मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने अयोध्या के दौरे पर आज रामायण कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया और इसके साथ ही पर्यटन तथा संस्कृति विभाग की कई योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया.
अपने संबोधन की शुरुआत में ही राष्ट्रपति ने रामकथा के महत्व के विषय में गोस्वामी तुलसीदास को उद्धृत करते हुए कहा-
रामकथा सुंदर करतारी,
संसय बिहग उड़ावनि-हारी।
अर्थात
राम की कथा हाथ की वह मधुर ताली है, जो संदेहरूपी पक्षियों को उड़ा देती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि “भारतीय जीवन मूल्यों के आदर्श, उनकी कहानियां और उपदेश, रामायण में समाहित हैं.”
उन्होंने कहा, “रामायण एक ऐसा विलक्षण ग्रंथ है जो राम-कथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादाओं को प्रस्तुत करता है। मुझे विश्वास है कि रामायण के प्रचार-प्रसार हेतु उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास भारतीय संस्कृति तथा पूरी मानवता के हित में बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा.”
राष्ट्रपति ने कहा, “रामायण का प्रचार-प्रसार इसलिए आवश्यक है कि उसमें निहित जीवन-मूल्य मानवता के लिए सदैव प्रासंगिक बने रहेंगे। रामायण में दर्शन के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता भी उपलब्ध है जो जीवन के प्रत्येक पक्ष में हमारा मार्गदर्शन करती है। संतान का माता-पिता के साथ, भाई का भाई के साथ, पति का पत्नी के साथ, गुरु का शिष्य के साथ, मित्र का मित्र के साथ, शासक का जनता के साथ और मानव का प्रकृति व पशु-पक्षियों के साथ कैसा आचरण होना चाहिए, इन सभी आयामों पर, रामायण में उपलब्ध आचार संहिता, हमें सही मार्ग पर ले जाती है.”
भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकसित हो रहे रामायण सर्किट से जुड़े प्रकल्पों का लोकार्पण करते हुए राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि इनसे पर्यटकों और श्रद्धालुओं को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित अयोध्या शोध संस्थान के तत्वावधान में एक वृहद विश्व-कोश तैयार किया जा रहा है जिसमें पूरी दुनिया में उपलब्ध रामायण व भारतीय संस्कृति से जुड़ी सामग्री का संकलन सुलभ रहेगा।
राष्ट्रपति ने कहा “पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में रामायण तथा भारतीय संस्कृति का प्रभाव दिखाई देता है। थाईलैंड के एक शहर का नाम अयुत्थया है जो अयोध्या का ही थाई रूप माना जाता है। अनेक विद्वानों ने मध्य व उत्तर-पूर्व एशिया सहित मिस्र तथा विश्व के अन्य क्षेत्रों में रामायण की कथा से जुड़ी कलाकृतियों, शिलालेखों और चित्रों का उल्लेख किया है.”
राष्ट्रपति ने रामकथा का उल्लेख करते हुए समाज में समभाव का आह्वान भी किया.