बारामूला. रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत के साथ, भारतीय सेना जम्मू और कश्मीर के बारामूला जिले के बोनियार इलाके में स्थानीय लोगों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए पहुंची. इनमें इमामों के पाठ्यक्रम के अलावा, दारुल उलूम के छात्रों के लिए सिलाई कक्षाएं शामिल करना है.
भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि स्थानीय लोगों ने रमजान को बोनियार तहसील में स्थानीय दारुल उलूम में चल रही शैक्षिक शिक्षा के उत्थान के अवसर के रूप में लिया. बयान के अनुसार, ‘‘दारुल उलूम में चल रहे पाठ्यक्रम के अलावा छात्रों के लिए सिलाई कक्षा को शामिल करने का विचार शामिल हुआ.’’
भारतीय सेना के बयान में कहा गया है कि स्थानीय लोगों ने रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत में पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए भारतीय सेना से संपर्क किया.
बयान में कहा गया है, ‘‘भारतीय सेना ने स्थानीय दारुल उलूमों को सिलाई मशीनें मुहैया कराईं और सिलाई की कक्षाओं के लिए अतिरिक्त सहायता दी, जो अंततः दारुल उलूम के छात्रों को समग्र रूप से तैयार करने में मदद करेगी.’’
आगे कहा गया है, ‘‘स्थानीय लोगों ने आभार व्यक्त किया और इसे सेना और स्थानीय लोगों के बीच मजबूत संबंधों के लिए एक उल्लेखनीय कदम बताया.’’
यह महीना अपने साथ शांति और सद्भाव लेकर आता है. लोग इस पवित्र महीने के दौरान प्रार्थना करने में व्यस्त हैं. उन्होंने जीवन के सभी सुखों को अस्वीकार कर दिया. यह न केवल उपवास का महीना है, बल्कि झूठ बोलने और धोखा देने से बचने के साथ-साथ सभी बुरे कामों से खुद को नियंत्रित करने का समय भी है. अच्छे कर्म करने का समय है.
सेना ने आगे कहा कि यह ठीक ही कहा गया है, ‘‘रमजान, अपने सार में, मानवतावादी आध्यात्मिकता का महीना है.’’