राजस्थान वक्फ बोर्ड ... अल्ला जाने क्या होगा आगे

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 06-03-2021
राजस्थान वक्फ बोर्ड कार्यालय
राजस्थान वक्फ बोर्ड कार्यालय

 

अशफाक कायमखानी / जयपुर

राजस्थान वक्फ बोर्ड के पुनर्गठन की सरगर्मियां फिर से शुरू हो गई हैं. मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल 8 मार्च, 2021 को समाप्त हो जाएगा. सरकारी देरी के कारण ऐसा लगता नहीं है कि समय पर बोर्ड गठित हो पाएगा, क्योंकि अभी कई सदस्यों का मनोनयन और चुनाव होना शेष है. वैसे वर्तमान अध्यक्ष खानू खान अपना ओहदा बचाए रखने के लिए जानमारी करते नजर आ रहे हैं. लोगों की नजरें सरकर पर टिकी हुई हैं कि सरकार बोर्ड का चुनाव समय पर करवाती हैं या फिर बोर्ड फिर कुछ समय बाद प्रशासक की आगोश में समा जाएगा.

राजस्थान वक्फ बोर्ड कई विवादों में घिरा रहा है. मौजूदा बोर्ड 9 मार्च, 2016 को गठित हुआ था. इससे पहले सरकार ने तीन सदस्यों को  नामित किया था, जिनमें से अबूबकर नकवी चेयरमैन बने. इन तीनों सदस्यों की सदस्यता की योग्यता को लेकर न्यायालय में चुनौती दे दी गई. तीनों सदस्यों की सदस्यता रद्द होने के उपरांत कांग्रेस सरकार द्वारा काफी दिनों बाद फिर तीन सदस्यें खानू खान, डा. राणा जैदी व अस्मा खान को नामित किया और उप चुनाव में खानू खान निर्विरोध अध्यक्ष चुने गये थे.

मौजूदा बोर्ड का 8 मार्च, 2021 तक का कार्यकाल है. उसके पहले सरकार समस्त प्रकार की चुनावी व मनोनयन प्रक्रिया अपनाकर नये अध्यक्ष का चुनाव करवाने में सफल होती है या फिर कुछ दिनों तक फिर से बोर्ड पर प्रशासन राज कायम हो जाएगाया फिर सरकार कोई अन्य सूरत इख्तयार करती है, यह अभी भविष्य के गर्भ में है.

 

यह है मनोनयन प्रक्रिया

राजस्थान वक्फ बोर्ड के गठन में कुछ सदस्यों का चुनाव होता है और कुछ सदस्यों का राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कैटेगरी में मनोनयन होता है. एक सदस्य लोकसभा या राज्य सभा के वर्तमान मुस्लिम सदस्य हो, तो उनमें से ओर अगर वर्तमान सदस्य नहीं हो, तो पूर्व सदस्यों में से एक सदस्य के लिये चुनावी प्रक्रिया अपनाई जाती है.

इसी तरह एक विधायक, एक राजस्थान बार काउंसिल के सदस्य के लिये तथा दो सदस्य राजस्थान की एक विशेष आमदनी वाले वक्फ इदारों के मुतवल्लियों की कैटेगरी में से चुने जाते है. इन पांच सदस्यों के चुनाव प्रक्रिया के मार्फत चुनकर आने के अलावा चार सदस्य विभिन्न कैटेगरी के राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होकर आते हैं, जिनमें एक एक शिया व सुन्नी धार्मिक विद्वान व एक सामाजिक कार्यकर्ता व एक राजस्थान प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होना चाहिए. इन कुल नो सदस्यों में से दो महिला सदस्य होना अनिवार्य माना गया है.

मौजूदा बोर्ड के सदस्य

मौजूदा बोर्ड में सांसद कोटे से अश्क अली टांक, विधायक कोटे से रफीक खान, बार काउंसिल कोटे से नासिर नकवी, राजस्थान प्रशासनिक सेवा अधिकारी कोटे से जमील अहमद कुरेशी व मुतवल्ली कोटे से शौकत कुरेशी व यूसुफ सरवाड़ सदस्य हैं. इनके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कोटे मे नामित खानू खान, राणा जैदी व अस्मा खान सदस्य हैं, जिनमें से खानू खान अध्यक्ष पद पर चुने हुये हैं.

सदस्य कुछ भाजपा के, कुछ कांग्रेस के हैं

इसके अलावा सरकार को विभिन्न कैटेगरी वाले सदस्यों के चयन के लिये चुनावी कार्यक्रम घोषित करके चुनावी प्रक्रिया अपनानी होगी. इन सदस्यों में से कुछ सदस्य भाजपा सरकार के समय बने थे, तो कुछ सदस्य कांग्रेस सरकार के समय बने हैं. कुछ कैटेगरी के सदस्यों में बदलाव आ गया है. जैसे बार काउंसिल में सैय्यद शाहिद हसन नकवी भी वर्तमान समय में बने हुये है. वहीं मुतवल्ली सदस्यों का चुनाव होगा, जिनमें फेरबदल की गुंजाइश मानी जा रही है.

खानू खान प्रबल दावेदार

हालांकि खानू खान के फिर से अध्यक्ष बनने की संभावना अधिक प्रबल मानी जा रही है, लेकिन इसके लिये उनको नये सिरे से सदस्य नामित होकर फिर अध्यक्ष का चुनाव लड़ना होगा.

सभी तरह की चुनावी प्रक्रिया के लिये जयपुर जिला कलेक्टर चुनाव अधिकारी होता है. नये सदस्य बनने व अध्यक्ष बनने की दौड़ में खानू खान के अलावा भी अनेक लोगों ने भागदौड़ शुरू कर रखी है.

कुल मिलाकर यह है कि कुछ दिनों बाद इसी आठ मार्च को वर्तमान वक्फ बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. नये तौर पर फिर से बोर्ड गठित होगा. देखना यह है कि इसके लिये राज्य सरकार आवश्यक प्रक्रिया समय रहते अपना लेती है या फिर कुछ समय के लिये प्रशासक राज रहेगा. या फिर सरकार दोनों को छोड़कर कुछ समय तक अन्य कोई विकल्प अपनाती है. यह अगले कुछ दिनों में सामने आने लगेगा.