प्रो. अफाक अहमद स्मृति पुरस्कार समारोह में जिया फारूकी, संतोष चौबे सम्मानित

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 22-11-2021
 जिया फारूकी और संतोष चौबे सम्मानित
जिया फारूकी और संतोष चौबे सम्मानित

 

गुलाम कादिर /भोपाल 
 
सबरंग कल्चरल सोसाइटी एवं अरबाब अदब सर्किल के तत्वावधान में भोपाल में प्रो. अफाक अहमद स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया. भोपाल राज्य संग्रहालय में आयोजित राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में प्रतिष्ठित लेखक संतोष चौबे को हिंदी साहित्य में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए प्रोफेसर अफाक अहमद मेमोरियल राष्ट्रीय पुरस्कार और उर्दू साहित्य में उनकी बहुमूल्य सेवाओं के लिए जिया फारूकी को सम्मानित किया गया.

उल्लेखनीय है कि प्रो. अफाक अहमद को एक प्रख्यात उर्दू लेखक, आलोचक, शिक्षक, विश्वासपात्र, उपन्यासकार, कवि और सर्वश्रेष्ठ अनुवादक के रूप में माना जाता है. प्रो. अफाक अहमद ने अपने साहित्यिक सफर की शुरुआत एक परी कथा से की और भावुक चुप्पी, विश्वास, दिल और आंखों के नाम पर किताबें लिखकर उर्दू साहित्य को जोड़ा.
 
प्रो. अफाक अहमद ने प्रख्यात उपन्यासकार राज गोपाल आचार्य के उपन्यासों का हिंदी में अनुवाद भी किया. प्रो. अफाक अहमद मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, इकबाल केंद्र और सिंधी अकादमी के सचिव भी रह चुके हैं और तीन संस्थानों के प्रमुख के रूप में वे मासिक दान के रूप में केवल एक रुपये स्वीकार करते थे. प्रो. अफाक अहमद एक उत्कृष्ट हॉकी खिलाड़ी थे. उन्होंने हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के साथ हॉकी भी खेली थी.
 
प्रो. अफाक अहमद के निधन के बाद सबरंग कल्चरल सोसाइटी और हलका अरबाब अदब द्वारा प्रो. अफाक अहमद मेमोरियल नेशनल अवार्ड की घोषणा की गई. यह राष्ट्रीय पुरस्कार प्रख्यात उर्दू लेखक प्रोफेसर मुजफ्फर हनफी और हिंदी प्रतिनिधि लेखक और कवि राजेश जोशी को 1919 में दिया गया था.
 
इस वर्ष यह पुरस्कार हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए संतोष चैबे और उर्दू साहित्य में बहुमूल्य सेवाओं के लिए जिया फारूकी को प्रदान किया गया. भोपाल राज्य संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम में दोनों कलाकारों को शॉल, मोमेंटो और नगदी भेंट की गई.
 
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि प्रो. अफाक अहमद को उर्दू और हिंदी साहित्य में सेतु माना जाता था. वह मध्य प्रदेश के प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसीलिए हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले कलाकार को उर्दू के साथ उनके नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जाता है.
 
सबरंग कल्चरल सोसाइटी के सचिव शायन कुरैशी का कहना है कि हम प्रो. अफाक अहमद के आंदोलन को जिंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं, जो आम सभ्यता के अग्रदूत थे. आज हमें एक बार फिर उर्दू और हिंदी दोनों के प्रतिनिधि लेखकों को प्रोफेसर अफाक अहमद स्मृति पुरस्कार प्रदान करते हुए खुशी हो रही है. दोनों लेखकों संतोष चैबे और जिया फारूकी को अपने साहित्यिक लेखन के लिए किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है. इसके विपरीत उनका लेखन हमारे लिए एक प्रकाशस्तंभ है.
 
प्रो. अफाक अहमद स्मृति पुरस्कार प्राप्त प्रमुख हिन्दी लेखक संतोष चैबे का कहना है कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि उन्हें प्रो. अफाक अहमद स्मृति पुरस्कार दिया गया है. अफाक साहब खुद एक महान लेखक और आलोचक थे. उनकी कहानियों में आधुनिक अर्थ नई पीढ़ी को देने की जरूरत है.
 
प्रो. अफाक अहमद मेमोरियल राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता उर्दू लेखिका और कवि जिया फारूकी का कहना है कि पुरस्कार प्राप्त करना निश्चित रूप से गर्व का स्रोत है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नई पीढ़ी अपने पूर्वजों को याद करने की कला सीख रही है.
 
साहित्य के कितने ही सूर्य-चन्द्रमा हमारे पास से गुजरे हैं और आज उनका नाम किसी को याद नहीं है. सबरंग कल्चरल सोसाइटी और अरकब अरबाब अदब द्वारा उठाया गया कदम न केवल नई पीढ़ी के लिए प्रो. अफाक अहमद की साहित्यिक सेवाओं को याद दिलाएगा, रचनात्मक साहित्य में महत्वपूर्ण काम करने वालों को भी प्रेरित करेगा.

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात शिक्षाविद् प्रो. हसन मसूद ने पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रो. अफाक उन लोगों में से थे जिन्हें सभ्यता की खेती का शौक था. उन्होंने अपने पूरे जीवन में न केवल उर्दू और हिंदी के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की, बल्कि दोनों भाषाओं के लेखकों को करीब लाने में उन्होंने जो भूमिका निभाई है वह काबिले तारीफ है.
 
 
कार्यक्रम में डॉ. शफी हिदायत कुरैशी, डॉ. नुसरत मेहदी, राम प्रकाश त्रिपाठी, देवी सरन, राजेश जोशी, बद्रावस्ती ने भी अपने विचार रखे और नई पीढ़ी को प्रो. अफाक अहमद के विचारों और साहित्यिक लेखन के नए अर्थ से अवगत कराने पर जोर दिया.