पंजाबः 74 साल बाद शतराना मस्जिद में नमाज शुरू

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
मस्जिद का पुनर्निर्माण
मस्जिद का पुनर्निर्माण

 

पटियाला, पंजाब.  पंजाब के पटियाला जिले की पतरण तहसील के 300 साल पुराने गांव शतराना में एक मस्जिद बंद थी.  अब इस मस्जिद में 74 साल बाद फिर से मस्जिद में नमाज अदा की गई.  

मजलिस-ए-अहरार-ए-इस्लाम-ए-हिंद के नेता और पंजाब के उप शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने शतराना में 300 साल पुरानी ऐतिहासिक मस्जिद के बसने के बाद नमाज अदा की थी.

गौरतलब है कि भारत के बंटवारे के बाद से इस मस्जिद को बंद कर दिया गया था और अब भी इसमें रहने वाली एक गैर-मुस्लिम बुजुर्ग महिला अमृत कौर इसकी देखरेख करती है.

भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दोरान पंजाब में क्रांति के नेता हजरत मौलाना शाह अब्दुल कादिर लुधियानवी ने न केवल अंग्रेजों के खिलाफ जिहाद पर फतवा जारी किया, बल्कि पंजाब की सभी क्रांतिकारी ताकतों को भी लामबंद किया और फिर बहादुर शाह जफर की मदद को दिल्ली पहुंचे थे.

जहां उन्होंने मुगल जनरल बख्त खान से भीषण युद्ध किया और इस दौरान चांदनी चौक में उनकी पत्नी सहित उनके सात साथी शहीद हो गए थे.  उनकी कब्र फतेह पुरी मस्जिद के प्रांगण में बनाई गई थी, जो आज भी मौजूद है.

इस युद्ध में राष्ट्रीय सेना की विफलता के बाद जब शाह जी शतराना से लुधियाना लौट रहे थे, तब वे इसी गांव में रहे और फिर शाह जी के पीछे-पीछे ब्रिटिश सेना भी शतराना पहुंच गई, जिसका गांव के राजपूत मुसलमानों ने विरोध किया और हर शाह जी गांवों के जंगल में रहे.

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पंजाब के डिप्टी शाही इमाम लुधियानवी मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी स्थानीय लोगों के साथ

इस प्रवास के दौरान, शाह जी ने गांव में धार्मिक शिक्षा शुरू की और फिर जब स्थिति सामान्य हुई, तो शाह जी ने 1860में गांव छोड़ दिया, लेकिन गांव से कुछ मील दूर अपनी यात्रा के पहले गंतव्य पर उनकी मृत्यु हो गई. यहां उनकी मजार आज भी है.  

आज जब नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी इस ऐतिहासिक मस्जिद में श्रद्धांजलि देने के लिए गांव में पहुंचे, तो गांव के गैर-मुसलमानों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया.

इस अवसर पर बोलते हुए नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने कहा कि आज दया और आशीर्वाद का दिन है कि यह ऐतिहासिक स्थान एक बार फिर उपासकों के लिए खोल दिया गया है.

उन्होंने कहा कि शाह जी मेरे पूर्वज हैं और आज हम एक बार फिर से 160साल बाद इस गांव के लोगों में वही जुनून और प्यार देख रहे हैं, जो हमारे बुजुर्गों ने डेढ़ सदी पहले देखा था.

नायब शाही इमाम ने कहा कि इमाम-उल-अरफीन हजरत मौलाना शाह अब्दुल कादिर लुधियानवी और उनके साथियों ने गांव की इस 3000साल पुरानी मस्जिद में नमाज अदा की है, जो स्थापना के बद मजहबी ओर स्वतंत्रता संग्राम की की गतिविधियों का केंद्र रही

इस मौके पर कारी याकूब ने बताया कि मस्जिद में पानी के लिए ट्यूबवैल और बुजुर्ग महिला के लिए मस्जिद के बगल में मकान का निर्माण किया जा रहा है.