रित करता है.‘‘सरकार को इससे उबरना है और वह ऐसा करने की कोशिश कर रही है, लेकिन हमें अपने स्तर पर इससे लड़ने के लिए तैयार रहना होगा.

संघीय ढांचा पर लोग संघीय नहीं

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारी संस्कृति किसी को अजनबी नहीं मानती है.‘‘ इसके उदय से पूरी दुनिया में समानता आएगी. हिंदुत्व बढ़ेगा तो विरोध करने वालों की दुकान बंद हो जाएगी. उन्होंने कहा कि ऐसा कई बार देखा गया है कि एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य की पुलिस पर गोलियां चलाती है. ‘‘हमने देश को चलाने के लिए एक संघीय ढांचा बनाया है, लेकिन लोग संघीय नहीं है.‘‘

उन्होंने कहा कि देश के सभी लोग एक जैसे है. हमें ऐसे मतभेदों को दूर करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है.घुसपैठियों को उनके नागरिकता अधिकारों से वंचित किया जाना चाहिए.उन्होंने कहा कि सीमा पार से अवैध घुसपैठ को रोका जाना चाहिए. इन घुसपैठियों को राष्ट्रीय नागरिक पत्रिका बनाकर उनके नागरिकता अधिकारों से वंचित किया जाना चाहिए.